पहले रोड बनाकर रोड साइड टाइल्स बिछाकर काम पूरा कर दिया जाता है. कुछ दिन बाद दूसरी कार्यदायी संस्था पहुंचकर रोड या फिर रोड किनारे बिछाई गई टाइल्स की खोदाई शुरू करा दी जाती है. टाइल्स उखाड़कर वहां पर पाइप लाइन बिछाने के बाद खानपूर्ति कर मिट्टी डालकर टाइल्स लगा दी गई. अब बारिश में पूरी रोड किनारे जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं.

बरेली (ब्यूरो)। पहले रोड बनाकर रोड साइड टाइल्स बिछाकर काम पूरा कर दिया जाता है। कुछ दिन बाद दूसरी कार्यदायी संस्था पहुंचकर रोड या फिर रोड किनारे बिछाई गई टाइल्स की खोदाई शुरू करा दी जाती है। टाइल्स उखाड़कर वहां पर पाइप लाइन बिछाने के बाद खानपूर्ति कर मिट्टी डालकर टाइल्स लगा दी गई। अब बारिश में पूरी रोड किनारे जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। इससे साफ है कि स्मार्ट सिटी के रुपए का कितना सदपयोग किया जा रहा है और कितना दुरुपयोग। फिलहाल जो भी लेकिन इससे आम पब्लिक को सुविधा की जगह परेशानी बढ़ी हुई है।

एक सप्ताह पहले खोदाई
सेटेलाइट से शहर के अंदर जाने वाली ईसाईयों की पुलिया से वियावानी होकर गांधी उद्यान को जाने वाली रोड पर भी पाइप लाइन बिछाई जा रही है। इसके लिए खोदाई कर कर वहां पर कुछ एरिया में पाइप लाइन बिछाकर वहां पर गड्ढों में मिट्टी भरकर टाइल्स को फिर से लगा दिया गया है। लेकिन मिट्टी भरकर टाइल्स लगाने के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति ही हुई है। यही हाल वियाावनी कोठी से बरेली क्लब को जाने वाली रोड का है। यहां पर भी पिछले सप्ताह रोड साइड गड्ढ़ों में मिट्टी भर दी गई। लेकिन ये बारिश में जगह जगह धंस गई है।

बारिश ने खोली पोल
काफी दिनों बाद हुई शहर में झमाझम बारिश ने रोड साइड पाइप लाइन बिछाने के बाद मिट्टी से गड्ढों को भरकर ऊपर से टाइल्स को लगाने के बाद रोड टाइल्स सहित नीचे धंस गई है। ये रोड उतनी ही एरिया धंसी है जितने में पाइप लाइन बिछाने के लिए गड्ढा खोदा गया था। गड्ढ़े भी ऐसे बुरी तरह हैं कि टाइल्स भी पूरी पूरी गड्ढों में समा गई। इससे रोड किनारे कई बड़े-बड़े गड्ढ़े हो गए हैं और हादसे का डर बना हुआ है। इससे एक बाद तो साफ हो गई कि एक के बाद उस रोड पर अपना काम कराने के बाद दूसरा ठेकेदार अपना काम करने के बाद सिर्फ खाना पूर्ति करके ही निकलना चाहता है। लेकिन बारिश ने उसकी पूरी पोल खोलकर रख दी है।

हो सकता है हादसा
इसाईयों की पुलिया से बरेली क्लब को जाने वाली रोड पर एक साइड पूरी तरह जगह-जगह इतनी जगह धंस गई है कि वहां से निकलने पर अगर बचना पड़े तो जान को मुश्किल हो सकता है। क्योंकि इन गड्ढों से बचना किसी खतरे से खाली नहीं है। अगर इन गड्डों में वाहन गया तो फिर अकेले बगैर क्रेन के निकालना भी मुश्किल होगा। इसीलिए इस रोड से निकलते टाइम सावधानी बरतनी जरूरी है। लेकिन अगर सभी विभाग आपस में तालमेल मिलाकर शायद चलते तो ये रोड दोबारा न खोदनी पड़ती है और रुपए की बर्बादी भी नहीं होती। लेकिन इससे सिर्फ रुपए की बर्बादी हो रही है।
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बोले बरेलियंस
रोड साइड इतने बड़े-बड़े गड्ढ़े हो गए हैं कि लोगों का निकलना मुश्किल हो रहा है। इस रोड से कई बच्चे भी डेली पैदल कोचिंग को निकलते हैं उनको भी मुश्किल हो रहा है।
राहुल
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डेली इस रोड से पैदल निकलने वालों की संख्या काफी होती है। यहां से उलटी साइड से भी टू-व्हीलर सवार कई निकलते हैं जिनको खतरा बड़ा बना हुआ है।
अमर
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इसाईयों की पुलिया से बरेली क्लब जाने वाली रोड अभी छह माह पहले ही पूरी हुई थी। अब उस पर पाइप लाइन बिछाने की बारी आ गई। यानि पहले बनाओ फिर रोड को तोड़ो यही स्मार्ट सिटी है।
विशेष
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रोड कोई भी बनाई जाए इसके लिए सभी विभागों में तालमेल जरूरी है। अगर विभागों में तालमेल नहीं होगा तो यही होगा जो कि इस समय बरेली की स्मार्ट सिटी की रोड में बर्बादी चल रही है।
रूद्र

Posted By: Inextlive