प्रिंसिपल साहब, टॉयलेट की टेंशन कब दूर होगी?
- 18,000 से ज्यादा स्टूडेंट्स कॉलेज में पढ़ते हैं
- 10,000 से ज्यादा गर्ल्स रेगुलर एडमिशन लेती हैं - 24 से ज्यादा डिपार्टमेंट हैं कॉलेज में - 17 संविदा सफाई कर्मी पर सफाई का जिम्मा - गर्ल्स के सेपरेट टॉयलेट और वॉशरूम की व्यवस्था नहीं - गर्ल्स को कॉमन वॉशरूम ही शेयर करना पड़ता हैBAREILLY: छात्र संख्या के लिहाज से सबसे बड़ा कॉलेज का दावा करने वाले बरेली कॉलेज के पास गर्ल्स के लिए एक अदद ट्वॉयलेट भी नहीं है। कॉलेज का इतिहास क्77 वर्ष पुराना है। तब से आज तक कॉलेज में कई आमूलचूल बदलाव हुए। यहां पढ़ने वाली गर्ल्स की संख्या देश के किसी भी संस्थान से कहीं ज्यादा है। बावजूद इसके उनकी एकमात्र सबसे बेसिक नीड वॉशरूम की कमी खूब खलती है। इससे उनको कई अव्यवहारिक प्रॉब्लम्स का सामना करना पड़ता है। गर्ल्स के लिए अलग से ट्वॉयलेट ना होने का कारण क्या है? इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
ब्वॉयज से ज्यादा गर्ल्सबीसीबी में यूजी और पीजी में सबसे ज्यादा कोर्सेज कंडक्ट किए जाते हैं। करीब दो दर्जन से ज्यादा डिपार्टमेंट हैं। कॉलेज में क्8,000 से ज्यादा स्टूडेंट्स पढ़ते हैं। इनमें हर वर्ष एडमिशन लेने वाली गर्ल्स की संख्या म्0 परसेंट से ज्यादा ही रहती है। एक अनुमान के मुताबिक क्0,000 से ज्यादा गर्ल्स रेगुलर एडमिशन लेती हैं। देश के किसी भी एजूकेशनल इंस्टीट्यूशंस में इतनी संख्या में गर्ल्स शायद ही पढ़ती होंगी।
कुछ ही डिपार्टमेंट में है सेपरेट वॉशरूम कॉलेज में नई बिल्डिंग में लॉ डिपार्टमेंट है। यहां पर बीबीए और बीसीए की भी पढ़ाई होती है। इस डिपार्टमेंट के हर फ्लोर पर गर्ल्स और ब्वॉयज के लिए अलग-अलग वॉशरूम की सुविधा प्रदान की गई है। वहीं होम साइंस और केमेस्ट्री डिपार्टमेंट में भी गर्ल्स के लिए ट्वॉयलेट है। बाकी किसी भी डिपार्टमेंट में गर्ल्स के लिए अलग से ट्वॉयलेट नहीं है। जिन डिपार्टमेंट में है वहां पर कॉमन वॉशरूम है। वहीं कई ऐसे डिपार्टमेंट जहां पर ट्वॉयलेट है ही नहीं। जीसीआर की भी स्थिति अच्छी नहींकॉलेज की गर्ल्स कॉमन रूम की भी स्थिति अच्छी नहीं है। यहां पर स्थित वॉशरूम काफी गंदा है। गर्ल्स ने बताया कि वॉशरूम की कई दिनों तक सफाई नहीं की जाती। पानी तो रहता ही नहीं। लाइट की भी व्यवस्था नहीं है। जब वे अपने डिपार्टमेंट में पूछती हैं तो उन्हें जीसीआर में जाने के लिए कहा जाता है। एक वॉशरूम पर सैकड़ों गर्ल्स का लोड होता है। मजबूरी में जब बहुत जरूरत हो तो ही वॉशरूम का इस्तेमाल करती हैं। कॉलेज के ऑफिस में फॉर्म लेने व जमा करने, मार्कशीट, फीस समेत कई काम निपटाए जाते हैं। अक्सर यहां पर गर्ल्स की भीड़ लगी रहती है, लेकिन यहां पर भी गर्ल्स के लिए अलग से ट्वॉयलेट नहीं है।
गंदगी की भरमार इतनी संख्या में स्टूडेंट्स वाले कॉलेज में महज क्7 सफाई कर्मी हैं। वह भी संविदा पर, जिन पर पूरे कॉलेज की सफाई का जिम्मा है। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सफाई की क्वालिटी क्या होगी। डिपार्टमेंट में जो कॉमन वॉशरूम हैं वह भी बेहतर हालत में नहीं है। कहीं पर दरवाजे टूटे हुए हैं तो कही पर ट्वॉयलेट टूटे हुए हैं। हिंदी डिपार्टमेंट के नीचे बने कॉमन वॉशरूम को ही ले लें। यहां पर बहुत मजबूरी में गर्ल्स वॉशरूम को यूज करती हैं। वह भी तब जब कोई दूसरी गर्ल ट्वॉयलेट के बाहर खड़ी रहकर पहरा देती है। वॉशरूम में अंदर से कुंडी नहीं लगती। गंदगी की भरमार है। गर्ल्स को होती है प्रॉब्लमअलग से वॉशरूम ना होने के चलते गर्ल्स को कई तरह की व्यवहारिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कॉलेज में गर्ल्स का ना आना भी इसका प्रमुख रीजन बताया जा रहा है। ना केवल सिटी बल्कि दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स व दूर दराज के गावों से भी गर्ल्स यहां पर आती हैं, जिन्हें कभी भी वॉशरूम की जरूरत पड़ जाती हैं। वहीं कुछ जिम्मेदारों का इसको लेकर बेतुकी बयानबाजी भी है। वे कहते हैं कि गर्ल्स के लिए अलग से वॉशरूम बनाया तो उनकी सिक्योरिटी को खतरा पड़ सकता है। इतनी संख्या में गर्ल्स हैं, वॉशरूम को इस्तेमाल करते समय किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना भी हो सकती है।
हम बीए की स्टूडेंट हैं। हमारे डिपार्टमेंट में गर्ल्स के लिए अलग से वॉशरूम नहीं है। हमें तो पता भी नहीं है कि कॉलेज में हमारे लिए अलग से वॉशरूम है भी कि नहीं। कई तरह की प्रॉब्लम्स का सामना करना पड़ता है। - जैनब फातिमा, यूजी स्टूडेंट अलग से हमारे लिए वॉशरूम ना होने की वजह से गर्ल्स को काफी प्रॉब्लम होती है। कॉलेज को इस ओर ध्यान देना चाहिए। - आजमी खानम, यूजी स्टूडेंट इक्के-दुक्के डिपार्टमेंट में ही गर्ल्स के लिए वॉशरूम है। डिपार्टमेंट के टीचर्स जीसीआर में जाने के लिए कहते हैं। वॉशरूम में काफी गंदगी है और लाइट व पानी की सुविधा नहीं है। जीसीआर में गर्ल्स की संख्या काफी ज्यादा होती है। - ज्योति मेहरा, पीजी स्टूडेंट