प्रयाग से शुरू हुई थी दुनिया की पहली हवाई डाक सेवा
प्रयागराज ब्यूरो । प्रयागराज शहर से जुड़ी आज एक ऐसी खबर है जिसे जानकर आप का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा। बात आज से करीब 110 वर्ष पहले की है। जब डाक सेवा के मामले में विश्वस्तर पर इस शहर ने अपने नाम का इतिहास लिख दिया था। पूरी दुनिया में यूपी का यह ऐसा शहर है जहां से पहली बार हवाई डाक सेवा की शुरुआत की गई थी। उस दौर में हवाई डाक सेवा का शुभारंभ देखने के लिए करीब एक लाख लोग इकट्ठा हुए थे। डाक विभाग के इतिहास में प्रयागराज अब इलाहाबाद का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। यह इतिहास सिर्फ शहर का ही नहीं बल्कि डाक विभाग का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर दिया था। इसी इतिहास के चलते आज भी भारतीय डाक का नाम विश्व में बड़े अदब और सम्मान से लिया जाता है। सिविल लाइंस प्रधान डाकघर में विभाग के ऐसे कई इतिहास किताबों व फाइलों में आज भी मौजूद हैं। जैसे-जैसे वक्त बदलता गया आधुनिकता हावी होती है। बदलते दौर में तमाम प्राइवेट कंपनियां भी इस फीड में कूद पड़ीं। यह देखते हुए डाक विभाग भी खुद में बदलाव लाता गया। आज तमाम आधुनिक सुविधाएं और योजनाओं का संचालन पब्लिक के लिए विभाग कर रहा है।
कुंभ के दौरान बना था यह इतिहास
उत्तर प्रदेश का यह प्रयागराज दुनिया भर में अपना नाम कई मायनों में अमर कर चुका है। प्रधान डाक घर के सीनियर पोस्टमास्टर बताते हैं कि डाक सेवा में प्रयागराज का नाम विश्व में बड़े अदब से लिया जाता था। उनके मुताबिक 18 फरवरी 1911 डाक विभाग ही नहीं शहर के लिए भी ऐतिहासिक दिन था। यह वही तारीख है जब दुनिया में पहली बार इस शहर से हवाई डाक सेवा की शुरुआत की गई। विभाग के बुक में यह बात अंकित है। कहते हैं कि यह संयोग था कि दुनिया में जब पहली बार जिस दिन यहां हवाई डाक सेवा शुरू की गई उस वक्त कुंभ लगा था। शहर में यह इतिहास फ्रेंच पायलट मोनसियर हेनरी पिक्वेट के द्वारा रचा गया था। उन्होंने अपने विमान में 6500 पत्रों को लेकर इलाहाबाद अब प्रयागराज शहर से नैनी के लिए उड़ान भरे थे। जिस विमान से यह पत्र नैनी ले जाया गया था उसका नाम हैवीलैंड एयरक्राफ्ट था। इस तरह दुनिया में पहली बार सरकारी डाक सेवा का नया इतिहास लिखा गया।
नैनी जंक्शन के पास हुई थी लैंडिंग
शाम को करीब साढ़े पांच बजे यह डाक पत्रों को लेकर यमुना नदी के किनारे से उड़ान भरा था।
विमान नदी को पार करते हुए करीब 13 मिनट में 15 किमी का सफर पूरा करके नैनी जंक्शन के पास उतरा था।
इस स्थान की दूरी नैनी सेंट्रल जेल से काफी कम थी। हवाई डाक सेवा शुभारंभ का स्थान नदी किनारे आयोजित एक कृषि व व्यापार मेला था।
इस मेला का नाम यूपी एक्जीबिशन था। इस प्रदर्शनी में दो तरह के उड़ान मशीनों का प्रदर्शन किया गया था।
विमान को कुछ ब्रिटिश अफसरों द्वारा आयात किया गया था। इसके पार्ट अलग-अलग थे। जिसे आम लोगों के बीच प्रदर्शनी स्थल पर ही जोड़ा गया था।
इस इतिहास को रचने के लिए उस वक्त डाक प्रमुख के द्वारा स्वीकृति भी दी गई थी।
बताते हैं कि उस वक्त पहली हवाई डाक और यूपी प्रदर्शनी इलाहाबाद मेला बैग पर लिखा गया था।
इस पर एक विमान का चित्र भी प्रकाशित किया गया था। इसे लिखने में काली श्याही की जगह मैजेंटा स्याही का प्रयोग किया था।
चंद दिनों में इकट्ठा हुए थे 3000 पत्र
प्रधान डाक घर के अफसरों ने बताया कि भारतीय डाक पर लिखी गई तमाम पुस्तकों में यह सब पढऩे को आज भी मिलता है। पहली हवाई डाक सेवा का शुल्क उस वक्त छह आना तय किया गया था। इससे होने वाली आय को आक्सफोर्ड एण्ड कैंब्रिज हास्टल इलाहाबाद को दान दे दिया गया था। इस सेवा के लिए 18 फरवरी को दोपहर तक पत्रों की बुकिंग की गई थी। पत्रों की बुकिंग के लिए आक्सफोर्ड कैंब्रिज हॉस्टल में काउंटर खोले गए थे। चंद दिनों में हवाई डाक सेवा के लिए करीब 3000 पत्र पहुंच गए थे। इस पत्र को भेजने वालों में प्रयागराज के दौलतमंद तो थे ही राजा और राजकुमार भी शामिल थे।
कोरियर दौर में दमदारी से डटा विभाग
बदले दौर में तमाम कोरियर कंपनिया पब्लिक को डाक सेवा की हाईटेक सुविधाएं मुहैया करा रहीं हैं। ऐसे में टिके रहने के लिए डाक विभाग भी खुद में बड़ा परिवर्तन किया।
अधिकारी बताते हैं कि डाक विभाग वक्त के साथ पब्लिक की जरूरतों को देखते हुए खुद को अपडेट करते हुए पासपोर्ट व आधार कार्ड जैसी सुविधा दे रहा है।
घर बैठे लोग यदि भेजा गया पार्सल विदेश में है और कहां पहुंचा है पोस्ट इंफो एप से ट्रैक कर सकते हैं, उन्हें कहीं जाने या विभाग में आने की जरूरत नहीं है।
आज डाक विभाग एईपीएस यानी आधार इनेवल्ट पेमेंट सर्विस यानी खाता कहीं भी हो खाता धारक अंगूठा लगाकर पसा डाक घर से ले सकते हैं।
अधिकारी बताते हैं कि डाक विभाग लोगों के जमा पूरे पैसे की सुरक्षा व कुछ होने पर वापसी की गारंटी पब्लिक को देता है। जबकि बैंकें लोगों का पैसा कितना भी जमा हो रिश्कवर पांच लाख तक ही देती हैं।
सीईएलसी यानी चाइल्डइनरोल मेंट अर्थात पांच वर्ष से कम बच्चों का मोबाइल से आधार कार्ड बनाने की सुविधा भी डाक विभाग लोगों को दे रहा है।
आज डाक विभाग लोगों के मोबाइल रिचार्ज करने का भी काम कर रहा है। इसके लिए लोगों को विभाग के कस्टमर सर्विस सेंटर तक आना होगा।
प्रयागराज से विभाग का पुराना व इतिहास जुड़ा हुआ है। दुनिया में पहली बार हवाई डाक सेवा इसी शहर से शुरू हुई थी। डाक विभाग पर पब्लिक को पूरा भरोसा है। विभाग में आज तमाम हाईटेक जन सुविधाएं मौजूद हैं।
राजेश कुमार श्रीवास्तव, सीनियर पोस्ट मास्टर प्रधान डाक घर