बरेली में 41 दिनों में 42 एचआईवी पॉजिटिव
(बरेली ब्यूरो)। मंडल में एचआईवी पॉजिटिव्स का डाटा अपने आप में बहुत कुछ बयां कर रहा है। यह डाटा चिंता बढ़ाने वाला है तो हैरान और परेशान करने वाला भी है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि इस साल के अब 41 दिन बीते हैं और 42 एचआईवी पॉजिटिव्स चिह्नित हो चुके हैं। इसी तरह बीते साल भी 365 दिनों में 418 पॉजिटिव चिह्नित हुए थे। यह स्थिति तब है जब इस खतरनाक बीमारी को कंट्राल करने के लिए बड़े स्तर पर सरकारी प्रयास जारी हैं। अब यह बात तो सभी जानते हैं कि यह संक्रामक बीमारी जानलेवा तक साबित हो जाती है। पॉजिटिव होने वाले व्यक्ति को भूल से भी हुई एक गलती की कीमत ताउम्र चुकानी पड़ती है। बरेली मंडल भी इस गलती की कीमत चुकाने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2012 से अब चिह्नित ऐसे लोगों की संख्या 4149 है। वर्ष 2022 में अब तक चिह्नित ऐसे लोगों की संख्या तो हैरान और परेशान करने वाली है। हैरान करने वाली बात यह भी है कि इन पॉजिटिव्स में एक विदेशी भी शामिल है।
एआरटी सेंटर देता है जीवनदान
एचआईवी को लेकर लोगों को अवेयर करने के लिए ही हर साल एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर नाको की ओर से लोगों को बचाव के उपायों और इसके ट्रीटमेंट के बारे में जानकारी देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कराए जाते हैं। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को जीवन भर दवा का सेवन करना पड़ता है। बरेली एआरटी सेंटर से वर्तमान में 4149 संक्रमित ट्रीटमेंट ले रहे हैं। यह लोग यहां से दवा ले जाते हैं और उसका नियमित सेवन करते हैं।
मेल की संख्या हुई दोगुना
एड्स पॉजिटिव की कुल संख्या में पुरुषों की संख्या महिलाओं से दो गुना अधिक है। वर्ष 2012 से अब तक चिह्नित 4149 संक्रमितों में महिलाओं की संख्या 1355 है तो पुरुषों की संख्या 2773 हैै। बच्चों को भी ताउम्र दर्द की सजा
एचआईवी पॉजिटिव्स में बच्चों की संख्या भी सैकड़ा पार कर गई है। इनको आजीवन दर्द की सजा कहीं न कहीं अपने पैरेंट्स से ही मिली है। एआरटी सेंटर से इन बच्चों को भी दवा उपलब्ध कराई जाती है। इनमें कई बच्चे तो ऐसे हैं जिनको यह भी पता नहीं कि उन्हें दवा किस बीमारी की खानी पड़ रही है। मंडल में इनकी संख्या 184 है।
क्या है एचआईवी
एचआईवी एक वायरस है। जब इस वायरस की एंट्री किसी भी तरह से ह्यूमन बॉडी में हो जाती है तो एड्स बीमारी का जन्म हो जाता है। इस बीमारी में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती चली जाती है और शरीर कमजोर होने लगता है। ट्रीटमेंट नहीं लेने पर यह बीमारी जानलेवा बन जाती है।
रक्तदान से भी हो जाती है जांच
रक्तदान करने पर पांच तरह की जांच की जाती हैैं, जिनमें एचआईवी टेस्ट भी शामिल है। इन सभी जाचों के बाद ही ब्लड बैंक से डोनेटर का ब्लड किसी जरूरतमंद को उपलब्ध कराया जाता है। जांच के दौरान अगर ब्लड में इसका वायरस मिलता है तो ब्लड डोनर को इंफॉर्म किया जाता है। इसके बाद उसको जिले की एआरटी सेंटर भेजा जाता है। यहां से उसका ट्रीटमेंट शुरू हो जाता है।
एचआईवी पॉजिटिव्स का डाटा
4149- वर्ष 2012 से अब तक कुल पॉजिटिव
1355-महिलाएं
2773- पुरुष
184- बच्चे
21- ट्रांसजेंडर वर्ष 2022 में ट्रैस पॉजिटिव केस
42- कुल पॉजिटिव
32-पुरुष
10- महिलाएं