आप की जान कीमती है छोड़ दें जर्जर मकान
प्रयागराज ब्यूरो । राजधानी लखनऊ स्थित आलमबाग के आनंद नगर में गिरे मकान के मलबे में दबने से पांच लोगों की मौत हो गई। यह घटना प्रयागराज में अफसरों के लिए किसी सबक से कम नहीं हैं। यदि समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो लखनऊ जैसी घटना यहां किसी भी दिन हो सकती है। पिछले साल यहां जर्जर मकानों के ढह जाने से कई लोगों की जान जा चुकी है। इस घटना के बाद नगर निगम के द्वारा जर्जर बिल्डिंग को चिन्हित किया गया था। अभियान चला कर ऐसे डेंजर मकानों को सूचीबद्ध किया गया था। सूची पर गौर करें तो शहर में सर्वाधिक जर्जर मकान नगर निगम के जोन एक में पाया गया था। कुल 72 मकानों के लोगों को नगर निगम ने सुरक्षा के मद्देनजर नोटिस दिया था। नोटिस दिए जाने के बावजूद तमाम लोग अब भी उसी जर्जर मकान में ही परिवार संग बसर कर रहे हैं। जबकि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नगर निगम द्वारा लोगों को जर्जर बिल्डिंग को छोडऩे या रिपेयरिंग कराने की चेतावनी दे रखा है। फिर भी लोग हैं कि सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं।
जान के लिए ठीक नहीं यह रिस्क
शहर में दर्जनों परिवार के सैकड़ों लोग जर्जर भवनों में जीवन बसर कर रहे हैं। जर्जर मकानों में कई ऐसे हैं जिनका केस कोर्ट में विचाराधीन है। इनमें कुछ ऐसे भी मकान हैं जो पारिवारिक बंटवारे में उलझे हैं। ऐसी स्थिति में उनका कोई रिनोवेट नहीं करवा रहा है। कई जर्जर मकान ऐसे हैं जिनमें कोई विवाद नहीं होने के बावजूद उसमें रहने वाले मेंटिनेंस नहीं करा रहे। मेंटिनेंस व देखरेख के अभाव में मकान काफी जर्जर हो चुके हैं। कंडीशन यह है कि मकान के छत से लेकर बारजा व दीवार तक में मौत छिपकर बैठ गई है। किसी भी दिन इन ऐसे जर्जर मकानों के गिरने से यहां लखनऊ जैसे बड़ा हादसा हो सकता है। हालांकि लखनऊ जैसे हादसे यहां पिछले वर्ष हो चुके हैं। यहां हुए इन हादसों में कई लोगों की जान जा चुकी है। जर्जर मकानों से हुए इन हादसों को देखते हुए नगर निगम उसमें रहने वालों की सुरक्षा को लेकर सबक लिया था। आनन फानन में जर्जर मकानों का सर्वे कराया गया था। नगर निगम के जनकार विभाग द्वारा कराए गए सर्वे में करीब 100 मकानों की हालत जर्जर पाई गई थी। इनमें से 72 भवनों की हालत काफी खराब मिली थी। यह देखते हुए इन जर्जर भवनों में रह रहे लोगों को नगर निगम द्वारा नोटिस दी गई थी। कहा गया था कि सुरक्षा को ध्यान रखते हुए वे इन जर्जर मकानों को खाली कर सुरक्षित जगह बसर करें। यदि मकान नहीं छोड़ सकते तो उसका अविलंब मरम्मत करवा लें। नगर निगम जनकार विभाग के लोगों की मानें तो दो तीन को छोड़कर बाकी किसी ने इस नोटिस को गंभीरता से नहीं लिया। ऐसी स्थिति में इन मकानों के ढहने से किसी भी दिन लखनऊ की तरह यहां फिर बड़ा हादसा हो सकता है।
शहर के मुट्ठीगंज स्थित हटिया में पिछले वर्ष जर्जर मकान का बारजा ढह गया था। इसके नीचे स्थित नाश्ते की दुकान पर बैठे पांच लोगों की मौत हो गई थी। मरने वालों में नसीरुद्दीन उर्फ सलीम निवासी पिपरी सरायममरेज कौशाम्बी, सुशील कुमार गुप्ता निवासी आर्य नगर मुट्ठीगंज, राजेंद्र पटेल निवासी डभांव चाका नैनी व नीरज केशरवानी निवासी हटिया मुट्ठीगंज और श्यामबाबू निवासी ददरी नौगवां नैनी शामिल थे। इनकी मौत के साथ आधा दर्जन से अधिक लोग इस हादसे में घायल हुए थे।
केस-02
शहर के शाहगंज इलेक्ट्रानिक मार्केट के पास भी एक जर्जर मकान के गिरने से बगल के मकान में काम कर रहे मजदूर की मौत हो गई थी। वह मकान के मलबे में दब गया था। बड़ी मशक्कत के बाद उसे बाहर निकाला गया था। यह घटना वर्ष 2021 के नवंबर महीने की बताई जा रही है। जानकार बताते हैं कि इसी घटना के बाद नगर निगम शहर में जर्जर भवनों के सर्वे का काम शुरू किया था।
केस-03
कीडगंज बाराखम्भा मोहल्ले में दो मंजिला काफी पुराना जर्जर मकान अचानक ढह गया था। बताते हैं कि मलबे में घर के अंदर रही सोनिया व उसका बेटा दब गया था। परिवार के अन्य लोगों को हल्की फुल्की चोटें आई थीं। उस वक्त नगर निगम के कहा था कि परिवार को मकान का मेंटिनेंस कराने या खाली करने के लिए नोटिस दी गई थी। फिर भी लोग ध्यान नहीं दिए थे और उसी जर्जर मकान में रह रहे थे।
वर्जन
शहर के जर्जर मकानों को चिन्हित करके उनके मालिकों को नोटिस दी गई है। कहा गया है कि वह मकान ठीक करा लें या सुरक्षा के मद्देनजर खाली कर सुरक्षित स्थान पर रहें। फिर भी लोग नहीं मान रहे तो विभाग क्या कर सकता है। हम खतरे से लोगों को आगाह ही कर सकते हैं। रि-जांच कराकर इस बार कार्रवाई के लिए प्रशासन को पत्र लिखा जाएगा।
इं। सतीश कुमार, मुख्य अभियंता नगर निगम