हादसा हुआ तो नहीं कर पाएंगे क्लेम
प्रयागराज ब्यूरो, शहर के अंदर दौड़ रही ट्रैक्टर-ट्रॉली, मैजिक गाड़ी हादसों को दावत दे रही है। खाकी की आंख पूरी तरह से मानों जैसा बंद पड़ा हो। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट के रियलिटी चेक में पाया गया कि थाने, चौकी व रास्ते में लगे पुलिस की विकेट और 112 नंबर की गाडिय़ों के सामने से गुजर रहे हैं। जबकि कानपुर में ट्रैक्टर-ट्रॉली से हुए हादसे में 26 लोगों की मौतों के बाद सीएम ने अपील भी की थी। कृषि कार्यों में इस्तेमाल होने वाले वाहनों पर बैठकर कहीं न जाए। उसके बावजूद जिले में इन वाहनों पर बैठकर लोग आसपास नहीं बल्कि लंबी दूरी तय कर रहे हैं। संगम क्षेत्र तरफ पहुंचने वाले एरिया में यह दृश्य आम बात है। सबसे ज्यादा घूरपुर, करछना, मेजा, होलागढ़, कोरांव, मांडा और शंकरगढ़ तरफ से आने वालों की संख्या अधिक है। जबकि रास्ते में यह वाहन थाने, चौकी, विकेट और 112 नंबर की गाडिय़ों को पार करके ही यहां तक पहुंचते है। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट के रियलिटी चेक में ज्यादातर इन वाहनों पर से नंबर मिटे मिले। पूछताछ के बाद आधा दर्जन से अधिक गाडिय़ों का नंबर हासिल हुआ। जिसको परिवहन विभाग के एप से चेक करने पर सभी इंश्योरेंस और फिटनेस एक्सपायरी मिला।
वाहन नंबर - इंश्योरेंस एक्सपायर डेट - फिटनेस
यूपी 70 एन 7623 - 8 सितंबर 2013 - एक्सपायर
आखिर कौन है जिम्मेदार?
रियलिटी चेक में कई सवाल निकल कर सामने आए। हर किसी गरीब भक्त की ये कामना रहती है कि वे भगवान के दर्शन कर सकें, जहां पर अपने खर्च पर जाना उनके लिए थोड़ा मुश्किल होता है। इसलिए, खासकर देहात में रहने वाले लोग सबसे सस्ते साधन यानी ट्रैक्टर-ट्रॉली, छोटा हाथी ही इसका जरिया बनाते है। चंद पैसों के लिए रास्ते में कोई खाकी वाला व आरटीओ विभाग के जिम्मेदार रोकते भी नहीं है। लेकिन सवाल सिर्फ यह है कि हादसे के बाद आखिर गरीब व परिवार जिम्मेदार है या फिर वह जो नियम को तोडऩे दे रहे है। क्योंकि इन वाहनों को चलाने वाले बताते हैं कोई रोकता नहीं और इससे सस्ता साधन कुछ नहीं है।
फिलहाल अभी तक इन वाहनों के खिलाफ ट्रैफिक विभाग की तरफ से कोई कार्रवाई की नहीं गई है। लेकिन निगरानी की जा रही है। अगर कोई ऐसा करता दिखाई पड़ता है तो उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
वर्जन - संतोष कुमार सिंह, सीओ ट्रैफिक ट्रैक्टर-ट्रॉली व अन्य माल ढुलाई में इस्तेमाल होने वाले वाहनों में सवारी को बैठाकर सड़क पर चल रहा है तो बिल्कुल गलत है। इन वाहनों के खिलाफ भी अभियान चलाकर जागरूक करने के साथ कार्रवाई की जायेगी।
वर्जन - अलका शुक्ला, एआरटीओ प्रवर्तन दल