बरेली: देशी से साठगांठ, अगे्रंजी वालों की मौज
बरेली (ब्यूरो)। शहर भर में वैसे तो कई दुकान, ठेले और खोखे पर खुलेआम शराब पिलाई जा ही रही है। इसके साथ सूरज ढलते ही शराब पिलाने के लिए कई नए फड़ भी सज जाते है। लेकिन पिछले कुछ समय से नया ट्रेंड शुरू हो गया है। देशी की आड़ में अग्रेजी अनुज्ञापी अपनी दुकान के साथ ही कैंटीन भी चला रहे है। शहर में एक दर्जन से ज्यादा ऐसी कई अंग्रेजी दुकान हैं जिनकी अवैध तरीके से कैंटीन चल रही हैं। इसके अलावा भी बहुत सारी जगह पर खुलेआम शराब पिलाई जा रही है।
देशी कैंटीन
बता दें कि शहर में देशी शराब के पास बनी अंग्रेजी दुकानों पर सबसे ज्यादा ग्राहक पहुंचते है। क्योंकि शराब के शौकिन कैंटीन में बैठकर आसाम से शराब का सेवन कर पाते है। देशी के पास बनी कैंटीन में बैठकर शराब पीने से ग्राहक को सहुलियत रहती है। तो वहीं इस वजह से अग्रेंजी शराब की दुकान की सेल बढऩे के साथ ही, देशी कैंटीन की भी सेल काफी बढ़ जाती हैं। यहीं वजह है कि अंग्रेजी शराब संचालक की देशी कैंटीन संचालक से सेटिंग रहती है। जिस वजह से देशी कैंटीन संचालक अपनी कैंटीन को काफी अच्छे से रख रखाव और सामान की क्वालिटी पर भी ध्यान देते हैं।
110 आवेदन
बता दें कि जिले की 21 शराब की दुकानों का आवंटन हुआ था। इसके लिए कलेक्ट्रेट सभागार में ई-लॉटरी के माध्यम से 633 आवेदन आए थे। इसमें सबसे ज्यादा गांधी उद्यान के पास अंग्रेजी शराब की दुकान के 110 आवेदन आए थे। इसकी सबसे बड़ी वजह यहीं मानी गई थी कि गांधी उद्यान के आसपास कोई शराब की दुकान नहीं है। इसके अलावा इस दुकान के बराबर में एक देशी की दुकान है। जिसके पिछले हिस्से की काफी बड़ी जगह में कैंटीन खुली हुई है। जहां पर देशी शौकीनों की तुलना में अंग्रेजी के ज्यादा शौकीन बैठते है। यहीं वजह है कि इस दुकान के लिए सबसे ज्यादा आवेदन आए थे। जबकि यह दुकान उस समय बनी भी नहीं थी। दुकान की लॉटरी निकलने के बाद अनुज्ञापी ने ही दुकान बनवाकर काम शुरु किया था।
देशी दुकानों की एसी कैंटीन
वैसे तो देशी शराब की कैंटीन की हकीकत किसी से छिपी नहीं है। जहां पर पानी का पाउच और पांच रुपए की नमकीन में शौकीन अपना क्वाटर खत्म कर चला जाता है। लेकिन देशी कैंटीन की आड़ में अग्रेंजी पिलाने वालों की भी कई कैंटीन चल रहीं हैं। ऐसी कैंटीन को काफी अच्छे से मेनटेन किया हुआ है। साफ सफाई के साथ ही ऐसी कैंटीन में एसी की सुविधा भी दी गई है। जहां पर शराब के शौकिनों से वहां पर बैठने के नाम पर खाने पीने की चीजों का अतिरिक्त चार्ज वसूल किया जाता है।
चर्चा है कि शहर भर में कई जगहों पर अवैध रूप से शराब पिलाई जाती है। कई लोगों ने तो अवैध कैंटीन खोल रखी हैं। लेकिन साठगांठ होने की वजह से आबकारी विभाग के कर्मचारी इस पर कार्रवाई नहीं करते है और न ही इसकी जानकारी अपने अधिकारियों को देते है। ताकि ऐसी जगह पर कार्रवाई न हो सके। देशी की दुकान के साथ कैंटीन रहती है। इसके अलावा बियर शॉप वाले भी दुकान के अंदर बियर पिला सकते है। अंग्रेजी दुकान के अनुज्ञापी दुकान में बैठाकर शराब नहीं पिला सकते है्र। न ही आसपास बैठकर शराब पिलाने की अनुमति है। ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। कुछ ऐसी अग्रेंजी की दुकानें हैं। जो देशी दुकान के पास है। इस वजह से लोग देशी की कैंटीन में बैठकर शराब पी लेते है। इस पर रोक टोक नहीं है।
विजय प्रताप सिंह, आबकारी अधिकारी