चार पहिया ड्राइङ्क्षवग लाइसेंस के लिए परीक्षा देने वाले पहले ही दिन सभी फेल
फैक्ट एंड फिगर
100-दिन की कार्य योजना में यूपी सरकार ने किया है शामिल
40-लोगों ने पहले दिन परीक्षा के लिए किया आवेदन
35-लोगों ने पहले दिन दी ऑटोमेटिक ट्रैक पर परीक्षा, सभी फेल
35-लोगों ने टू-व्हीलर डीएल की परीक्षा को किया आवेदन
28-लोग ही ऑटोमेटिक ट्रैक पर परीक्षा में हुए पास
5-हजार वर्ग मीटर में बना है सेंसर युक्त ऑटो मेटिक ड्राइविंग टै्रक
बरेली(ब्यूरो) । प्रदेश सरकार के 100 दिन की कार्य योजना में शामिल परसाखेड़ा स्थित आटोमेटिक ड्राइङ्क्षवग टेङ्क्षस्टग ट्रैक की टेङ्क्षस्टग के बाद सोमवार चार जुलाई से ड्राइङ्क्षवग टेस्ट शुरु हो गया। पहले दिन चार पहिया ड्राइङ्क्षवग लाइसेंस के लिए 40 लोगों ने आवेदन किया था। इसमें से केवल 35 लोगों ने ही परीक्षा दी। इंटरनेशनल मानकों को ध्यान में रखते हुए बनाए गए सेंसरयुक्त ट्रैक पर चार पहिया ड्राइङ्क्षवग लाइसेंस के लिए सभी फेल हो गए। दो पहिया वाहनों के लिए 35 लोगों ने आवेदन किया था। इसमें से 28 आवेदकों ने परीक्षा उत्तीर्ण की। 2016 में परसाखेड़ा में आटोमेटिक ड्राइङ्क्षवग टेङ्क्षस्टग ट्रैक का निर्माण शुरू हुआ था।
शासन की ओर से इसके संचालन की जिम्मेदारी राजस्थान जयपुर की राइस टैक साफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड व न्यू लुक स्टेनलैस प्राइवेट लिमिटेड को इसके संचालन की जिम्मेदारी दी गई है। सेंसर वाला आटोमेटिक ड्राइङ्क्षवग टेस्ट ट्रैक पर टेस्ट पास करने वाले आवेदनकर्ता को ही ड्राइङ्क्षवग लाइसेंस जारी होना है। ट्रैक पर टेस्ट देते वक्त कोई गलती हुई तो सेंसर तुरंत इसे पकड़ रहा है।
सडक़ सुरक्षा के नियमों के तहत बनाए गए हैं सिग्नल सडक़ सुरक्षा के नियमों को ध्यान में रख कर ड्राइङ्क्षवग टेङ्क्षस्टग ट्रैक का निर्माण किया गया है। इसके अलावा ट्रैक पर एच, आफ, एस, पार्किंग, यू टर्न, आठ, जेब्रा क्राङ्क्षसग, प्रमुख ट्रैफिक सिग्नल बनाए गए हैं। सभी सिग्नल पर सेंसर लगा है। जिन्हें कंट्रोल रूम से जोड़ा गया है। ड्राइङ्क्षवग के समय गाड़ी ट्रैक के किनारे पर टच होती है तो सेंसर गलती पकडक़र आगे कम्प्यूटर को पास कर रहा है। टेस्ट के वक्त दूसरा ड्राइङ्क्षवग न करे या कोई मदद न करे, इसके लिए सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। गाड़ी ट्रैक से बाहर आते ही कम्प्यूटर से फेल या पास की स्लिप जारी हो रही है। टेस्ट के आधार पर ही लाइसेंस जारी किया जा रहा है।
प्रदेश का दूसरा आटोमेटिक ट्रैक
पांच हजार वर्गमीटर में बना सेंसर तकनीक वाला आटोमेटिक ड्राइङ्क्षवग टेस्ट ट्रैक प्रदेश में कानपुर के बाद दूसरा है। टेस्ट के वक्त होने वाली गड़बडिय़ों को सेंसर रीड करेंगे और सीसीटीवी कैमरे से उसकी नजर रखी जाएगी। गलती पर खुद प्वाइंट कटेंगे। तय प्वाइंट पर पास या फेल कंप्यूटर से ही तय हो जाएगा।
वर्जन:
सोमवार से आवेदकों को ड्राइङ्क्षवग लाइसेंस के लिए परसाखेड़ा स्थित एडीटीटी जाकर वाहन चलाने का टेस्ट देना था। पहले दिन चार पहिया के लिए 40 आवेदन आए थे। इसमें से केवल 35 ने परीक्षा दी, जिसमें फेल हो गए। वहीं दो पहिया ड्राइङ्क्षवग लाइसेंस के लिए 35 आवेदन आए थे। इसमें से सात लोग फेल हो गए, जबकि 28 ने परीक्षा पास की है।
- मनोज ङ्क्षसह, एआरटीओ प्रशासन