तीन घंटो की मेहनत तीन मिनट में 'चेक'आउट
-तीन से चार मिनट में तय हो रहा छात्रों का भविष्य
-धीरे-धीरे बढ़ रहा मूल्यांकन का बर्डन - मूल्यांकन के अंतिम दौर में एक कॉपी पर दिया जाएगा महज 1 से दो मिनट का समयBAREILLY: साल भर की मेहनत सवा तीन घंटे के एग्जाम में निचोड़ देने के बाद जब स्टूडेंट्स की मेहनत को मार्क्स से नवाजे जाने का समय आया तो कुछ ही मिनटों में उसके फ्यूचर का रास्ता तय कर दिया जा रहा है। यह सब कुछ हो रहा है यूपी बोर्ड की कॉपीज के मूल्यांकन कार्य में। टीचर्स के उपर कॉपीज चेकिंग का बर्डन इतना ज्यादा है कि वे तय मानक के इतर जल्दी से जल्दी कॉपी चेक करने में जुटे हुए हैं। मूल्यांकन पहले से ही काफी लेट हो चुका है। ऊपर से चेकिंग में लगे सभी टीचर्स हाजरी नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे में जो हैं वे ज्यादा से ज्यादा कॉपी चेक कर रहे हैं। कॉपी चेकिंग में लगे टीचर्स ने बताया कि आखिरी समय में तो कॉपी चेकिंग का का टार्गेट डबल कर दिया जाएगा।
मानक से विपरीत चेकिंगयूपी बोर्ड मूल्यांकन में लगे गुरुजनों के ऊपर धीरे-धीरे कॉपी चेकिंग का बर्डन बढ़ता जा रहा है। ऐसा मूल्यांकन के शुरुआती दौर में टीचर्स की इलेक्शन ड्यूटी में व्यस्तता की वजह से हुआ है। आलम यह है कि मूल्यांकन के लिए बोर्ड द्वारा घोषित डेट के भीतर कॉपी चेकिंग का काम पूरा करना भी असंभव लग रहा है। ऐसे में टीचर्स को मानक से विपरीत कॉपियां प्रोवाइड कराकर किसी तरह से मूल्यांकन पूरा कराने का प्रयास किया जा रहा है। मानक की बात करें तो टीचर्स को कॉपी चेक करने के लिए एक दिन में भ् घंटे का समय दिया जाता है। हाई स्कूल टीचर को एक दिन में ब्0 और इंटर के टीचर को एक दिन में भ्0 कॉपी जांचनी होती हैं। इसके लिए हाईस्कूल के टीचर को पर कॉपी ब् और इंटर के टीचर को पर कॉपी भ् रुपए का मानदेय दिया जाता है।
म्00 और 700 कॉपियां प्रति टीचरबोर्ड द्वारा मूल्यांकन केंद्रों पर भेजी गई कॉपियों की चेकिंग के लिए लगाए गए टीचर्स और कॉपियों का अनुपात देखा जाए तो प्रत्येक टीचर्स को क्भ् दिनों के भीतर हाईस्कूल में करीब म्00 और इंटरमीडिएट में करीब 700 कॉपियों का मूल्यांकन करना है। इलेक्शन में व्यस्तता की वजह से सेंटर्स कंट्रोलर्स अनुपस्थित एग्जामिनर्स की संख्या अभी तक नहीं आंक पाए हैं। पारिश्रमिक कम होने की वजह से सरकारी स्कूल्स से एग्जामिनर्स ने ड्यूटी तो ज्वॉइन किया लेकिन वे मूल्यांकन में ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इसका सीधा लाभ नॉन एडेड स्कूल के टीचर्स उठा रहे हैं और वे एक दिन में क्00 कॉपियां तक जांचने के लिए तैयार बैठे हैं।
फ्-ब् मिनट में तय हो रहा भविष्य हाईस्कूल और इंटरमीडिएट कॉपियों की मूल्यांकन में टाइम बर्डन देखते हुए एक टीचर्स को मानक से अधिक कॉपियां प्रोवाइड करवाकर मूल्यांकन कार्य निपटाने का प्रयास किया जा रहा है। इन टीचर्स को प्रतिदिन सुबह क्0 से ब् बजे के बीच कॉपियों का मूल्यांकन करना है। इस बीच टीचर्स एक घंटे का लंच टाइम भी बिता रहे हैं। ऐसे में प्रत्येक एग्जामिनर्स के लिए प्रतिदिन पांच घंटे का टाइम मूल्यांकन के लिए प्रोवाइड कराया गया है। भ् घंटे के सयम में एवरेज बात करें तो एक टीचर 70 तक कॉपियां जांच रहा है। वह केवल सरसरी नजर दौड़ाते हुए आगे बढ़ जा रहा है। इसकी वजह से टफ और टेक्निकल सब्जेक्ट्स के स्टूडेंट्स का नंबर प्रभावित होने के आसार हैं। फ्यूचर में बढ़ेगा और अधिक दबावयूपी बोर्ड कॉपियों की मूल्यांकन के लिए एग्जामिनर्स पर फ्यूचर्स में और अधिक दबाव बढ़ सकता है। मूल्यांकन वर्क में लगे टीचर्स का मानना है कि अलग-अलग कारणों से बीच में मूल्यांकन ठप रहने की वजह से सेंटर्स पर अभी तक ख्0 से फ्0 परसेंट भी कॉपियों का मूल्यांकन नहीं हो पाया है। मौजूदा समय में मूल्यांकन सेंटर्स इंचार्ज मानकों का ध्यान रखते हुए एग्जामिनर्स को कॉपियां प्रोवाइड कराने का दावा तो कर रहे हैं। लेकिन फ्यूचर में टाइम शॉर्ट होने की वजह से बची कॉपियों का मूल्यांकन चैलेंजिंग हो जाएगा। ऐसे में एक-एक एग्जामिनर्स को मनमाने तरीके से कॉपियां प्रोवाइड कराई जा सकती हैं। टीचर्स की मानें तो आने वाले समय में महज एक कॉपी को जांचने के लिए महज क् से ख् मिनट का समय ही देना पड़ेगा। रिजल्ट तैयार करने के लिए कॉपी चेक करने का टार्गेट पूरा करने का दबाव काफी ज्यादा है।
स्टूडेंट्स को लगेगा झटकाएक कॉपी पर मात्र तीन से चार मिनट का समय प्रोवाइड कराने की वजह से हाईस्कूल साइंस सब्जेक्ट के नंबर प्रभावित हो सकता है। दरअसल एक ही कॉपी में फिजिक्स, केमेस्ट्री और बायोलॉजी के आंसर होने से इस कॉपी की मूल्यांकन के लिए दो टीचर्स की ड्यूटी लगाई गई है, लेकिन मात्र तीन से चार मिनट के समय में इस सब्जेक्ट्स के कॉपियों का प्रॉपर तरीके से मूल्यांकन नहीं हो पा रहा है। इसकी वजह से प्राप्त होने वाले अंक भी आशंका के दायरे से बाहर नहीं कहा जा सकता।
चेकिंग के लिए 8-क्0 मिनट जरूरी हाईस्कूल और इंटरमीडिएट साइंस टीचर्स का मानना है कि मैथ्स, केमेस्ट्री और फिजिक्स में क्वेशचंस न्यूमेरिकल होने की वजह से इन सब्जेक्ट्स के प्रॉपर मूल्यांकन के लिए कम से कम आठ से क्0 मिनट का टाइम उपलब्ध होना चाहिए, लेकिन मूल्यांकन की पूरा दारोमदार नॉन एडेड टीचर्स के कंधों पर होने की वजह से सब्जेक्ट्स में प्राप्तांक भी कसौटी पर खरा नहीं उतर पाएगा। अधिक पारिश्रमिक का लाभ उठाने के उद्देश्य से ऐसे नॉन एडेड टीचर्स सेंटर्स इंचार्ज से अधिक से अधिक कॉपियां हासिल कर रहे हैं और टफ सब्जेक्ट्स की कॉपियों की चेकिंग भी कुछ ही मिनटों में जांच दे रहे है।