सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हैं कि मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पॉलिसी भी यहां दम तोड़ देती है. जिस विभाग के पास सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी जितनी अधिक है

बरेली (ब्यूरो)। सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हैं कि मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पॉलिसी भी यहां दम तोड़ देती है। जिस विभाग के पास सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी जितनी अधिक है, उस विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला भी उतना ही अधिक है। भ्रष्टाचार में सरकारी विभागों की रैंकिंग का भी यही पैमाना है। ऐसी योजनाओं में भ्रष्टाचार रोकने के लिए सरकारी की डीबीटी यानी डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर स्कीम भी उतनी कारगर साबित नहीं हो पा रही है। विभाग के अधिकारी और कर्मचारी आपसी मिलीभगत से डीबीटी का फायदा भी खुद ही उठा रहे हैं। कृषि विभाग ऐसे ही विभागों में से एक है। इस विभाग में किसानों के नाम पर करोड़ों का बजट आवंटित होता है और इनमें से लाखों रुपये अधिकारी और कर्मचारी खुद ही डकार जाते हैं। बरेली में ऐसा ही मामला उजागर हुआ और लाखों की रिकवरी के लिए शासन को भी पत्र भेजा गया, पर महीनों बीत जाने के बाद भी भ्रष्ट अधिकारी और दूसरे कर्मचारियों से इस रकम की रिकवरी नहीं हो सकी।

अपने ही खाते में ट्रांसफर करा ली रकम
सरकार किसानों की आय बढ़ाने के साथ ही उन्हें बेहतर बीज, फर्टिलाइजर, पेस्टिसाइड, कृषि उपकरण जैसी जरूरतों के लिए विभिन्न योजनाओं के जरिए सब्सिडी भी उपलब्ध कराती है। किसानों के इस हिस्से पर विभाग के भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी भी अपनी गिद्ध दृष्टि जमाए रखते हैं। बरेली में तैनात रहे कृषि अधिकारी धीरेन्द्र सिंह चौधरी, नेशनल फूड सेक्युरिटी मिशन यानी एनएफएसएम के सलाहकार अमित सिंधू, एक बाबू इन्द्र मणि शर्मा और कई राजकीय गोदाम प्रभारियों ने सब्सिडी और किसान गोष्ठियों के लिए आवंटित लोखों की रकम को अपने ही बैंक खातों में ट्रांसफर करा लिया।

मार्च में बजट लगया ठिकाने
फाइनेंशियल ईयर के अंतिम दिनों में सरकारी विभाग अपने बजट को लेप्स होने से बचाने के लिए उसे ठिकाने लगाने का भरसक प्रयास करते हैं। वर्ष 2022 के मार्च में कृषि विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने आपसी मिलीभगत से ऐसा ही कारनामा किया। तब कृषि अधिकारी धीरेन्द्र सिंह चौधरी के बैंक खाते में 31 मार्च को सब्सिडी का 14,500 रुपया ट्रांसफर कर दिया गया। इसी तरह 31 मार्च 2022 को ही विभाग के बाबू इन्द्र मणि शर्मा के बैंक खाते में 11,700 रुपया ट्रांसफर करा दिए गए। तीन मार्च को अलग-अलग जगहों के राजकीय गोदाम प्रभारियों के बैंक खातों में किसान गोष्ठियों का 5,57635 रुपये का बजट ट्रांसफर हो गया।

शिकायत पर सीडीओ ने की जांच
कृषि विभाग में इस भ्रष्टाचार का मुद्दा तब किसान यूनियन के खूब उठाया था। इसकी शिकायत होने पर जिला प्रशासन ने जांच की जिम्मेदारी सीडीओ जग प्रवेश को सौंपी। सीडीओ ने जब इस मामले की जांच की तो उन्हें सरकारी रकम इन लोगों के निजी बैंक खातों में ट्रांसफर होना मिला। उन्होंने इस धोखाधड़ी में सरकारी धन को अपने निजी बैंक खाते में लेने वालों के साथ ही विभाग के अकाउंटेंट और एक दूसरे बाबू को भी दोषी पाया। उन्होंने सभी दोषियों से उस सरकारी रकम की रिकवरी के साथ उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी।

छह महीने बाद भी नहीं हुई रिकवरी
कृषि विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए शासन स्तर से भी भी ढिलाई बरती जा रही है। सीडीओ की जांच में दोषी पाए गए कृषि अधिकारी और राजकीय गोदाम प्रभारियों से छह महीने बाद भी निजी बैंक खातों में ट्रांसफर की गई रकम की रिकवरी नहीं होने से इसकी पुष्टि हो रही है। इस संबंध में संयुक्त कृषि निदेशक डॉ। राजेश कुमार ने बताया कि दोषी कर्मचारियों से रिकवरी की प्रक्रिया डायरेक्टर स्तर से ही अंडर प्रोसेस है।

एनएफएसएम का सलाहकार भी घेरे में
राष्ट्रीय खाद्य मिशन के अंतर्गत कृषि विभाग में बतौर सलाहकार तैनात अमित सिंधू पर भी किसान गोष्ठी और दूसरे मद का बजट अपने खाते में ट्रांसफर कराने के गंभीर आरोप लगे हैं। किसानों ने कई बार इसकी शिकायत भी की है। जांच में मामला सही पाया गया और रिकवरी के साथ ही कार्रवाई के आदेश भी हुए। विभागीय अधिकारियों की अनदेखी से अमित सिंधू के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

कागजों में ही बजट की बंदरबांट
सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चला रही है। इसमें किसानों को उन्नत खेती के लिए सब्सिडी में आधुनिक कृषि यंत्र, बेहतर बीज और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। इसके अलावा किसान गोष्ठियों के माध्यम से भी किसानों को खेती से जुड़ी नई-नई जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। इसके लिए सरकार विभाग को भरपूर बजट भी आवंटित करती है। विभाग के जिम्मेदार आपसी मिलीभगत से इस बजट की बंदरबांट कर लेते हैं।

इनके नाम ट्रांसफर हुई रकम
नाम -- पद-- रकम
धीरेन्द्र सिंह चौधरी- कृषि अधिकारी 14,500
इन्द्रमणि शर्मा बाबू 11,700
अनिल कुमार राजकीय गोदाम प्रभारी 79990
अशोक कुमार राजकीय गोदाम प्रभारी 79990
नरेन्द्र कुमार राजकीय गोदाम प्रभारी 79700
रवि शंकर ंिसह राजकीय गोदाम प्रभारी 79990
सुनील कुमार सिंह राजकीय गोदाम प्रभारी 77980
सूर्य प्रकाश राजकीय गोदाम प्रभारी 80000
यज्ञ देव शर्मा राजकीय गोदाम प्रभारी 79985

कृषि विभाग में भ्रष्टाचार के मामले की मैंने जांच की थी। जांच में सरकारी रकम कृषि अधिकारी और राजकीय गोदाम प्रभारियों के निजी बैंक खातों में ट्रांसफर होने की शिकायत सही पाई गई। दोषियों से उस रकम की रिकवरी और इसके लिए जिम्मेदार अकाउंटेंट के खिलाफ भी कार्रवाई के लिए विभाग के डायरेक्टर को पत्र भेज दिया गया था। रिकवरी और कार्रवाई विभाग स्तर से ही अमल में लाई जाएगी।
जग प्रवेश, सीडीओ
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सरकारी बजट को कोई भी सरकारी कर्मचारी अपने निजी बैंक अकाउंट में ट्रांसफर नहीं करा सकता है। विभाग के जो भी लोग इसमें दोषी पाए गए, उनसे रिकवरी और सजा की कार्रवाई मुख्यालय स्तर से ही अंडर प्रोसेस है। चूंकि यह मामला मेरे कार्यकाल से पहले का है, इसलिए मुझे इस संबंध में ज्यादा जानकारी नहीं है।
डॉ। राजेश कुमार, संयुक्त कृषि निदेशक

Posted By: Inextlive