बरेली : 60 लाख बन गए ‘बजरी’, गड्ढों में फिर तब्दील होने लगीं सडक़ें
बरेली (ब्यूरो)। दो माह पहले कैंट बोर्ड ने 60 लाख की लागत से क्षेत्र की सडक़ों के गड्ढे भरवाए थे। इसके साथ ही बोर्ड ने कुछ सडक़ों के बड़े हिस्से की मरम्मत कराकर सडक़ भी बनवाई थी, जो दो माह में ही उखडऩे लगी हैं। गड्ढों में से पत्थर और बजरी बाहर निकलने लगे हैं। इस वजह से हादसे का खतरा बड़ गया है। कई बार बाइक वाले इन गड्ढों में फंस कर गिरने से चोटिल हो जाते हैं।
इस्तेमाल हुई घटिया सामग्री
60 लाख रुपयों की लागत से जो गड््ढे भरे गए और जिन सडक़ों पर बड़े-बड़े पैच लगाए गए थे। वह 60 दिन भी नहीं टिक सके। गड्ढे दोबारा खुल गए हैं। सडक़ों पर लगाए गए पैच बजरी बनकर उखड़ रहे हैं। जिन गड्ढों को लोगों की दिक्कतें दूर करने के लिए भरा गया था। उन ही गड्ढों और सडक़ोंं से निकल कर फैलने वाली बजरी लोगों के लिए मुसीबत साबित हो रही है।
की जाएगी कंप्लेंट
बता दें कि स्थानीय लोगों में इसको लेकर रोष है। रितेश अग्रवाल ने बताया कि वह इसको लेकर कैंट बोर्ड के सीईओ और रक्षा संपदा के उच्चाधिकारियों से इसकी शिकायत करेंगे। उन्होने बताया कि ठेकेदार ने बेहद ही घटिया सामग्री का प्रयोग किया है। यह ही वजह है कि दो माह में ही सडक़ उखडऩे लगी है।
बता दें कि कैंट क्षेत्र में जल्द ही 3.20 करोड़ की लागत से सडक़ों को बनाया जाना है। लोगों का कहना है कि इस बार कैंट बोर्ड के अधिकारियों को अलर्ट रहने की जरूरत है। बोर्ड को सडक़ बनाने के दौरान इस्तेमाल होने वाली सामग्री की गुणवक्ता को चेक करने की जरूरत है ताकि भविष्य में बनने वाली सडक़ पूरे मानकों के साथ बनाई जा सके। इसके साथ ही लापरवाही और धांधली करने वाले ठेकेदारों पर सख्ती बरती जाए। पब्लिक की बात
दो माह के भीतर ही पैच का उखड़ जाना और सडक़ों पर दोबारा गड्ढे हो जाना इस बात का सबूत है कि बहुत घटिया सामग्री का प्रयोग किया गया है। जिम्मेदारों को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
रितेश अग्रवाल यह बोर्ड के अधिकारियों की बड़े स्तर पर लापरवाही है। काम होने के समय अधिकारियों को माल की गुणवक्ता को चेक करना चाहिए था ताकि ठेकेदार पर कार्रवाई समय रहते हो जाती।
सत्यप्रकाश कन्नौजिया
इस तरह के रोड बनाने के दौरान किस तरह का खेल हुआ होगा, इस बात का अंदाजा मौजूदा समय में रोड की हालत देखकर लगाया जा सकता है। इस मामले में कार्रवाई होनी चाहिए।
अमर सिंह
संजू कमीशनखोरी की वजह से ही खराब सडक़ें बनाई जा रही हैं। यह ही वजह है कि कई-कई सालों तक चलने वाली सडक़ें कुछ महीनों में ही उखड़ जा रही हैं।
अंशित