महाकुंभ के पहले 2024 तक ही निर्माण कार्य पूरा करने का निर्धारित लक्ष्य नहीं हुआ पूराअब शासन का प्रेशर पडऩे के बाद आननफानन आवागमन किसी सूरत चालू करने की कवायद

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। यमुनापार मलाक हरहर से बेली नाला तक बनाए जा रहे पुल से महाकुंभ में श्रद्धालु सफर कर सकेंगे। सब कुछ ठीक रहा तो इस ब्रिज के वन साइड को 31 दिसंबर से पहले चालू कर दिया जाएगा। इसके लिए शासन के प्रेशर को देखते हुए कार्यदायी संस्था ने रास्ता निकाल लिया है। एक साइड से आवागमन शुरू करने के लिए गंगा नदी में जहां तक पानी टंप्रेरी तौर पर स्टील ब्रिज बनाया जा रहा है। ताकि इस स्टील ब्रिज से बनाई गई रोड को मुख्य सिक्स लेन के वन साइड से कनेक्ट कर दिया। इस कमेटमेंट को पूरा करने के लिए कार्यदायी संस्था के लोग दिन रात जूझ रहे हैं। चालू किए जाने वाले इस ब्रिज से एक अप्रोच रोड बनाकर कछार में बनाई जा रही पार्किंग से कनेक्ट करने का भी प्लान है। ताकि महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के वाहन इस ब्रिज से निकालकर पार्किंग में पार्क कराए जा सकें। इस प्रयास व दावे पर विभाग कितना खरा उतरेगा? यह आने वाला वक्त ही बताएगा।

9.9 किमी लंबा है बेली तक बन रहा गंगा में ब्रिज एक साइड से आवागमन शुरू करने के लिए बनया जा रहा फोर लेन का टंप्रेरी स्टील ब्रिज
2021 में शुरू हुआ था इस ब्रिज का निर्माण
31 दिसंबर तक एक साइड से शुरू होगा आवागमन
30 मीटर सराउंडिंग एरिया चौराहा होगा बेली नाका के पास
600 मीटर चार लेन का बन रहा स्टील ब्रिज

महाकुंभ बाद हटेगा स्टील ब्रिज
मलाक हरहर से बेली नाला त्रिपाठी चौराहे तक 9.9 किलोमीटर सिक्स लेन ब्रिज बनाने का प्लान सरकार ने तैयार किया था। मंशा थी कि इस ब्रिज के बन जाने पर महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को काफी सहूलियत मिलेगी। कार्यदायी संस्था के द्वारा वर्ष 2024 तक ब्रिज को कम्प्लीट करके देने का वादा किया गया था। मगर यह दावा संस्था पूरा नहीं कर सकी। जबकि महाकुंभ को शुरू होने में अब लगभग ढाई महीने ही शेष हैं। ब्रिज के कार्य की प्रगति को देखते हुए शासन स्तर परे प्रेशर बढऩे लगा। प्रेशर पडऩे के बाद कार्यदायी संस्था महाकुंभ में ब्रिज को वन साइड से चालू करने का कमेटमेंट कर चुकी है। इसके लिए गंगा नदी में करीब पांच से छह मीटर 04 लेन का टंप्रेरी ब्रिज बनाया जा रहा है। कार्यदायी संस्था से जुड़े लोगों ने बताया कि इस स्टील ब्रिज से होकर लखनऊ, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर साइड से आने वाले श्रद्धालु शहर में प्रवेश कर सकेंगे। मतलब कि महाकुंभ में एक साइड से हर हाल में इस ब्रिज को चालू कर दिया जाएगा। महाकुंभ समाप्त होने के बाद फोर लेन इस टंप्रेरी ब्रिज को हटा दिया जाएगा। फिर पूरे सिक्स लेन के काम को इत्मिनान से कार्यदायी संस्था 2006 तक कम्प्लीट करेगी। महाकुंभ के लिए नदी पर बनाए जा रहे स्टील ब्रिज की लागत 40 से 50 करोड़ रुपये बताई जा रही है। यह पैसा ब्रिज को बनवा रही रोड मिनिस्ट्री ऑफ ट्रांसपोर्ट एण्ड हाईवे के द्वारा दिए गए हैं।

बीमारी न फैला दे इलाके में यह राख
बेली के पास लखनऊ हाईवे से सटे ब्रिज के इंडिंग प्वाइंट पर इन दिनों राख डालने का काम किया जा रहा है। यह राख आसपास रहने वालों के लिए मुसीबत बन गई है। लोगों बताते हैं कि राख उड़कर लोगों की छतों व घरों तक पहुंच जा रही है। इससे आसपास स्थित घरों के लोगों को दिन में दो बार सफाई करनी पड़ रही है। ऐसा इसलिए हो रहा क्योंकि कार्यदायी संस्था के द्वारा डाली जा रही राख पर पर्याप्त पानी का छिड़काव नहीं किया जा रहा। पॉवर प्लांट से मंगाई गई यह राख उड़कर हवा में मिल जा रही है। जो श्वांस के सहारे लोगों के फेफड़े में जा रही है। इससे आसपास के लोगों में दमा जैसी अन्य बीमारियों के फैलने की आशंका बढ़ गई है।

कार्य स्थल पर बोर्ड तक नहीं लगा
ब्रिज का काम कराने वाली संस्था द्वारा कोई बोर्ड भी नहीं लगाया गया है ताकि यह पता चल सके कि काम कब शुरू हुआ और खत्म करने की डेट क्या है? जानकार बताते हैं कि कोई भी निर्माण कार्य हो इस बोर्ड को लगाया जाना जरूरी होता है। इस बोर्ड शासन की योजना से लेकर कार्य कराने वाली संस्था व बजट जैसी अन्य तमाम डिटेल भी लिखी होनी चाहिए। ताकि कार्य के प्रति पारदर्शिता बनी रहे और पब्लिक को भी वह तमाम जानकारियां हो सकें। ब्रिज के नीचे मौजूद कार्यदायी संस्था के कार्यालय में मिले कुछ जिम्मेदार कहते हैं कि बोर्ड लगा था जगह के अभाव में हटा दिया गया है। अब सवाल यह उठता है कि इस बोर्ड कितना बड़ा है जिसे लगाने के लिए कंपनी के लोगों को जगह ही नहीं मिल रही है। इतने बड़े प्रोजेक्ट पर काम करने वाली कंपनी के लोग मोबाइल नंबर तो दूर नाम तक बताने से भागते रहे।

Posted By: Inextlive