इरिटेट हो रहा यंगिस्तान
प्रयागराज (ब्यूरो)। पुलिस विभाग के दस्तावेज में पिछले साल 18 वर्ष से ऊपर के लापता होने वाले बालिगों की कुल संख्या करीब 287 है। इनमें से अब तक करीब एक दर्जन युवा ही बरामद किए जा सके हैं। शेष की तलाश पुलिस आज भी और उनकी लोकेशन तक नहीं मिल रही। हाल के एक हफ्ते में आधा दर्जन से अधिक युवतियां बगैर बताए घर छोड़ दीं। इनमें से पांच युवतियों को पुलिस द्वारा गैर जनपदों से बरामद किया गया। लापता इन युवाओं के पीछे मनोचिकित्सक अभिभावकों की परंपरागत सोच को कारण मान रहे हैं।
287 बालिग पिछले साल अचानक हुए लापता128 पुरुष और 159 महिलाएं हुई थीं लापता
12 के करीब लापता बालिग किए गए बरामद
बगैर बताए लापता हुए 286 युवा
शहर में पिछले साल दिसंबर महीने के अंतिम सप्ताह से एक जनवरी 2023 के बीच सात युवतियां घर छोड़कर चली गईं। परिजनों की शिकायत पर जांच में जुटी कर्नलगंज और सिविल लाइंस थाने की पुलिस इनमें से पांच युवतियों को मोबाइल लोकेशन की मदद से खोज निकाली। इसके पहले पूरे 2022 में कुल 287 युवा जिले से गायब हुए। गायब होने वाले इन युवाओं में 128 पुरुष व 159 महिलाएं व लड़कियां शामिल हैं। इनके लापता होने की रिपोर्ट अभिभावकों द्वारा जिले के विभिन्न थानों में दर्ज कराई गई। यह सभी 18 वर्ष से ऊपर और सभी बालिग हैं। छानबीन में जुटी पुलिस दबी जुबान कहती है कि ज्यादातर युवा अपनी मर्जी से बगैर बताए घर से निकले हैं। कई तो इतने चालाक हैं कि वह अपने साथ खुद का मोबाइल तक घर पर छोड़ गए हैं। इतना ही नहीं पिछले वर्ष 84 नाबालिग 18 वर्ष से कम बालक और बालिकाएं भी लापता हुई हैं। हालांकि इनमें से 50 के करीब नाबालिगों को पुलिस खोज निकाली है। इस हालात के पीछे मनोचिकित्सक अभिभावकों की पुरानी सोच को बड़ा कारण मान रहे हैं। कहना है कि दौर तेजी से बदल रहा है ऐसे में युवाओं की सोच में भी बड़ा चेंज आया है। अभिभावकों को बच्चों को घरों में खुला माहौल और अपनी बात रखने की पूरी आजादी नहीं दे पा रहे हैं। यही वजह है कि खुद को घर में होते हुए भी तमाम युवा खुद को बंदिश में महसूस करने लगते हैं। ऐसी स्थिति में वह तमाम परिस्थितियों में बगैर बताए घर से चले जाते हैं।
इस तरह अभिभावक बनाएं तालमेल
अभिभावकों को चाहिए कि वह अपने बालिग बेटी व बेटे से खुलकर बातें करें, यदि वह अपनी लाइफ को लेकर कुछ कह रहे उनकी बातों को तवज्जो दें।
बालक बालिग है तो उससे उनकी गल्र्स फ्रैंड व फेस बुक के दोस्तों और चैटिंग आदि के बारे में भी खुली बातें करें
इससे खुलकर अभिभावकों को सारी बातें शेयर करने में उन्हें झिझक नहीं होगी और वह खुद को घर में भी कंफर्ट फील करेंगे
इसके बाद यदि लगता है कि वह कुछ गलत कह रहे तो अभिभावकों को उस पर तत्काल रिएक्ट नहीं करना चाहिए
उस वक्त उस बात को टालते हुए नजरंदाज करके सही वक्त और माहौल में उसके द्वारा पूर्व में कही बातों को लेकर उसके हित व अनहित के बारे में बताएं
यह बताते हुए उससे यह जरूर कहीं कि फिर भी यदि वह अपनी बात को मनवाना चाहता है तो आप को कोई आपत्ति नहीं है
इससे बच्चे की मानसिक दशा चेंज होगी और वह आप की बातों पर भी मंथन करेगा और अपनी बात अभिभावकों को बताएगा
ऐसी दशा में लड़के हों या फिर लड़कियां वह बगैर बताए घर छोडऩे या किसी फ्रैंड के साथ भागने अथवां कहीं जाने की जरूरत नहीं समझेंगी।
लड़की का ब्वाय फ्रैंड हो या बेटे की गल्र्स फ्रैंड दोनों को घर पर आने की इजाजत इस दौर में अभिभावकों को देनी चाहिए
चूंकि युवा पीढ़ी की सोच तेजी के साथ बदल रही है, ऐसे में उनकी सोच के साथ अभिभावकों को एडजस्ट करने की जरूरत है
डॉ। राकेश पासवान, मनोचिकित्सक