ठगी से पहले तैयार होते हैं master code
सिरीज में करते हैं कॉल
ठग किसी भी कॉल सेंटर से नंबर ले लेते हैं। फिर एक सिरीज में सभी को कॉल की जाती है। यानी अगर नंबर -------01 है तो फिर लास्ट में 02, 03 या फिर 04 पर कॉल करते हैं। इसके अलावा, कई बार अल्टरनेट कॉल भी करते हैं। वे एक दिन में सैकड़ों कॉल करते हैं और कुछ लोग झांसे में आ जाते हैं। इस तरीके से डेली लाखों रुपये लोगों के अकॉउंट से उड़ाए जा रहे हैं।ATM का मास्टर कोड इस तरह के केसेज में सामने आया है कि साइबर ठग एटीएम कार्ड का मास्टर कोड भी जनरेट कर लेते हैं। इसमें बैंक में काम कर चुके एक्सपर्ट होते हैं। मास्टर कोड के जरिए ही ऑनलाइन शापिंग की जाती है। इसमें एयरटेल मनी, मूवी क्विक, ईजी मोबाइल चार्ज या फिर कई अन्य सर्विसेज हैं।फेक अकाउंट करते हैं ओपन
साइबर ठग हमेशा फेक अकॉउंट का यूज करते हैं। ये अकाउंट रुरल एरिया की बैंकों में खोले जाते हैं। फेक अकाउंट खोलकर ऑनलाइन इन अकॉउंट्स में पैसा ट्रांसफर किया जाता है। फिर एटीएम कार्ड या किसी अन्य तरीके से ठग पैसा निकाल ले रहे हैं।
बरेली पुलिस की साइबर सेल में ऑनलाइन फ्रॉड के आधा दर्जन से अधिक केसेज की जांच की जा रही है। ये वो केसेज हैं जिनमें एटीएम कार्ड लॉक के नाम पर गुमराह करके किसी से एटीएम कार्ड नंबर तो किसी से पिन कोड पूछ लिया गया। जब तक पीडि़त कुछ समझ पाते हैं उनके अकॉउंट से पैसा छूमंतर हो जाता है। अकॉउंट बंद करवाने तक की नौबत आ जाती है।
ठग ऐसी कॉल को अपने कंप्यूटर या लैपटॉप से करते हैं। साइबर सेल से जुड़े ऑफिसर्स बताते हैं कि साइबर ठग कॉलिंग के वक्त कंप्यूटर में डॉटा केबिल लगाकर यूज करते हैं। इसके जरिए फोन कॉल रिसीव होते ही मोबाइल का सारा डाटा हैक कर लिया जाता है। ये डाटा हैकर के बैकअप में सेव हो जाता है। ऐसे में जब भी कॉलर कोई सवाल करता है तो वो आसानी से उसके सवालों का जवाब देते रहते हैं। इसके चलते ही लोग ठगों के जाल में फंसकर अपना एटीएम कार्ड नंबर या फिर पिन कोड बता दे रहे हैं।
Skype
स्काइप एक सर्विस है। इस सर्विस के जरिए इंटरनेट से कॉल की जाती है। इसमें कॉल का चार्ज भी लगता है। स्काइप की ही तरह कई अन्य कंपनियां फ्री कॉलिंग की भी सर्विस प्रोवाइड कराती हैं।
फोन कोड्स और एटीएम कोड्स दोनों ही जेनरेट कर ऑनलाइन ठगी को अंजाम दिया जा रहा है। आईएलडी कॉलिंग से लोगों को कॉल की जाती है।
-अनुज श्रीवास्तव, साइबर सेल एक्सपर्ट.