तो गर्ल्स हॉस्टल में भी पी जाती है शराब
6,700 रुपए सालाना वसूला जाता है हर स्टूडेंट से
21 कमरे में हैं गर्ल्स हॉस्टल में BAREILLY: बरेली कॉलेज के गर्ल्स हॉस्टल के हालात भी ब्वॉयज हॉस्टल से जुदा नहीं है। हॉस्टल का कंपाउंड कूड़े और कबाड़ से तो पटा तो है ही साथ ही कई जगहों पर शराब की खाली बोतलें भी पड़ी हैं। यहां सबसे बड़ा सवाल है कि गर्ल्स हॉस्टल में आखिर शराब कौन पीता है। वहीं हॉस्टल के अंदर की स्थिति भी ज्यादा अच्छी नहीं है। कॉमन रूम से लेकर वॉशरूम तक गंदगी का आलम है। कॉलेज चाहे कितना भी दावे कर ले, लेकिन हकीकत उससे भी छिपी नहीं है। इसलिए तो शुरू में हॉस्टल में अलॉटमेंट लेने के बाद अधिकांश छात्राएं सेशन के बीच में हॉस्टल छोड़ देती हैं। एक रूम में तीन छात्राएंगर्ल्स हॉस्टल में कुल ख्क् रूम हैं। हर रूम में तीन स्टूडेंट्स को ठहराने की व्यवस्था है। हर स्टूडेंट से सालाना म्,700 रुपए चार्ज वसूला जाता है, जिसमें भ्00 रुपए कॉशन मनी है। इसके अलावा मेस के लिए अलग से सालाना क्,800 रुपए चार्ज किया जाता है। कॉलेज ने अपने प्रॉस्पेक्टस में गर्ल्स को तमाम सुविधाएं देने का दावा किया है। हर छात्रा के लिए स्टडी टेबल, ड्रेसिंग टेबल, बेड के अलावा अलग से अलमारी की भी व्यवस्था का दावा किया गया है। यहां तक कि हर छात्रा के लिए अलग से वॉशरूम प्रोवाइड करने का भी दावा है। ख्ब् घंटे बिजली व पानी की फैसिलिटी प्रोवाइड करने का भी दंभ भरते हैं।
कंपाउंड में नहीं घूम सकती छात्राएं गर्ल्स हॉस्टल का कंपाउंड ब्वॉयज हॉस्टल के मुकाबले काफी बड़ा है। बावजूद इसके गर्ल्स कंपाउंड में घूमने और बैठने से काफी डरती हैं। गार्डन साल भर में एक बार ही साफ होता है। कुछ समय बाद ना तो गार्डन टहलने लायक रहता है और ना ही वहां पर लगी सीट भी बैठने के लायक बचती है। जहां तक नजर डालिए वहां तक लंबी-लंबी जंगली घास नजर आती है। कंपाउंड का बाकी हिस्सा किसी उजाड़ जंगल की तरह है, जिसकी कभी सफाई नहीं होती। जगह-जगह कबाड़ पड़े हुए हैं। एक खराब बस भी खडी है। स्टूडेंट्स इस हिस्से में आने से काफी डरती हैं। कंपाउंड में शराब की बोतलेंकंपाउंड के जिस हिस्से में गर्ल्स आने से डरती हैं वहां पर जगह-जगह शराब की खाली बोतलें फिकी हुई हैं, जो गर्ल्स हॉस्टल छोड़ कर जा चुकी हैं उन्होंने बताया कि हॉस्टल के मेल कर्मचारियों को कई बार शराब के नशे में देखा गया है। उन्होंने बताया कि मेस के स्टाफ समेत यहां पर कई मेल कर्मचारी हैं। गर्ल्स हॉस्टल में मेल द्वारा शराब पीना एक गंभीर इश्यू है।
लाइट तो रहती नहीं है कॉलेज गर्ल्स हॉस्टल के लिए जेनरेटर के साथ इनवर्टर प्रोवाइड करने का भी दावा करता है। लेकिन सब हवा हवाई ही है। दिन तो किसी तरह से गुजर जाता है, लेकिन रात में गर्ल्स सहमी-सममी सी रहती हैं। हॉस्टल की बाउंड्री भी काफी छोटी है। गर्ल्स ने बताया कि ब्वॉयज हॉस्टल में स्टूडेंट्स लीडर्स के हस्तक्षेप के चलते जेनरेटर से बिजली सप्लाई कर देते हैं गर्ल्स हॉस्टल में तो अंधेरा ही रहता है। रहना तो दूर खड़ा रहना ही दूभर गर्ल्स हॉस्टल में सफाई के खास इंतजाम नहीं हैं। वॉशरूम इतने गंदे हैं कि यहां पर खड़ा रहना ही दूभर हो जाता है। कॉमन रूम का साइज तो इतना भी नहीं है कि एक साथ सभी छात्राएं समा सकें। अधिकांश कमरों में पुराने तख्त आरामदायक नहीं हैं। दरवाजे और खिड़कियों की हालत खस्ता है। कई कमरों में पंखे काफी पुराने और खराब हैं। स्विच बोर्ड भी ठीक से काम नहीं करते। छात्राओं ने बताया कि कुछ समय बाद कई छात्राएं यहां से पलायन कर जाती हैं।हॉस्टल की साफ-सफाई के लिए कॉलेज को दो बार एप्लीकेशन दी जा चुकी है। बारिश के बाद ही सफाई होगी। बाउंड्री वॉल को उंची करानी है। कुछ सामान भी बदलवाने हैं उसे बाद में करा लिया जाएगा।
- डॉ। सुषमा गोंडियाल, वॉर्डन, गर्ल्स हॉस्टल, बीसीबी