परमिट बंद फिर भी जारी हुए
- दलालों की शह पर होता है परमिट जारी और बंद
- परमिट बंद होने के दौरान भी जारी हुए हैं परमिट BAREILLY: आरटीओ ऑफिस में दलालों की एक और कारगुजारी सामने आई है। यहां दलालों की शह पर परमिट बंद और ओपेन किए जाने का खेल चलता है। जबकि परमिट जारी करने पर रोक है। इसके बावजूद सैकड़ों ऑटो रोड पर आ गए। अब अपनी गलतियों को छुपाने के लिए आरटीओ के ऑफिसर्स नए खेल करने में लगे हुए हैं। इस संबंध में कमिश्नर ने भी जांच आख्या भिजवाएं जाने के संबंध में परिवहन आयुक्त को लेटर लिखा था। परमिट बंद फिर भी जारीसोर्सेज से मिली जानकारी के मुताबिक सितम्बर 2011 से शहर में सीएनजी परमिट जारी करने पर रोक है, लेकिन इसके बाद भी आरटीओ ऑफिस से सैकड़ों की संख्या में सीएनजी वाले ऑटो के परमिट जारी किए गए हैं। एक अनुमान के मुताबिक फर्जी ढंग से जारी किए गए ऑटो की संख्या 1200 से भी अधिक है। इस खेल के पीछे की वजह भी दलाल हैं, जिनके कहने पर आरटीओ ऑफिस ने परमिट जारी किए हैं। लीगल तौर पर जारी किए परमिट की बात करें तो शहर में 3560 और ग्रामीण क्षेत्र में 1267 ऑटो को परमिट जारी किए गए हैं। लेकिन प्रजेंट टाइम में सिर्फ शहर में ही 5,000 से अधिक ऑटो दौड़ रहे हैं।
ये शख्स है दलाली में माहिर आई नेक्स्ट के हाथ जो लेटर लगा है। उसमें एक ही शख्स परमिट बंद और ओपेन करने के लिए परिवहन आयुक्त को लेटर लिख चुका है। इतना ही नहीं उसने अपना एड्रेस भी चेंज कर रखा है। जिससे यह साबित हो सके कि परमिट के लिए आवेदन करने वाले अलग-अलग व्यक्ति हैं। मोहम्मद अहमद नूरी ने पहला लेटर 27 जनवरी 2012 को परमिट जारी करने के लिए परिवहन आयुक्त को लिखा था। इस लेटर में उसने अपना एड्रेस बाबूगंज लखनऊ का दिखाया है। जबकि 6 जनवरी 2012 को उसने किला बरेली के एड्रेस से परमिट बंद करने का लेटर लिखा है। कमिश्नर ने भी माना था गलतइस मामले में अधिकारियों द्वारा की गई जांच में दलालों द्वारा की गई अपील को निराधार और असत्य पाया गया था। इतना ही नहीं देहात परमिट को शहर में तब्दील कर अवैध संचालन पर रोक लगाने को कहा था, लेकिन इसके बाद भी कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिला। आज की डेट में आरटीओ विभाग पैसे लेकर देहात ऑटो चालकों से मनमाना पैसा लेकर शहर में कंवर्ट करने में लगा हुआ है।
परमिट बंद होने के दौरान किसी के कहने या ना कहने पर परमिट जारी नहीं हुए हैं। पिछले कुछ सालों में जो परमिट निरस्त हुए हैं, उसकी जगह ही लोगों को परमिट दिए गए है। संजय सिंह, आरटीओ, इंफोर्समेंट मोहम्मद अहमद नूरी और अभिमन्यु त्रिपाठी नाम के दो लोगों के कहने पर परमिट ओपेन और बंद किए जाते रहे हैं। परमिट बंद होने के बाद भी कई वाहनों के परमिट जारी हुए हैं। इनमें मोहम्मद नूरी एक लेटर में खुद को अनपढ़ और दूसरे लेटर में पढ़ा लिखा बताता है। -गुरुदर्शन सिंह, सेक्रेटरी, ऑटो चालक कल्याण सोसाइटी