मुर्गियों को ट्रांसपोर्टेशन से लेकर अगर आप कहीं लेकर जाते हैं तो सफर में उन्हें भी तनाव होता है. मुर्गियों को होने वाले तनाव से उनका वजन कम हो जाता है और यहां तक कि उनकी मौत भी हो जाती है. लेकिन अब सीएआरआई के वैज्ञानिकों ने इसका हल तलाश लिया है. अब मुर्गियों को सफर के दौरान तनाव नहीं होगा और तनाव से होने वाली उनकी मौत को भी कम किया जा सकेगा.

बरेली (ब्यूरो)। मुर्गियों को ट्रांसपोर्टेशन से लेकर अगर आप कहीं लेकर जाते हैं तो सफर में उन्हें भी तनाव होता है। मुर्गियों को होने वाले तनाव से उनका वजन कम हो जाता है और यहां तक कि उनकी मौत भी हो जाती है। लेकिन अब सीएआरआई के वैज्ञानिकों ने इसका हल तलाश लिया है। अब मुर्गियों को सफर के दौरान तनाव नहीं होगा और तनाव से होने वाली उनकी मौत को भी कम किया जा सकेगा। सीएआरआई की पांच सदस्यीय टीम ने चार साल तक इस विषय पर काम किया और समाधान खोज निकाला। वैज्ञानिकों का कहना है कि ट्रांसपोर्टेशन से 72 घंटे पहले मुर्गियों को पानी मिलाकर मिक्सचर देना होगा। जिससे मुर्गियों को सफर के दौरान तनाव नहीं होगा।

शोध में आया सामने
केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (सीएआरआई) के पोस्ट हार्वेस्ट यूनिटी के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ। जयदीप रोकड़े सहित पांच सदस्यीय टीम ने करीब चार साल तक इस विषय पर काम किया। जिसमें उनकी टीम ने पाया कि टा्रंसपोर्टेशन के दौरान मुर्गियों का गिरना, मीट की प्रोडक्टिविटी प्रभावित होती है। इसको बचाने के लिए यह शोध किया और उसका रिजल्ट भी पॉजिटिव मिला। डॉ। जयदीप रोकड़े ने बताया कि उत्पाद के पेटेंट की प्रक्रिया भी पूरी की जा रही है। बताया कि वर्ष 2019 से इस प्रोजेक्ट पर संस्थान के निदेशक के निर्देशन में काम शुरू किया। जिसमें डॉ। एके भांजा, डॉ। जगबीर सिंह त्यागी, डॉ। संदीप सरन ने शोध किया। अध्ययन में सामने आया कि बिक्री के लिए मुर्गियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक वाहन से लाने ले जाने के दौरान अगर 4 घंटा से अधिक का समय लग रहा है तो मुर्गियों में तनाव का स्तर बढ़ जाता है। इसके प्रैक्टिकल के लिए बरेली, मुरादाबाद, शाहजहांपुर, बदायूं के आसपास ट्रांसपोर्ट से आने वाली मुर्गियों के सैंपल लेकर अध्ययन किया।

एक हजार मुर्गियों पर किया शोध
वैज्ञानिकों ने बहेड़ी के एक फार्म की करीब एक हजार मुर्गियों को एक वाहन में विभिन्न समय के अंतराल से यात्रा कराई। इस यात्रा में वैज्ञानिकों की ओर से 2 व 4 घंटा के अंतराल में तनाव के स्तर को मापा गया। जिसमें वजन और ब्लड के सैंपल आदि को भी मापा गया तो पता चला कि 4 घंटा से अधिक यात्रा करने वाली मुर्गियों में कार्टिकोस्टोरोन नाम एंजाइम की अधिकता पाई गई। ये एंजाइम मुसीबत के समय फाइट हार्मोन की तरह काम करता है। परिणामस्वरूप ये पाया गया कि 4 घंटा से अधिक यात्रा कर रही मुर्गियों में तनाव का स्तर 2 घंटा से अधिक यात्रा कर रही मुर्गियों से अधिक होता है। वैज्ञानिकों ने शोध की पुष्टि के लिए मौसम की विभिन्न परिस्थितयों जैसे गर्मी, सर्दी व बारिश में भी मुर्गियों पर अध्ययन किया।

बिजनेसमैन को होता है नुकसान
मुर्गियों का व्यवसाय करने वाले बिजनेसमैन को जब मुर्गियों का आर्डर कहीं से मिलता है तो वह उन्हें ट्रांसपोर्ट के माध्यम से बाहर भेजता है। लेकिन इस दौरान अगर मुर्गियों को 4 घंटा से अधिक यात्रा करना पड़े तो मुर्गियों के वजन में 8-10 परसेंट की कमी आ जाती है। वहीं पसीने की ग्रंथियां नहीं होने से मुर्गियों को तनाव भी होता है और अधिक तनाव होने से कई मुर्गियों तो दम भी तोड़ देती है। इसका नुकसान मुर्गी भेजने वाले को या फिर खरीदार को उठाना पड़ता था। तनाव के बढ़ते स्तर से मीट की क्वालिटी भी प्रभावित हो रही थी। इसको देखते हुए वैज्ञानिकों ने इसका हल अब तलाश लिया है।

चार मालिक्यूल के तहत तैयार किया मिक्सचर
मुर्गियों के तनाव के स्तर को कम करने के लिए वैज्ञानिकों ने चार मालिक्यूल से मिक्सचर तैयार किया है। इन मॉलिक्यूल से मौजूद एंटी स्ट्रेस एलीमेंट मुर्गियों को तनाव को कम करते हैं। इसके लिए यात्रा सेे दो दिन पहले मुर्गियों को निर्धारित पानी की मात्रा मिलाकर दिया। इससे मुर्गियों में तनाव का स्तर कम देखा गया। वहीं तनाव से होने वाले प्रभाव भी कम हुए।

बोले निदेशक
मुर्गियों के तनाव स्तर को कम करने के लिए वैज्ञानिकों ने चार मालिक्यूल से मिक्चर तैयार किया है। मॉलिक्यूल में मौजूद एंटी स्ट्रेस एलीमेंट मुर्गियों के तनाव को कम करते हैं। इसके लिए मुर्गियों को कहीं सफर में ले जाने से पहले निर्धारित पानी में मिलाकर देना होगा। इससे उनमें तनाव का स्तर कम होगा।
डॉ। एके तिवारी, डायरेक्टर सीएआरआई

Posted By: Inextlive