देवी मंदिरों व घरों में मां भगवती के शैलपुत्री स्वरूप का हुआ दर्शन व पूजन

मंदिरों में बड़ी संख्या में भोर से पहुंचे भक्त, कोविड नियमों का हुआ पालन

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PRAYAGRAJ: चैत्र शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि पर मंगलवार को मां भगवती के पावन पर्व की शुरुआत हो गई। लोगों ने पूरे विधि विधान के साथ मंदिरों व घरों में कलश स्थापना करके मां की आराधना का संकल्प लेते हुए आदि शक्ति मां जगदंबा की स्तुति का शुभारम्भ किया। नवरात्र के पहले दिन मां के शैलपुत्री स्वरूप को भक्तों और व्रतियों ने विधि विधान के साथ पूजन किया। इस मौके पर ब्राम्हणों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच नौ दिन का संकल्प लेकर व्रत करने वालों ने मिट्टी में जौ बोया, उसके ऊपर घट में गंगा जल, मिट्टी, पैसा डालकर ऊपर आम की पत्तियां, पान, सुपाड़ी रखकर रक्षासूत्र बांधकर उसके ऊपर रखा। इसके बाद मां आदि शक्ति का ध्यान करते हुए क्षमायाचना के साथ नौ दिनों के व्रत की शुरुआत की।

जलाई अखंड ज्योति, हुआ श्री दुर्गा सप्तशती पाठ

नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना के बाद भक्तों ने विधि विधान के साथ पूजन करने साथ ही ब्राह्माणों द्वारा श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ कराया। साथ ही मां भगवती की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए लोगों ने घरों में अखंड ज्योति जलाई। नवरात्र का प्रथम दिन होने के कारण मंगलवार की भोर से संगम पर स्नानार्थियों की संख्या भी बढ़ने लगी। लोगों ने संगम के पवित्र जल में स्नान करने के बाद विधि पूर्वक पूजन किया और गंगाजल लेकर घर पहुंचे जहां पूजन करके नौ दिन के व्रत का संकल्प लिया। भक्तों ने मां भगवती से स्वयं के अंदर व्याप्त काम, क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार जैसे शत्रुओं को नष्ट करने की कामना की। मां भगवती से वैभव, यश-कीर्ति प्रदान करने की प्रार्थना किया। नवरात्र के दूसरे दिन बुधवार को मां भगवती के ब्रह्माचारिणी स्वरूप का पूजन होगा। स्वरूप के अनुरूप ही देवी मंदिरों में मां का श्रृंगार होगा।

कल्याणी देवी में सुबह 6 बजे से शुरू हुआ दर्शन

नवरात्र के पहले दिन मां कल्याणी देवी में साढ़े पांच बजे मां की आरती हुई। इसके बाद 6 बजे से दर्शन व पूजन का सिलसिला शुरू हो गया। जो दोपहर एक बजे तक चलता रहा। इसी क्रम में मंगलवार से श्री शतचंडी पाठ वैदिक ब्राम्हणों द्वारा शुरू किया गया। जो कि सुबह 8 बजे से 11 बजे ओर शाम 4 बजे से शाम 7 बजे तक चला। इसी क्रम में दोपहर 3 बजे मां का अभिषेक भी किया गया। शाम को आचार्य पं। श्याम जी पाठक के नेतृत्व में मां का मनोहारी श्रृंगार किया गया, इस मौके पर मां के गर्भगृह रजनीगंधा, गेंदा, बेला आदि के फूलों से सजाया गया। कोविड 19 को देखते हुए पांच श्रद्धालुओं को ही एक बार में गर्भ गृह में प्रवेश दिया गया।

Posted By: Inextlive