सावधान! शहर में असुरक्षित भवनों की भरमार
(बरेली ब्यूरो)। शहर में आवसीय क्षेत्र में कमर्शियल भवन बनाकर उनका संचालन किया जा रहा है। इनके ओनर फायर सेफ्टी नॉम्र्स को दरकिनार कर लोगों की जान से खिलवाड़ करने में लगे हैं। भवन स्वामी और उनमें दुकान संचालित करने वाले लोगों को कस्टमर की जान की कोई परवाह नहीं है। जिम्मेदार अधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं देते हैं। ऐसे में किसी भी बड़ी अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता है। बीते सप्ताह डीडीपुरम स्थित लूथरा टॉवर में मीटर पैनल में शॉट सर्किट की वजह से आग लग गई थी, जिसमें 35 लोगों की जान जाने से बची थी। यह हादसा भवन ओनर और जिम्मेदारों की लापरवाही का ही नतीजा था।
फायर सेफ्टी नॉम्र्स ताक पर
बरेली में सैकड़ों ऐसे कमर्शियल भवन हैं, जो नियमों का उल्लंघन कर आवासीय क्षेत्र में चल रहे हैं। इनमें ज्यादातर भवन ऐसे हैं, जिनमें फायर सेफ्टी सिस्टम ही नदारद है। गिनती के फायर उपकरण लगाकर खानापूर्ति कर दी गई है। इनमें से कई भवन ऐसे स्थानों पर हैं, जहां पर आग लगने के बाद फायर बिग्रेड की गाड़ी तक नहीं पहुंच पाएगी। डीडीपुरम स्थित लूथरा टावर की तरह यदि इन भवनों में आग लग जाए तो यकीन मानिए, अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता है।
की जाएगी कार्रवाई
सीएफओ चंद्रमोहन शर्मा ने बताया कि समय-समय पर अभियान चलाकर लोगों को अवेयर किया जाता है। साथ ही कमर्शियल भवनों में भी अभियान चलाकर जांच की जाती है। जिन भवनों में अनियमितता पाई जाती है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है। इसके बावजूद अभी काफी कमर्शियल भवन ऐसे हैं, जिनमें फायर सेफ्टी नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। जल्द ही ऐसे भवनों पर कार्रवाई की जाएगी।
सीएफओ चंद्रमोहन शर्मा ने बताया कि फायर सीजन में आगजनी की घटनाओं से निपटने के लिए उन्होंने लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। बताया कि पूरे जिले में सात फायर स्टेशन और 10 बड़ी गाडिय़ां व चार छोटी गाडिय़ां हैंं। सभी ने अपने-अपने क्षेत्र के पानी के स्रोत व टूटी होज दुरुस्त करा लीं ताकि घटना के वक्त कोई दिक्कत न हो। इसके अलावा 15 मई तक के लिए सभी कर्मचारियों की छुट्टी पर रोक लगा दी गई। इमरजेंसी में ही अवकाश दिया जाएगा।
ओवरलोड के चलते होता है शॉर्ट सर्किट
शहर में ऐसे भी काफी भवन में जिनके पास फायर एनओसी नहीं हैं। जो बिना एनओसी संचालित होने के साथ ही काफी पुराने हो चुके हैं और उनमें विद्युत वायरिंग भी काफी पुरानी हो गई। गर्मी के मौसम में एसी पंखे, कूलर आदि इलेक्ट्रिक उपकरणों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग होता है। जिससे लोड बढ़ जाता है और लोग इस पर ध्यान नहीं देते। साथ ही वातावरण का तापमान भी काफी ज्यादा होता है। एक छोटी सी चिंगारी को आग पकडऩे में बिल्कुल भी देर नहीं लगती।
सीएफओ ने बताया कि कई मामलों में संस्थानों की लापरवाही भी आग का कारण बन जाती है। इस तरह के संस्थान अग्नि सुरक्षा नियमों का पालन नहीं करते। छोटी-मोटी आग को संस्थान के कर्मचारी भी बुझा सकते हैं, लेकिन उपकरणों के अभाव में ऐसा नहीं कर पाते हैं और आग विकराल रूप ले लेती है।