कुपोषण का शिकार हो रहा 'बरेली'
तमाम योजनाओं के बाद भी जिले में हावी हो रहा कुपोषण
फरवरी माह की जारी रिपोर्ट में 6668 बच्चे अल्प कुपोषित BAREILLY: डिस्ट्रिक्ट से कुपोषण को मिटाने के लिए राज्य पोषण मिशन कई सारी योजनाएं चला रहा है। बावजूद इसके कुपोषण बच्चों को अपनी चपेट में ले रहा है। कुपोषण की दर आंकने के लिए चलाए गए अभियान में अल्प कुपोषण के शिकार 80 हजार से अधिक बच्चे और गंभीर रूप से कुपोषित करीब 7 हजार बच्चों को चिह्नित किया गया है। ऐसे में प्रशासन ने जिला कार्यक्रम अधिकारी से जिले में कुपोषण का स्तर पर हुए कार्यो की रिपोर्ट तलब की है। पंजीरी से नहीं मिटता कुपोषणगरीब परिवारों के 0 से भ् वर्ष तक के बच्चों को स्वस्थ बनाने की जिम्मेदारी राज्य पोषण मिशन पर है। जिला कार्यक्रम अधिकारी बुद्धि मिश्रा के मुताबिक राज्य पोषण मिशन बाल पुष्टाहार योजना चल रही है। इसके माध्यम से गर्भवती महिलाओं को राशन के नाम पर पंजीरी दी जाती है, लेकिन पंजीरी से गर्भ में बच्चे को पूरा आहार नहीं मिल पाता। तो दूसरी ओर गरीबी की वजह से परिवार भी बच्चे को हेल्दी डायट अबलेवल नहीं करा पाते इससे कुपोषण लेवल बढ़ जाता है।
रिपोर्ट सौंपने में हीलाहवालीपिछले वर्ष क्8 दिसंबर को राज्य पोषण मिशन की ओर से प्रदेश में कुपोषण पर प्रभावी कार्यवाही के लिए बरेली जनपद से कुपोषित बच्चों की संख्या सूची तलब की गई थी। ताकि समीक्षा के दौरान प्रभावी हल और उपाय खोज कर जिले में बढ़ते कुपोषण स्तर पर रोक लगाई जा सके। जिस पर जिलाधिकारी ने जिला स्तरीय अधिकारियों की टीम गठित कर सूची मांगी थी, लेकिन करीब दो माह गुजरने के बाद भी जिला स्तरीय अधिकारियों की ओर से कोई रिपोर्ट जिलाधिकारी को सबमिट नहीं की।
कुपोषण लेवल की जांच के तरीके कुपोषण जांचने के लिए 0 से भ् वर्ष तक के बच्चों की लंबाई, वजन और बायीं भुजा की माप की जाती है। जिले में वजन और लंबाई के जरिए ही परख की जाती थी। जिससे एक्युरेसी नहीं थी। ऐसे में माह भर पहले एमयूएसी टेप यानि मिड अपर आर्म सर्किल भी प्रयोग किया जाने लगा है। जो जिले के ख्8भ्7 आंगनबाड़ी केंद्रों पर सुपरवाइजर को सौंप दिए गए हैं। सुपरवाइजर्स टेप में रेड, ग्रीन और येलो कलर्स के प्वाइंट्स के आधार पर कुपोषण की पहचान करते हैं। अवेयरनेस की कमीराज्य पोषण मिशन के तहत चलाई गई योजनाओं के प्रति लोगों में अवेयरनेस की कमी की वजह से भी कुपोषण का लेवल कम नहीं हो रहा।
- अशिक्षा के कारण परिवार कुपोषित बच्चों को हेल्थ सेंटर्स में एडमिट नहीं कराते। - परिवार नियोजन के कार्यक्रमों के बाद भी पेरेंट्स का बच्चों में गैप बरकरार न रख पाना - जांच के दौरान वजन कम होने पर बच्चों में कुपोषण को मानने से इनकार करना - गर्भवती महिलाओं द्वारा रेग्युलर ट्रीटमेंट के लिए स्वास्थ्य केंद्रों पर न पहुंचना - गरीबी की वजह से पेरेंट्स द्वारा बच्चों को नियमित पुष्टाहार अबलेवल नहीं कर पाना - आंगनबाड़ी केंद्रों के सुपरवाइजर्स द्वारा कुपोषण के प्रति परिवार को जागरूक करने में हीलाहवाली आंशिक एवं गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या आंकड़े फरवरी माह में जारी रिपोर्ट के आधार पर कहां आंशिक कुपोषण के शिकार गंभीर कुपोषण शहर ख्0क्क् क्म्9मझगवां ब्ख्07 फ्ख्फ्
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