शहर में पार्को के सौंदर्यीकरण और व्यवस्था को बनाए रखने के लिए समय-समय पर करोड़ो रुपये खर्च किया जाता है. इस सब के बावजूद पार्को का सौंदर्यीकरण और उनकी व्यवस्था चौपट नजर आती है. संडे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम की ओर से गांधी उद्यान का सर्वे किया गया. जिसमें पार्क के फाउंटेन से लेकर बच्चों के लिए लगाए झूलों तक सब अव्यवस्थित नजर आए. पार्क की ये स्थिति देखकर पता चलता है कि व्यवस्थाओं को लेकर जिम्मेदारों की ओर से किए जा रहे वादों पर कितना अमल हो रहा है.

बरेली (ब्यूरो)। शहर में पार्को के सौंदर्यीकरण और व्यवस्था को बनाए रखने के लिए समय-समय पर करोड़ो रुपये खर्च किया जाता है। इस सब के बावजूद पार्को का सौंदर्यीकरण और उनकी व्यवस्था चौपट नजर आती है। संडे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम की ओर से गांधी उद्यान का सर्वे किया गया। जिसमें पार्क के फाउंटेन से लेकर बच्चों के लिए लगाए झूलों तक सब अव्यवस्थित नजर आए। पार्क की ये स्थिति देखकर पता चलता है कि व्यवस्थाओं को लेकर जिम्मेदारों की ओर से किए जा रहे वादों पर कितना अमल हो रहा है।

बिना गुलाब की वाटिका
गांधी उद्यान में सौंदर्य को बढ़ाने के लिए गुलाब के पौधे तो लगा दिए हैं लेकिन समय पर न तो उनकी छटाई होती है और न ही उनका रखरखाव। पौधे कहीं ज्यादा पानी भरने से सूख रहे हैं तो कहीं पानी ही नहीं डाला जा रहा है। यहां गुलाब के पौधे खराब हो रहे हैं और अब इन पर फूल भी नहीं आ रहे हैं।

सूखे फॉउंटेन
यहां लगे फॉउनटेन भी बदहाल अवस्था में हैं। समय पर इनका रखरखाव न होने से न तो इनमें पानी है और न ही उनकी साफ-सफाई हुई है। जिसके कारण उनमें गंदगी भरी पड़ी है और पाइप भी खराब हो रहे हैं। इस सब के बावजूद जिम्मेदारों का ध्यान इस नहीं जा रहा है।

बदहाल सीशॉ झूला
पार्क में बच्चों के झूलने के लिए लगाए गए सीशॉ झूले भी बदहाल अवस्था में हैं। झूलों पर लगी चादर बीच-बीच से टूट गई है। इन पर ज्यादातर छोटे बच्चे ही झूला झूलते हैं। जिसमें झूलते समय बच्चे घायल हो सकते हैं और उसमें फंसकर गिरने का भी डर है। यदि इस ओर जिम्मेदारों ने ध्यान नहीं दिया तो किसी भी बच्चे के साथ दुर्घटना हो सकती है।

बिना लाईटों के पोल
गांधी उद्यान पार्क शहर के सेंटर में होने के कारण यहां देर शाम तक टहलने के लिए लोग आते हैं। यहां पर टहलने वालों के लिए अंधेरा न रहे इसके लिए लाइटों को लगवाया गया। लेकिन कुछ पोल तो ऐसे हैं जहां पर लाईटें गायब हैं, खाली पोल खड़े हैं। इस कारण लोगों को समस्या होती है।

बंद पड़ी नालियां
समय पर यहां न तो नालियों की सफाई होती है और न ही घास काटी जाती है। बारिश के पानी को बाहर निकालने को यहां नालियां बनाई गई थी जो घास और मिट्टी से पूरी तरह से बंद पड़ी है। इससे यहां ज्यादातर जगहों पर बारिश का पानी भर जाता है। इसके अलावा पार्क में हर जगह बड़ी-बड़ी झाडिय़ां तैयार हो गई हैं।

वर्जन------

मैं काफी समय से यहां देर शाम को गांधी उद्यान आता हूं। कर्ई जगह यहां लाईटें नहीं लगी हैं। जिसके कारण अंधेरा रहता है और इस ओर जाने में भी डर लगता है। यहां की घास भी बहुत बड़ी हो गई है।
मुकेश कुमार, संजय नगर

हम यहां पास ही रहते हैं, सुबह-शाम यहां टहलने आते हैं। बहुत समय से यहां बच्चों के खेलने वाला झूले की टीन टूटी हुई है। इससे किसी भी बच्चे को चोट लग सकती है। इसे कोई देखने वाला नहीं है।
नीलम रस्तोगी, सर्किट हाउस


मै कभी-कभी यहां आता हूं। यहां अक्सर फाउंटेन सूखे पड़े रहते हैं और बारिश के बाद पर कई जगह पानी भर जाता है जिससे दिन में भी मच्छर काटते हैं।
आदित्य शर्मा, मिथिलापुरी कॉलोनी

एक दूसरे पर डालते जिम्मेदारी
ये हमारे अंडर नहीं आता है, यहां कई काम स्मार्ट सिटी के तहत किए गए हैं। जो अपर नगर आयुक्त सुनील कुमार यादव जी देखते हैं।
राजीव कुमार राठी, मुख्य अभियंता पर्यावरण

इसे हम नहीं देखते हैं। इस सम्बंध में मुख्य पर्यावरण अभियंता से मिलिए। यहां सभी को अपना वर्जन देने की अनुमति नहीं हैं। यहां नगर आयुक्त ही वर्जन देते हैं।
सुनील कुमार यादव, अपर नगर आयुक्त

Posted By: Inextlive