100 लोग गंवा चुके हैं जान
- सड़क पर एक्सीडेंटल जोन में गंवाते हैं लोग अपनी जान
- सरकारी खामियों का जिंदगी पर झेलना पड़ता है दंश - इसी साल करीब 100 लोग गंवा चुके हैं एक्सीडेंट में जानBAREILLY: अमूमन बरेली जंक्शन से लोग जिंदगी के सफर पर जाते हैं, लेकिन बरेली में कई ऐसे मौत के जंक्शन हैं जहां से लोग जिंदगी का आखिरी सफर करते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि हम किन जंक्शंस की बात कर रहे हैं। ये वो जंक्शन हैं, जो सिटी की सड़कों पर बने हुए हैं। जहां अक्सर एक्सीडेंट होते हैं। कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं तो कई जिंदगी भर इसका दंश झेलते हैं। इसके लिए पब्लिक के साथ-साथ पुलिस, नगर निगम, पीडब्ल्यूडी व अन्य एजेंसीज जिम्मेदार हैं। पुलिस के रिकॉर्ड पर गौर करें तो इस साल अभी तक 100 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इसके अलावा पौने दो सौ लोग घायल हो चुके हैं।
ये हैं accidental zoneबहेड़ी में एक्सीडेंट में हुई आठ मौत के बाद जब सिटी व रूरल एरिया में एक्सीडेंटल जोन के बारे में पता किया तो काफी चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। सिटी में ही ऐसी कई जगह हैं, जहां एक्सीडेंट होना आम बात है। सैटेलाइट, सौ फुटा रोड, खुर्रम गौटिया, रुहेलखंड चौकी, संजय नगर तिराहा, मिनी बाईपास, किला ओवर ब्रिज, दूल्हे मियां की मजार, चौपुला, सिटी स्टेशन, सिटी सब्जी मंडी, पुलिस लाइन, पीएम हाउस, चौकी चौराहा, बियावान कोठी, लाल फाटक, कुदैशिया फाटक, आईवीआरआई रोड, बजरंग ढाबा, फिनिक्स मॉल, चौरासी घंटा मंदिर बदायूं रोड, बैरियर क् व बैरियर ख् व अन्य ऐसे प्वाइंट हैं जहां आए दिन एक्सीडेंट होते हैं। इसके अलावा सिटी के आउटर हिस्से में नकटिया, नरियावल, फतेहगंज पश्चिमी व पूर्वी, मीरगंज, फरीदपुर, नवाबगंज, हाफिजगंज, देवचरा, भ्ामौरा व बहेड़ी हैं।
एक्सीडेंट की ये हैं मेन वजहएक्सीडेंट में पल भर में खुशियां मातम में बदल जाती हैं। इसके पीछे कई वजह होती हैं। सबसे ज्यादा एक्सीडेंट रोड पर चल रहे तेज रफ्तार व्हीकल की वजह से होते हैं। खराब सड़कें भी एक्सीडेंट के लिए कम जिम्मेदार नहीं है। इस वजह से कई बार व्हीकल पलट जाते हैं। इसके अलावा कुछ एरिया में खराब सड़क के बाद जब अच्छी सड़क आती है तो ड्राइवर टाइम कवर करने के चक्कर में व्हीकल की स्पीड बढ़ा देता है और उससे एक्सीडेंट हो जाते हैं। सड़क किनारे इंक्रोचमेंट से भी एक्सीडेंट होते हैं। आड़े-तिरछे मोड़ भी एक्सीडेंट की वजह बनते हैं। शराब पीकर गाड़ी चलाने से भी कई एक्सीडेंट होते हैं। ओवर टेक करना, ट्रैफिक रूल्स को फॉलो न करना, लेन में न चलना भी एक्सीडेंट का कारण बनते हैं। फिजिकली व मेंटली अनफिट होने के चलते भी कई बार एक्सीडेंट होते हैं, जैसे यंगस्टर को लाइसेंस तो मिल जाता है, लेकिन वो ड्राइविंग के लिए पूरी तरह से ट्रेंड नहीं होते हैं।
पुलिस नहीं लगाती लगाम एक्सीडेंट में किसी का बेटा तो किसी की मां तो किसी को कोई अपना बिछड़ जाता है, लेकिन इसके बावजूद जिम्मेदारों की नींद नहीं खुलती है। इन जिम्मेदार लोगों की खामियों का हर्जाना लोगों को अपनी जान गवां कर चुकाना पड़ता है। सबसे बड़ी जिम्मेदारी पुलिस डिपार्टमेंट की है, जो तेज स्पीड में चल रहे व्हीकल पर लगाम नहीं लगा पाती है। ओवरटेक करने वाले वाहनों पर कार्रवाई नहीं करती है। पुलिसकर्मी चौराहों पर उगाही के काम में तो लगे रहते हैं। पुलिस की इन्हीं लापरवाहियों के चलते लोगों की जान चली जाती है। मिनी बाईपास व सैटेलाइट पर पुलिस की वसूली के चलते लोगों की जान जाने के मामले सामने आ चुके हैं। कई बार पुलिस एक्सीडेंट की सूचना पर टाइम पर नहीं पहुंचती है और घायलों को भी समय से इलाज नहीं मिल पाता है।नगर निगम व पीडब्लयूडी भी जिम्मेदार
एक्सीडेंट के लिए पुलिस के साथ-साथ नगर निगम व पीडब्ल्यूडी भी जिम्मेदार हैं। सिटी में ट्रैफिक सिग्नल, साइनेज व सड़कें बनवाने का जिम्मा नगर निगम के पास है, लेकिन सिटी में कई साल से ट्रैफिक सिग्नल खराब पड़े हैं। चौराहों पर जेब्रा क्रॉसिंग नहीं बनी हैं। कई सड़कें पूरी तरह से खराब हैं तो कई सड़कों पर बडे़-बड़े गडढे हैं। इसके अलावा सिटी ने साइन बोर्ड नहीं हैं, जो हैं भी वो नगर निगम ने विज्ञापन के लिए दे दिए हैं। नगर निगम का ही जिम्मा है कि सड़क से अतिक्रमण हटाया जाए, लेकिन सिटी की सभी सड़कें इंक्रोचमेंट से भरी हुई हैं। इसके अलावा हाईवे व अन्य सड़कें बनाने व इन पर साइन बोर्ड लगाने का जिम्मा पीडब्ल्यूडी का है, लेकिन नैनीताल रोड, शाहजहांपुर रोड, पीलीभीत रोड व अन्य रोड लंबे समय से खराब पड़ी हैं। ट्रैफिक पुलिस ने की शुरुआतसिटी में ट्रैफिक कंट्रोल व एक्सीडेंट को रोकने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने पहल की है। इसके लिए ट्रैफिक पुलिस सिटी के मेन चौराहों व सड़कों पर साइन बोर्ड लगाने जा रही है। इससे लोगों को पहले से पता चल जाएगा कि कौन से रास्ता कहां जा रहा है। एक्सीडेंटल जोन में स्पीड बंप लगाए जाएंगे। खुर्रम गौटिया से बियावान कोठी तक डेलीनेटर लगाए जाएंगे, जिससे दाहिने साइड से कोई इंट्री ना कर सके। चौराहों पर बूथ व फ्लैश बोर्ड लगाए जाएंगे। ये सभी सामान खरीद लिए गए हैं। मतगणना के बाद इस पर काम स्टार्ट कर दिया जाएगा। यही नहीं ट्रैफिक सिग्नल ठीक कराने के लिए जल्द ही एजेंसी से सर्वे कराकर शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी।
साल ख्0क्ब् में हुए एक्सीडेंट माह एक्सीडेंट डेथ इंजर्ड जनवरी भ्फ् क्ब् फ्9 फरवरी म्भ् ख्8 फ्7 मार्च म्9 ख्7 ब्ख् अप्रैल म्भ् ख्ब् ब्क् टोटल ख्भ्ख् 9फ् क्भ्9 साल ख्0क्फ् में हुए एक्सीडेंट माह एक्सीडेंट डेथ इंजर्ड जनवरी 7म् ख्7 ब्9 फरवरी ब्फ् ख्ख् ख्क् मार्च 77 ख्8 ब्9 अप्रैल 8फ् ख्8 भ्भ् मई 7म् ख्7 ब्9 जून 77 ख्फ् भ्ब् जुलाई म्फ् क्8 ब्भ् अगस्त म्0 ख्म् ब्ब् सितंबर 7भ् ख्9 ब्म् अक्टूबर 78 फ्फ् ब्भ् नवंबर 7ब् फ्ख् ब्ख् दिसंबर 7ख् ख्8 ब्ब् टोटल 8भ्ब् फ्ख्क् भ्ब्फ् एक्सीडेंट के लिए पुलिस के साथ-साथ नगर निगम व पीडब्ल्यूडी भी जिम्मेदार है। ट्रैफिक कंट्रोल व एक्सीडेंट पर लगाम कसने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। मतगणना के बाद इस पर वर्क स्टार्ट कर दिया जाएगा। फिर सुधार देखने को मिलेगा। - बृजेश कुमार श्रीवास्तव, एसपी ट्रैफिक