हेयर वेस्ट को यूं तो मुसीबत ही समझा जाता है पर यह मुसीबत की चीज भी काम की हो सकती है यह जानकार आपको भी थोड़ा अचंभा तो होगा ही. घर से बाहर तक परेशानी का सबब बनने वाले वेस्ट हेयर से फर्टिलाइजर बनाकर प्रकृति की हरियाली को बढ़ाया जा सकता है. एमजेपीआरयू के रुहेलखंड इंक्यूबेशन फाउंडेशन यानी आरआईएफ में ऐसा ही एक स्टार्टअप तेजी से पॉपुलैरिटी बटोर रहा है. इस स्टार्टअप का नाम भूरस मेडजीवन हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड है.

बरेली (ब्यूरो)। हेयर वेस्ट को यूं तो मुसीबत ही समझा जाता है, पर यह मुसीबत की चीज भी काम की हो सकती है, यह जानकार आपको भी थोड़ा अचंभा तो होगा ही। घर से बाहर तक परेशानी का सबब बनने वाले वेस्ट हेयर से फर्टिलाइजर बनाकर प्रकृति की हरियाली को बढ़ाया जा सकता है। एमजेपीआरयू के रुहेलखंड इंक्यूबेशन फाउंडेशन यानी आरआईएफ में ऐसा ही एक स्टार्टअप तेजी से पॉपुलैरिटी बटोर रहा है। इस स्टार्टअप का नाम भूरस मेडजीवन हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड है। यह स्टार्टअप वेस्ट हेयर से फर्टिलाइजर बनाने जैसा नया काम कर रहा है।

कहां से आता है हेयर
कंपनी के डायरेक्टर अनु प्रताप सिंह ने बताया कि पहले तो समझ नहीं आ रहा था की हेयर कहां से लाएं फिर एक प्लान आया की हेयर कट कराने तो सभी जाते हैं। इसलिए सैलून ही हमारे लिए कलेक्शन सेंटर हो सकते हैं। वह कहते हैं कि लोगों ने तो यह कभी सोचा ही नहीं होगा कि आखिर उनके कटे हुए हेयर का कुछ हो भी सकता है। लोग अक्सर हेयर कट कराने के बाद निकल जाते है, लेकिन उन्हें यह नहीं पता है कि इन हेयर्स का मिलियन, ट्रिलियन में बिजनेस होता है। धीरे-धीरेे हेयर कलेक्शन तेजी से बढ़ता गया और उनका काम भी रफ्तार पकड़ता गया।

छह लोगों की है टीम
डायरेक्टर अनु प्रताप ने बताया कि पहले तो उन्होंने दो लोगों के साथ काम की शुरुआत की थी। अब हमारी टीम छह लोगों की हो गई है। हम सब मैैनवली काम कर रहे हैैं। उन्होंने बताया कि पहले बालों को इकट्ठा कर उसकी टेस्टिंग की। इसके बाद एक इन बालों को एक प्रोसेस के जरिए खाद में बदला गया, जिसे सबसे पहले अपने ही खेतों पर टेस्ट किया। इसके बाद जब पॉजिटिव रिजल्ट आया तो इसे लोगों तक पहुंचाना शुरू किया।

वेस्ट हेयर से फर्टिलाइजर का सफर
हेयर को फर्टिलाइजर में कंवर्ट करने के लिए कई स्तर पर प्रोसेस किया जाता है। इसके बाद ही फाइनल रिजल्ट प्राप्त हुए। यह सफर पांच स्टेज में पूरा होता है।
1- कलेक्शन ऑफ हेयर
2- हेयर को हीट और एसिडिक सॉल्यूशन में ट्रीट करना
3- इसके बाद हेयर में मौजूद प्रोटीन स्ट्रक्चर को ब्रेक डाउन करना और इसके बाद अमीनों एसिड, पेेस्टिसाइड््स और अदर ऑर्गेनिक कम्पाउंड फॉर्मेशन
4- इस मिक्सचर को फर्टिलाइजर एप्लीकेशन के लिए न्यूट्रीलाइज करना
5- प्रॉसेस के बाद फाइनल प्रोडक्ट तैयार करना

स्वाइल हेल्थ हुई इंप्रूव
अनु प्रताप सिंह ने बताया कि यह एक इको-फ्रैंडली प्रोडक्ट है। इसके इस्तेमाल स्वाइल फर्टिलिटी इंक्रीज होगी। क्रॉप स्ट्रक्चर ग्रो करेगा। इसके अलावा वॉटर रिटेंशन कैपेसिटी भी इंक्रीज होगी। इसकी वजह से प्लांट में माइक्रोवेल एक्टिविटी प्रमोट होगी और प्लांट तेजी से न्यूट्रीयंट एब्जॉर्ब करेगा। वहीं इन सभी प्रोसेस से स्वाइल की लाइफ हेल्दी होगी, क्रॉप की यील्ड भी अधिक होगी।

प्रोडक्ट में है जरूरी न्यूट्रीयंट्स
पेड़ पौधों में जरूरी न्यूट्रीयंट्स उनकी उपज को तेजी से बढ़ा देती हैं। उनके प्रोडक्ट में नाइट्रोजन, पोटेशियम, फॉसफोरस आदि कई चीजें मौजूद हैैं। जो लॉन्ग टर्म के लिए बेनीफीशियल रहेेगा। हेयर से फर्टिलाइजर तैयार करने से इनका रियूज हो जाता है। हेयर से तैयार फर्टिलाइजर पौधों के लिए बेहतर तो है ही, इसकी कॉस्ट और क्वालिटी भी अच्छी है। एक किलोग्राम बाल से 20 लीटर फर्टिलाइजर तैयार किया जाता है, जिसे 20 एकड़ के क्रॉप में यूज किया जाता है।

28 में से एक स्टार्टअप
आरआईएफ के ऑपरेशन एग्जीक्यूटिव रॉबिन बालियान ने बताया कि इनका स्टार्टअप यूपी गवर्नमेंट के सलेक्ट किए गए स्टार्टअप्स में से एक हैै। इसके अलावा भूरस को यूपी गवर्नमेंट की ओर से ग्रांट भी प्रोवाइड की गई है। आरआईएफ हर तरह से स्टार्टअप को प्रोमोट करने में लोगों की मदद करता है।

हमारा प्रोडक्ट बहुत ही यूनिक है। हम हेयर का इस्तेमाल करके फर्टिलाइजर बनाते हैैं। हमारी इस कंपनी की फाउंडर उदिता सिंह हैं। हमारे इस प्रोडक्ट की डिमांड लोगों में तेजी से बढ़ती जा रही हैैं। इसका नाम भूरस है, जो भूमी के लिए उपजाऊ रस है।
अनु प्रताप सिंह, डायरेक्टर

आरआईएफ लोगों के आइडियाज को हकीकत बनाने में मदद करता है। इनका हेयर से फर्र्टिलाइजर बनाने का तरीका बहुत ही यूनिक है। वैसे तो हेयर का इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट का बिजनेस बहुत ही लार्ज है। इनके प्रोडक्ट को रॉ-मेटेरियल फ्री मिल रहा है। इसके अलावा यूपी स्टार्टअप से भी इन्हें फंड प्रोवाइड किया है।
रॉबिन बालियान, ऑपरेशन एग्जीक्यूटिव

फैक्ट एंड फिगर
118.7 मिलियन: लैैंड ऑफ फॉर्मस और गार्डनर्स हैं
25.6 मिलियन: फॉर्मस और गार्डनर्स सिर्फ यूपी में हैं
6 मिलियन: प्रोग्रेसिव फॉर्मस और गार्डनर्स ऑनलाइन प्रोडक्ट सर्च करते हैैं।
32 प्रतिशत विमेन गार्डनिंग में इंवॉल्व हैं
68 प्रतिशत मेन फॉमर्स कामर्शियल फार्मिंग में इंवॉल्व हैैं।

Posted By: Inextlive