बरेली : परिचर्चा में गाउंड वाटर लेवल को ऊंचा उठाने पर किया गया मंथन
बरेली (ब्यूरो)। जिले का ग्राउंड वाटर लेवल हर वर्ष गिरता जा रहा है। एक्सपट्र्स की मानें तो प्रतिवर्ष 60-70 सेंटीमीटर ग्राउंड वाटर लेवल गिर रहा है। जिले के आसपास के तराई के जो एरियाज हं,ै उनसे ही रीचार्ज होता रहता है। अगर तराई एरिया से ग्राउंड वाटर लेवल रीचार्ज पर बाउंड्री लगा दी जाए तो अपने सिटी में पानी के लिए अधिक वर्षों का स्टॉक नहीं है। इसके लिए अगर हम सब लोग ही ध्यान देंगे तब ही इसको सुधारा जा सकता है। यह बात भू-गर्भ जल विभाग के सीनियर हाईडोजिोलॉजिस्ट गणेश सिंह नेगी ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ऑफिस में परिचर्चा के दौरान कही। इस अवसर पर एक्सपर्ट ने यह भी बताया कि एक निजी संस्था के सर्वे के अनुसार अगर हम सब लोग जितना जल का दोहन कर रहे हैं, उसके बदले में हम अपने रूफ टॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से ग्राउंड लेवल को रीचार्ज करें तो वाटर लेवल ऊपर भी आ जाएगा। बरेलियंस इसके लिए अवेयर होकर आगे आएं। अपनी कॉलोनी-मोहल्लों में इसके लिए मुहिम चलाएं ताकि आपको देखकर दूसरे भी अवेयर हों और ग्राउंड वाटर लेवल रीचार्ज अधिक से अधिक हो सकें।
बनाए जाएं ग्रुप
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ऑफिस पहुंचे समाजसेवियों ने भी अपने सुझाव देने के साथ सवालों के आंसर मांगे। एक्सपर्ट ने बताया कि जो कॉलोनी हैं और मोहल्ले हैं, उनमें नगर निगम के पार्षद की मदद से क्लब बनाए जाएं। ये सभी क्लब अपने आसपास के मोहल्लों और कॉलोनीज में लोगों को अवेयर करें ताकि ग्राउंड वाटर रिचार्ज करने के लिए खुद आगे आएं। जो लोग खुद अपना रेन वाटर नहीं लगवा सकते हैं वहां पर संयुक्त रूप से प्रयास होना चाहिए।
वन विभाग की तरफ से हर बार शहर में हरियाली बढ़ाने के लिए कवायद की जाती है। लेकिन उसमें से कितने पौधे जीवित रहते हैं इसके लिए भी जिम्मेदारों की कोई कमेटी हो जो ग्राउंड रिपोर्ट के साथ सर्वे करें। उसमें सुधार करें ताकि शहर के बढ़ते तापमान को हरियाली से कंट्रोल किया जा सके। लेकिन ऐसा नहीं होने से लोगों को बढ़ते तापमान को झेलना पड़ रहा है। इससे लोगों को समस्या होती है लेकिन जिम्मेदारों का ध्यान इस तरफ नहीं है।
कच्ची जगह खत्म
स्मार्ट सिटी के तहत की रोड साइड की कच्ची जगह पर टाइल्स लगा दी गई है। इन रोड साइड लगी टाइल्स के कारण बारिश का पानी जमीन में रिचार्ज होने की जगह नाली में चला जा रहा है। बर्बाद हो रहा है लेकिन ग्राउंड में वाटर नहीं जा रहा है। ग्राउंड वाटर लेवल गिरने का एक बड़ा कारण ये भी है। क्योंकि पेड़ पौधों को तो रोड चौड़ीकरण के लिए काट दिया गया। अब रोड साइड जो जगह बची उसमें टाइल्स लगा दी। इससे भी ग्राउंड वाटर को रिचार्ज होने में दिक्कत हो रही है।
शहरीकरण के कारण लोगों ने अपने अपने घरों में जो कच्ची एरिया होती थी उसका खत्म कर दिया है। इससे घरों की छत का बारिश का पानी जो कच्ची एरिया से जमीन में थोड़ा बहुत जाता था वह भी अब जाना बंद हो गया है। क्योंकि पूरे घर में ग्राउंड वाटर रिचार्ज हो सके इसके लिए कोई एरिया ही नहीं छोड़ी इससे रूफ का जो बारिश का पानी हो वह भी नालियों में जाकर बर्बाद हो रहा है।
काटे गए थे हजारों पेड़
स्मार्ट सिटी और रोड को चौड़ी करण के नाम पर शहर से करीब छह हजार से अधिक पेड़ों को काटा गया। लेकिन उनकी जगह पर शहर में कोई ऐसी एरिया नहीं है जहां पर उतने बड़े स्तर पर पौधरोपण किया गया है। क्योंकि पेड़ काटे तो गए लेकिन लगाए उतनी मात्रा में नहीं गए। पेड़ काटने के बाद लगाने का भी रूल्स है उसे फॉलो नहीं किया जाता है।
अपना सिटी अति भूगर्भ जल दोहन एरिया में पहले से ही शामिल है। इसके लिए हम सभी जिम्मेदारी निभाएं और ग्राउंड वाटर रीचार्ज करने के साधन अपनाएं। क्योंकि आसपास के तराई एरिया में अगर बाउंड्री लगा दी जाए तो छह माह में पानी खत्म हो जाएगा इसलिए अगर रूफ टॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से अगर ग्राउंड वाटर को रिचार्ज करना शुरू कर देंगे तो जितना ग्राउंड वाटर प्रति वर्ष नीचे जाता है, उससे अधिक सुधार दिखेगा। सब लोग अपने घरों में वर्षा का पानी नालियों में जाने से रोकें। इसके लिए ग्राउंड वाटर रीचार्ज करने के लिए यूज करें।
गणेश नेगी, सीनियर, हाइड्रोजियोलॉजिस्ट, भू-गर्भ जल विभाग ग्राउंड वाटर का अधिक दोहन रोकने के लिए नगर निगम और प्रशासन को ध्यान देना चाहिए। इसके लिए कुछ एक्शन प्लान हो ताकि ग्राउंड वाटर का अत्याधिक दोहन रोका जा सके। ग्राउंड वाटर का अगर इस ही तरह से दोहन होता रहा तो इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे।
शिवेंद्र प्रताप सिंह, अध्यक्ष वीर जनकल्याण सेवा समिति
नगर निगम जब तक सभी घरों में शुद्ध पेयजल सप्लाई पहुंचाना सुनिश्चित नहीं करेगा तब तक सब-मर्सिबल को लगाने से रोक नहीं सकता है। क्योंकि नगर निगम की सबसे बड़ी कमजोरी तो यह ही है कि टैक्स लेने के बाद भी शुद्ध पेयजल मुहैया नहीं करा पा रहा है।
खालिद जिलानी, एडवोकेट, आरटीआई एक्टिविस्ट
रविंद्र शर्मा शहर में लोगों ने अपने घरों में नगर निगम का कनेक्शन लेने के बाद भी सबमर्सिबल लगवाया है। इसका मेन कारण है कि लोगों के घरों में शुद्ध पेयजल तक नहीं पहुंच पा रहा है। शहर के कई ऐसे एरियाज हैं, जिनमें पेयजल की सप्लाई दुर्गंधयुक्त आती है।
सीपी अरोरा ग्राउंड वाटर का दोहन करने वालों पर सरकार की तरफ से निगरानी के लिए विभाग को जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। जो भी व्यक्ति अधिक दोहन करे, उसके खिलाफ विभाग एक्शन ले क्योंकि इसके लिए जब तक कोई नियम नहीं बनेगा तब तक कोई ध्यान नहीं देगा।
शितेश अग्रवाल, व्यापारी कैंट एरिया में नगर निगम ने एक बड़े एरिया में पौधरोपण लास्ट ईयर करवाया था। इसके लिए विभागीय अफसरों के साथ मंत्री विधायक सांसद भी मौजूद रहे थे। वहां पर आज कितने पौध जीवित बचे हैं, इसकी भी निगरानी के लिए कोई समिति बनानी चाहिए।
इमरान खान, समाजसेवी शिक्षक उदासीन होंगे तो स्टूडेंट्स स्टडी कैसे करेंगे। इस ही तरह जब विभाग ध्यान नहीं देगा तो आम लोग क्यों ध्यान देंगे। इसलिए जरूरी है कि विभाग जो है, वह अवेयर हो। उसे फॉलो कराने के लिए तब ही लोग रेन वाटर हार्वेस्टिंग लगाने के लिए मुहिम में शामिल होंगे।
संजीव मलहोत्रा, पूर्व कर्मचारी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम सिटी में सभी लोग तो एक साथ नहीं लगवा सकते हैं। इसके लिए कुछ लोग सयुंक्त प्रयास करें तो कुछ लोग जो समर्थ हैं, वह अपना खुद का रेन वाटर हार्वेस्टिंग लगाएं तभी ग्राउंड वाटर लेवल उठ सकेगा।
शाहिल खान अब तो लोग सबमर्सिबल पंप लगवा रहे हैं, लेकिन वो घरों में नहीं, बल्कि नगर निगम के रोड पर ही लगा दे रहे हैं। इससे निकलने वालों को समस्या होती है, लेकिन जिम्मेदार अनदेखी करते हैं। इससे भी जल का अतिदोहन होता है। इस पर रोक लगनी चाहिए।
साजिद अली