व‌र्ल्ड अस्थमा डे स्पेशल

-अस्थमेटिक ब्रोंकाइटिस का तेजी से शिकार हो रहे युवा

-पॉल्यूशन, जंकफूड और डस्ट बन रही अस्थमा की वजह

-युवाओं में 40 परसेंट और बच्चों में 30 फीसदी कंप्लेन बढ़ी

BAREILLY: कभी बुजुर्गो की समझी जाने वाली बीमारी अस्थमा से अब युवाओं की भी सांसें फूलने लगी हैं। बड़े बूढ़ों को शिकार बनाने के बाद यह बीमारी अब तेजी से युवाओं को अपने निशाने पर ले रही है। जवां शरीर और मजबूत हड्डियों वाले युवा सांस फूलने, लगातार खांसने और सीना भारी होने जैसी प्रॉब्लम से घिरे हैं। ज्यादातर युवाओं को पता ही नहीं कि हफ्तों पुरानी उनकी यह परेशानी एलर्जिक अस्थमा या टिपिकल ब्रोंकाइटिस की शुरुआत है, जो धीरे धीरे उनके लिए खतरनाक बन रही है। व‌र्ल्ड अस्थमा डे पर युवाओं और बच्चों में तेजी से पांव पसार चुकी इस बीमारी पर एक रिपोर्ट।

रिवर्सिबल डिजीज होने से खतरा

अस्थमा एक रिवर्सिबल डिजीज है। मतलब प्रॉपर ट्रीटमेंट से अस्थमा का पेशेंट पूरी तरह ठीक हो जाता है, लेकिन उसे जरूरी सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। अगर पेशेंट ने प्रिकॉशन और मेडिसिन लेने में लापरवाही बरती तो यह बीमारी उसे फिर से अपनी चपेट में ले लेती है। यह बीमारी असरदार इलाज के बावजूद काफी खतरनाक है। बच्चों और युवाओं में जहां पॉल्युशन, हेरेडिटी और लाइफ स्टाइल की वजह से यह बीमारी फैल रही है। वहीं बुजुर्गो में कार्डियक अस्थमा और रेस्पाइरेशन अस्थमा बड़ी समस्या है।

अनकंट्रोल है अस्थमेटिक ब्रोंकाइटिस

युवाओं में अस्थमेटिक अटैक के केसेज पिछले कुछ साल में ही ब्0 परसेंट तक बढ़ गए हैं। शहर के मेडिकल एक्सप‌र्ट्स का कहना है कि युवाओं में अस्थमेटिक ब्रोंकाइटिस के साथ ही टिपिकल अस्थमा की शिकायत भी बढ़ रही हैं। टिपिकल अस्थमा तो ट्रीटेबल है। अस्थमेटिक ब्रोंकाइटिस धूल, पॉल्यूशन और फूड एडल्ट्रेशन की वजह से युवाओं को फिर गिरफ्त में ले रही है। अगर इन वजहों के एक्सपोजर में आने से बचा जा सकें तो अस्थमेटिक ब्रोंकाइटिस कंट्रोल्ड है, वरना यह बार बार अपना असर दिखाती है। एक्सप‌र्ट्स का कहना है कि लंबे समय तक ऐसी हालत बने रहने पर यह यूथ के लिए बेहद नुकसान देह साबित हो रही है।

चाउमीन-इडली भ्ाी जिम्मेदार

अस्थमा की खास वजहों में धूल, पॉल्यूशन, धुआं, स्मॉग, केमिकल्स, प्लास्टिक बर्न और इंडस्ट्रियल पॉल्यूशन ही शामिल नहीं, बल्कि चाउमीन और इडली भी युवाओं में अस्थमा से दम निकालने की बड़ी वजह है। एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक चाइनीज फूड में यूज होने वाला अजीनोमोटो और इडली सहित बेकरी प्रोडक्ट्स में मौजूद खमीर में अस्थमा एलर्जेट यह बीमारी दे रहे हैं। एक्सप‌र्ट्स ने बताया कि अस्थमा की जांच के लिए होने वाले एलर्जी टेस्ट में खमीर-अजीनोमोटो 90 फीसदी वजह बने हैं, जिनकी एलर्जी से लोगों खासकर युवाओं में अस्थमेटिक अटैक की कंप्लेन सामने आई।

बच्चों में बढ़ी प्रॉब्लम

एलर्जिक ब्रोंकाइटिस या व्हीजिंग की शक्ल में अस्थमा बच्चों को भी अपनी चपेट में ले रहा है। एक्सप‌र्ट्स बताते हैं कि तेज महक वाले प्रोडक्ट्स जैसे बाम, वेपोरेब, तेल और मॉस्किटो रेपलेंट के लंबे समय तक यूज से बच्चों में यह दिक्क्त बढ़ रही है। पिछले कुछ हफ्तों में ओपीडी में ख् से क्फ् साल के एजग्रुप के बच्चों में अस्थमा के भ्0 परसेंट केसेज बढ़ गए हैं। वहीं अप्रैल-मई में होने वाली फसल की कटाई से भी हवा में पॉल्यूटेंट्स का लेवल काफी बढ़ जाता है, जो ब्रोंकाइटिस और अस्थमेटिक अटैक की वजह बन रहा है।

यूं करे अस्थ्ामा से बचाव

घर में अखबार की रद्दी न जोड़ें। पेपर डस्ट कॉमन एलर्जेट है, जिससे अस्थमेटिक अटैक की प्रॉब्लम बढ़ रही है। वहीं घर में सूखी झाड़ू लगाने के बजाए गीला पोछा लगा सफाई करें। खमीर प्रोडक्ट्स जैसे ब्रेड, इडली, पिज्जा, पेस्ट्री, जलेबी सहित चाइनीज फूड आइटम्स को कम से कम यूज करें। क्ब् दिन से ज्यादा की खांसी पर टीबी की जांच के साथ ही अस्थमेटिक ब्रोंकाइटिस का भी टेस्ट कराएं। अस्थमेटिक अटैक में गर्म पानी की भांप ले, यह सबसे फायदेमंद होती है। इन्हेलर का यूज जरूर करें। क्लोरो फ्लोरो कार्बन प्रोड्यूस करने वाले एरोसोल प्रोडक्ट्स और एसी-फ्रिज का यूज कम करें। धूल, धुएं व पॉल्यूशन से बचाव करें।

यूथ में अस्थमा के केसेज में ब्0 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है। इससे बचाव के लिए सिर्फ पर्सनल लेवल पर कोशिशें ही पर्याप्त नहीं हैं। कॉरपोरेट लेवल पर भी इंडस्ट्रियल पॉल्यूशन कंट्रोल किया जाए। वहीं गर्वनमेंट भी रोड कंस्ट्रक्शन में पूरे मानक फॉलो करे। - डॉ। राजीव गोयल, कार्डियोलॉजिस्ट

अस्थमा में बचाव ही इसका बेहतर इलाज है। बच्चों को तेज गंध वाली चीजों के यूज से दूर रखे। अस्थमा में इनहेलर फायदेमंद है, लेकिन लोगों में इसके यूज को लेकर काफी मिथ है, जो गलत है। अस्थमेटिक अटैक देने वाले ट्रिगर से बचें- डॉ। धर्मेन्द्रनाथ, पीडियाट्रिशियन

अस्थमा में ओरल मेडिसिन के बजाए रोटाकैप ज्यादा असरदार दवा है। इनहेलर या रोटाकैप सीधे लंग्स में पहुंचकर फायदा पहुंचाती है और जहरीली नहीं होती। यूथ स्मोकिंग से परहेज करें। साथ ही एरोसोल प्रोडक्ट का कंट्रोल यूज करें। - डॉ। जेके भाटिया, फिजिशियन

Posted By: Inextlive