-चार माह पहले एसआरएन अस्पताल में हो चुका है आपरेशन-डेढ़ साल बाद बन जाएगी पूर्ण रूप से पुरुष हो चुके हैं दो आपरेशनप्रयागराज- दो युवतियों के बीच हुए प्यार में एक ने खुद को पुरुष बनाने का निर्णय लिया है. उसने एसआरएन अस्पताल में चार माह पहले हुई सर्जरी के जरिए शरीर के ऊपरी हिस्से को परिवर्तित कर लिया है. हाल ही में अस्पताल के महिला एवं प्रसूती विभाग में हुई सर्जरी में उसकी बच्चेदानी को भी निकाल दिया गया है. डॉक्टर्स का कहना है कि कुछ माह बाद उसकी फाइनल सर्जरी होगी इसमें उसके बॉडी के सेक्सुअल पार्ट को भी बदल दिया जाएगा. इस तरह से एक से डेढ़ साल के बाद वह पूरी तरह से पुरुष बन जाएगी.

युवती के पुरुष बनने की प्रक्रिया में केवल शारीरिक परिवर्तन ही नही होंगे। उसके हाव भाव को भी बदला जाएगा। उसकी दाढ़ी मूछ भी उगाई जाएंगी। इसके लिए उसे टेस्टोरान हार्मोन थेरेपी दी जाएगी। जिससे उसके भीतर का पुरुषत्व जागेगा और वह उसमें पूर्ण परिवर्तन सामने आने लगेगा। फिलहाल प्रक्रिया जारी है और वह डॉक्टर्स उसकी ख्वाहिश को पूरा करने में लगे हुए हैं।
क्यों उठाया कदम
बताया गया कि फाफामऊ की रहने वाली युवती बीए की छात्रा है। उसे एक अन्य युवती से प्रेम हो गया है। जब उसने यह बात अपने परिजनों को बताई तो वह मुकर गए। उन्होंने उसे डांट फटकार कर समझाने की कोशिश की। लेकिन युवती नही मानी। वह एसआरएन अस्पताल पहुंच गई। वहां पर उसने प्लास्टिक सर्जन डॉ। मोहित जैन से मुलाकात की। लड़की बालिग है इसलिए उसकी इच्छानुसार सहमति पत्र लेने के बाद आपरेशन कर जेंडर बदला गया।

नही है कोई नई बात
डॉक्टर्स का कहना है कि इस तरह का आपरेशन कोई नई बात नहीं है। दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में अमूमन यह होते रहते हैं। पूरी प्रक्रिया काफी लंबी और जटिल है। युवती में टेस्टोरान हार्मोन धीरे-धीरे प्रत्यारोपित किया जाएगा जिससे उसमें पुरुषत्व को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि एसआरएन अस्पताल के महिला व प्रसूति विभाग की हेड डॉ। अमृता सिंह ने कुछ भी बताने से इंाकर किया है। उनका कहना है कि यह किसी का बेहद निजी मामला है और इसमें किसी प्रकार की कोई बयानबाजी उचित नही है। बता दें कि तीसरे चरण का आपरेशन यूरोलाजिस्ट और प्लास्टिक सर्जन मिलकर करेंगे।

मेंटली फिट है युवती
डॉक्टर्स का कहना है कि जेंडर परिवर्तन से पहले युवती की मनोचिकित्सकों से काउंसिङ्क्षलग कराई जा चुकी है। वह शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ पायी गई थी। मनोचिकित्सकों ने पाया कि उसे जेंडर आइडेंटिटी डिसआर्डर है। इसमें लोगों को प्रकृति से मिले अपने शरीर में जेंडर से घुटन होने लगती है। एसआरएन में यह प्रक्रिया काफी कम पैसों में हो रही है। जबकि दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों में 5 से 6 लाख रुपए जेंडर परिवर्तन में खर्च हो जाते हैं।

Posted By: Inextlive