लोगों की लाइफ काफी बिजी हो गई है. लोग खुद के लिए टाइम ही नहीं निकाल पा रहे. डेली बिजी रूटीन और वर्क प्रैशर की वजह से लोग कई तरह के मेंटल डिस्ट्रैस का शिकार हो जाते हैैं.

बरेली (ब्यूरो)। लोगों की लाइफ काफी बिजी हो गई है। लोग खुद के लिए टाइम ही नहीं निकाल पा रहे। डेली बिजी रूटीन और वर्क प्रैशर की वजह से लोग कई तरह के मेंटल डिस्ट्रैस का शिकार हो जाते हैैं। ऐसे में हमारे आस-पास का एनवायमेंट भी काफी असर डालता है। अगर कोई भी पर्सन ग्रीनरी के बीच रहता है तो उसमें स्ट्रेस लेवल भी कम होता है।

क्या कहती है रिसर्च
हाल में हुई रिसर्च में पाया गया है कि शहर के हरे-भरे इलाकों में रहने वाले लोगों में डिप्रेशन और एंग्जाइटी होने का जोखिम कम पाया जाता है। ग्रीन एंवायरमेंट में रहने वाले लोगों में मेंटल डिस्ट्रैस 71 प्रतिशत कम होता है। वे लोग जो घने और कंक्रीट के घने इमारतों वाले इलाके में रहते हैं। उनमें डिप्रेशन और एंग्जाइटी का खतरा ज्यादा पाया जाता है। रिसर्च के रिजल्ट में कहा गया हैै कि जैव विविधता का मेंटल हेल्थ से गहरा संबंध हैं। लंदन के किंग्स कॉलेज की रिसर्च में कहा गया है कि स्टडी में हरे-भरे इलाके और धनी इमारतों के बीच रहने वाले लोगों की मेंटल हेल्थ पर फर्क देखा गया है। यह रिसर्च अप्रैल 2018 से सितंबर 2023 के बीच की गई। इसके लिए एप के जरिए डेटा जुटाया गया, जिसमें शहरी और ग्रामीण इलाकों के लोगों का अनुभव दर्ज किया गया। दिनभर में 1,998 लोगों ने अपने पर्यावरण और मेंटल हेल्थ के बारे में 41,000 आकलन पेश किए।

25 प्रतिशत को पर दिखा फर्क
रिसर्च बताया गया है कि 25 प्रतिशत लोगों ने मानना कि जहां भी नदी, पेड़, झाडिय़ां और झरने आदि होते हैं। वहां पर मन को काफी शांति मिलती है और आसपास का एंवायरमेंट भी पीसफुल हो जाता है, जबकि ऐसी जगह जहां पर कम प्राकृतिक विविधता होती है ग्रीनरी नहीं होती है। वहां के लोगों में एक बेचैनी सी महसूस होती है। रिसर्च में बताया गया है कि बायो डाइवर्ससिटी की रक्षा और प्रचार करके मेंटल हेल्थ को बढ़ाया जा सकता है।

तनाव का असर होगा कम
रिसर्च में ग्रीनरी की कमी किस तरह से असर डालती है इस बारे में पता किया गया। 15,000 घरों को लेकर किए गए अन्य हालिया सर्वेक्षण में पाया गया कि जो लोग पौधों और पक्षियों वाले इलाकों में रहते हैैं या फिर प्रकृति की छाव में रहते हैैं। उनमें सामाजिक और आर्थिक परेशानी होने के बावजूद भी मेंटल डिस्ट्रैस की समस्याएं कम पाई जाती थी। वहीं रिसर्च में में एक और बात यह भी कहा गया है कि हमेशा हरे-भरे इलाकों में रहना जरूरी नहीं है।

प्लांट स्ट्रेस को करते हैैं कम
प्रकृति के पास हर चीज का उपाय होता है। स्ट्रेस डिप्रैशन जैसी कई सारी परेशानियां ग्रीनरी की मदद से दूर हो जाती हैैं। पौधों से निकलने वाला ऑक्सीजन ज्यादा वैसे भी बॉडी के लिए फायदेमंद होता है और आसपास के एनवायरमेंट को पॉजिटिव और शुद्ध कर देते है। पौधों शांति देने वाली होती है। उद्हारण के तौर पर आप जितने भी गुस्से में हो या परेशान हो पर जैसे हरियाली के बीच जाते हैैं वैसे ही बॉडी भी धीरे-धीरे कूल होने लगती है। हमारे आसपास की निगेटिव एनर्जी धीरे-धीरे पॉजिटिव एनर्जी में चेंज होने लगती है। क्योंकि वहां का वातावरण वैसा ही होता है शांत और शालीन होता है।

बड़ी-बड़ी इमारतों में गायब हरियाली
आजकल हर तरफ बड़ी-बड़ी इमारते तो देखने को मिल रही हैैं, लेकिन उनके आस-पास हरियाली भी गायब होती जा रही है। ऐसे में मन को शांत रखने के लिए ग्रीनरी जरूरी है। साफ हवा और अच्छी सेहत के लिए पौधों को लगा सकते हैैं।

Posted By: Inextlive