जाम में घुट रही सांसें
- हाल ही में की गई जांच में आरएसपीएम 50 प्वॉइंट बढ़ा हुआ पाया गया
- डॉक्टर्स एवं प्रदूषण विभाग के अनुसार व्हीकल्स का कम प्रयोग करें लोग - तेजी के साथ बढ़ रहे एअर पॉल्युशन से श्वास के रोगियों की बढ़ रही तादाद BAREILLY: जाम के चंगुल में फंसे शहर का न सिर्फ टै्रफिक की सांसत सहनी पड़ रही है। बल्कि, यह एअर पॉल्यूशन का कारण भी बनकर कहर बरपा रहा है। इसका खुलासा पॉल्यूशन विभाग की रिपोर्ट में हुआ है, जिसमें आरएसपीएम यानि रिस्पायरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर न्यूनतम के दोगुने लेवल पर पहुंच चुका है, जिससे पब्लिक को सांस से जुड़ी तमाम खतरनाक बीमारियों हो रही हैं और होने की संभावना है। यदि समय रहते इस पर कंट्रोल नहीं पाया गया तो स्थिति विकराल हो सकती है। जाम की देन है पॉल्यूशनशहर की कमोबेश सभी सड़कों पर सुबह से लेकर देर शाम तक ट्रैफिक की रफ्तार धीमी पड़ी रहती है। लिहाजा, वाहन न सिर्फ ज्यादा समय तक स्टार्ट रहते हैं। बल्कि, कम समय की दूरी को अधिक समय में पूरा भी करते है। अनुमान के मुताबिक तकरीबन 5 लाख वाहन शहर में डेली दौड़ते हैं। हर एक चौराहे पर व रास्ते में रेड सिग्नल व रोड जाम के चलते ये वाहन खड़े हो जाते हैं। ऐसे में, लोग अपने वाहन को स्टार्ट ही रखते है। लिहाजा, फ्यूल बर्न करता है और धुआं भी निकलता रहता है। यह धुआं हवा में जहर घोल रहा है।
5 वर्षो में दोगुना पॉल्यूशन वाहनों की बढ़ती संख्या, सड़क जाम की देन है कि आरएसपीएम का लेवल पिछले महज पांच वर्षो में दोगुना बढ़ चुका है। एनवॉयरमेंट एक्सपर्ट इस आंकड़े को हेल्थ के लिए बेहद घातक बता रहे हैं। बीसीबी के एंवॉयरमेंट डिपार्टमेंट द्वारा दर्ज किए गए आंकड़ों की बात करें तो, मई में आरएसपीएम का लेवल 212 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब पाया गया, जो कि अप्रैल में बढ़कर 230 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब था। एक्सपर्ट के मुताबिक जून में आरएसपीएम की मात्रा 21 परसेंट बढ़कर करीब 235 तक पहुंच जा रही है। एअर पॉल्यूशन के डैंजर जोन - सेटेलाइट - शहामतगेज - कुतुबखाना - चौपुला - किला - सौ फुटा रोड - नैनीताल, पीलीभीत बाईपास - डेलापीर - लाल फाटक वायु प्रदूषण बढ़ने की वजह - गाडि़यों से निकलने वाले धुंए से। - सड़कों की उड़ती हुई धूल की वजह से। - ईट भट्ठों की चिमनियों से। - फैक्ट्रियों में जलाए जाने वाले पदार्थो से। - लकडि़यों, गोबर के कंडे जलाने से।- पटाखे, ट्यूब टायर व प्लास्टिक जलाने से।
आजमाएं यह टिप्स - ट्रैफिक में कुछ देर के लिए गाड़ी बंद कर दें। - चौराहों पर ग्रीन सिग्नल होने तक गाड़ी बंद रखें। - गाड़ी स्टार्ट करते ही तुरंत गियर लगाने की बजाय वेट करें। - नियमित समयांतराल पर गाड़ी की सर्विसिंग कराएं। - ज्यादा जरूरत पड़ने पर ही व्हीकल का प्रयोग करें। - निकट की दूरियों को पैदल अथवा साइकिल से तय करें। यह होती हैं बीमारियां - नजला - दमा - गले में खरास होना - एलर्जिक सम्बंधी बीमारी - आंख की बीमारी - ब्रॉनकायटिस - स्किन डिजीज धुएं से बचने के लिए - हैंकी या मॉस्क का यूज करना चाहिए। - अपने आस पास साफ सफाई रखें। - हेलमेट का प्रयोग जरूर करें। - फुल कवर्ड होकर बाहर निकलें। एयर पॉल्यूशन का स्टैंडर्ड आरएसपीएम - 100 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब। ईयर - आरएसपीएम 2011 - 90-100 2012 - 95-110 2013 - 112-1302014 - 140-170
2015 - 202-223 धूएं का स्टैंडर्ड मानक (कार्बन मोनो आक्साइड) मिनिमम होना चाहिए। - सीएनजी वाहन - 0.1 से 0.20 तक - पेट्रोल वाहन टू व्हीलर - 3 परसेंट। - फोर व्हीलर - 4.5 परसेंट। एयर पॉल्यूशन जांच सेंटर - राजेंद्र नगर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड - प्रभा टॉकिज के पास। - आईवीआरआई। साल दर साल एअर पॉल्यूशन में करीब 15 परसेंट से ज्यादा इजाफा हो रहा है। जो कि, एक गंभीर समस्या है। एंवॉयरमेंट के प्रति लोगों को अवेयर होने की जरूरत है। डॉ। डीके सक्सेना, एंवॉयरमेंट एक्सपर्ट, बीसीबी - गाडि़यों से निकलने वाले कार्बन मोनो ऑक्साइड लोगों को बीमार बना रहा है। सब कुछ जानकर भी लोग अनजान बने हुए हैं। स्वास्थ्य बरकरार रखने के लिए व्हीकल्स का प्रयोग कम करना अनिवार्य है। डा। अजय मोहन फिजिशियन