यूक्रेन में फंसी यशस्वी मंगलवार को पहुंची घर, सौरभ-ऋतिक पहुंचे मुंबई
प्रयागराज (ब्यूरो)।
एयरपोर्ट पहुंच गये थे परिजन
नेवी से रिटायर्ड होने के बाद शंभूनाथ इंजीनियरिंक कॉलेज में टीचिंग प्रोफेशन से जुड़े नरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की दो बेटियां ही हैं। यशस्वी उनकी बड़ी बेटी है। वह मेडिकल की पढ़ाई करना चाहती थी तो पिता ने उसे यूक्रेन में दाखिला दिया था। छोटी श्रुति यहीं पर रहकर पढ़ाई कर रही है। यूक्रेन और रशिया के बीच युद्ध शुरू हो जाने की सूचना के बाद इन दोनों के अलावा मां शोभा श्रीवास्तव के आंखों की नींद उड़ चुकी थी। मंगलवार को इन्हें पता चला कि बेटी दिल्ली पहुंच चुकी है और वहां से लखनऊ के रास्ते प्रयागराज एयरपोर्ट पहुंचेगी तो वे सभी एयरपोर्ट पहुंच गये। बेटी को सामने देखने के बाद उनके चेहरे पर रौनक लौट आयी। घर पहुंचने के बाद यशस्वी ने दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट से बातचीत के दौरान युद्ध के डरावने हालात को बयां किया। छात्रा बोलते-बोलते रो पड़ी। बताया कि यूक्रेन और रोमानिया बार्डर पर स्थिति भयावह है। जो झेल रहा है वही जानता है। आप सोच भी नहीं सकते, उससे ज्यादा हो रहा है1
अचानक सब कुछ बदल गया
धूमनगंज एरिया के मुंडेरा में अपने आवास पर मिली यशस्वी ने बताया कि वह एमबीबीएस सेकंड ईयर की छात्रा है। बताया कि उनकी पढ़ाई अच्छी चल रही थी। जनवरी में एडवाइजरी जारी हुई तो मन में डर आया लेकिन लगा कि आने वाले दिनों में सब कुछ ठीक हो जाएगा। दोनो देश से युद्ध के मैदान में नहीं उतरेंगे लेकिन पिछले दस दिन में सब कुछ बदल चुका था। बमबारी शुरू हुई तो सबके होश उड़ गये। जान पर बन आयी थी। यह जानकारी होते ही सभी छात्रों ने पैकिंग शुरू कर दी। जितना भी स्टोर कर सकते थे राशन खरीद लिया था। घर वापसी के लिए लिए प्रयास शुरू कर दिया था। घरवालों के फोन लगातार घनघना रहे थे। शुक्रवार को कंसल्टेंट और एंबेसी से सूचना मिली तो तत्काल निकल गए। 250-250 छात्रों की दो टीमों को रोमानिया के रास्ते इंडिया लाया गया है।
बॉर्डर से दस किलोमीटर दूर उतारा
यशस्वी ने बताया कि भीड़ अधिक होने के कारण यूक्रेन रोमानिया बॉर्डर से लगभग आठ-दस किलोमीटर दूर उतार दिया गया। वहां से सभी लोगों को भीषण ठंड में पैदल चलना पड़ा। बार्डर पहुंचे तो भीड़ जबरदस्त थी। करीब आठ से दस घंटे खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार किया। लगातार खड़े होने के चलते उनके कुछ दोस्त समेत अन्य छात्र बेहोश होकर गिर पड़े। कई घंटे कड़ी मेहनत के बाद एंट्री मिली। बताया कि रास्ते में खाने तक के लाले पड़े। फिर भी दिमाग में एक ही चीज चल रही थी। किसी तरह से अपने वतन पहुंचना है। वहां एयरपोर्ट पहुंच कर एयर इंडिया की फ्लाइट से दिल्ली पहुंची तो राहत मिली।
राष्ट्रीय ध्वज बन गया सुरक्षा कवच
यशस्वी ने यूक्रेन के युद्धग्रस्त क्षेत्रों के भयावह मंजर को बयां किया। बताया कि राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा उनके लिए रक्षा कवच का काम किया। यशस्वी के मुताबिक अब यूक्रेन और उससे सटी सीमाओं में हालात बेकाबू हो गए हैं। माइनस 10 डिग्री का तापमान के बीच रूस द्वारा की जा रही गोलीबारी से हर ओर से सिर्फ तबाही का ही मंजर देखने को मिल रहा है। वह खुद को खुशनसीब मान रही हैं, जो सकुशल अपने शहर वापस लौटी हैं।
सौरभ -ऋतिक वाराणसी के रास्ते आएंगे
यूक्रेन में पढ़ाई करने गए जिले के बीस छात्रों के अलावा एक और छात्र का नाम सामने आया है। मु_ीगंज का रहने वाले दिव्यांशु वर्मा ने सूचना दी है कि उनका भाई श्रेयांस वर्मा मेडिकल की पढ़ाई करने यूक्रेन गया है। वहां युद्ध में फंसा है। जिसके चलते पूरा परिवार काफी परेशान और चिंतित है। माना जा रहा है कि यूक्रेन में फंसे होने की यह संख्या अभी और बढेगी। मंगलवार को प्रयागराज के दो और छात्र फ्लाइट से मुंबई पहुंच गए हैं। वह सीधे वाराणसी पहुंचेंगे और वहां से सड़क मार्ग से प्रयागराज आएंगे। इसमें साकेत नगर धूमनगंज निवासी ऋतिक दिवाकर व पंडुआ प्रतापपुर तहसील बारा निवासी सौरभ केसरवानी का नाम शामिल हैं। जैसे ही बच्चों ने यह सूचना घर वालों को दी तो उन्होंने भगवान का शुक्रिया अदा किया। लूकरगंज के रहने अनमोल अहूजा और झूंसी निवासी प्राची मिश्रा व अन्य छात्र-छात्राएं रोमानिया बार्डर पर अब भी फंसे हुए हैं। वह अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। माना जा रहा है इन दोनों के साथ अन्य छात्रों को बुधवार वतन वापस आने के लिए फ्लाइट मिल जाएगी।