'अपने शहर को बदसूरत नहीं होने देंगे'
- गंगा प्रदूषण की कार्यप्रणाली पर
पार्षदों एवं महापौर ने भी जतायी नाराजगी गंगा प्रदूषण की कार्यप्रणाली पर सदन में हर पार्षद सवाल उठा रहा था। बिना ले आउट के घरेलू कनेक्शन, सीवर लाइन डालने में मनमानी सहित कई समस्याओं को पार्षदों ने सदन को अवगत कराया। कहा कि सड़के खोद दी पर उसे बनायी नहीं। बारिश का दिन भी आ गया है। ऐसे में पूरा नगर बदहाल हो जायेगा। इस पर सदन की अध्यक्षता कर रहीं महापौर अभिलाषा गुप्ता नंदी ने नाराजगी जताते हुए कहा कि गंगा प्रदूषण ने नयी व्यवस्था देने के नाम पर पूरे शहर को चौपट कर रखा है। उन्होंने नगर आयुक्त रविरंजन से कहा कि गंगा प्रदूषण के अधिकारियों या दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। हम अपने शहर को बदसूरत नहीं होने देंगे। सीवर कनेक्शन भी नहीं पूरा हुआसदन में पार्षद मुकुंद तिवारी ने गंगा प्रदूषण की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाना शुरू किया। बताया कि कालोनियों में सीवर लाइन सफाई नहीं हो रही है। सीवर कनेक्शन भी अभी पूरी तरह नहीं हुआ है। नलकूप संचालन कौन कर रहा है। पानी गंदा आ रहा हैं। खासकर पुराने शहर के अलावा तेलियरगंज, रसूलाबाद आदि मोहल्लों की स्थिति ज्यादा दयनीय है। गंगा प्रदूषण को आड़े हाथों लेते हुये पार्षद नेम यादव ने भी कहा कि गंगा प्रदूषण की कार्यप्रणाली सबसे बेकार है। करैलाबाग पार्षद फजल खान ने गंगा प्रदूषण की कार्यदायी संस्था ईएमएस के काम पर सवाल खड़ा किया और कहा की जहां-जहां भी सीवर लाइन डाली गयी है, कहीं पर भी सड़क और गलियों को रोस्टर बनाकर काम नहीं किया गया। पार्षद ने मांग की शासन को गंगा प्रदूषण की कार्यदायी संस्था ईएमएस के खिलाफ सदन से प्रस्ताव भेजकर इसकी उच्चस्तरीय जांच करायी जाय।
निंदा प्रस्ताव लाने की मांग पार्षद मुकुंद तिवारी, नेम यादव आदि ने निंदा प्रस्ताव लाने की मांग की। जिस पर महापौर ने निंदा प्रस्ताव लाने का आदेश दिया और शासन से कार्रवाई की मांग करने का आश्वासन दिया। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुये वरिष्ठ पार्षद रतन दीक्षित ने कहा कि गंगा प्रदूषण के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पिछली बैठक में लाया गया था, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी। अब शासन से ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कराने की मांग करनी चाहिये। सरकार पर साधा निशाना तो हुआ हंगामारतन दीक्षित के संबोधन के बीच पार्षद जिया उबैद ने सरकार पर निशाना साधते हुये कह दिया कि ठेकेदार शासन के ही दोस्त है। इस कथन पर सदन में हंगामा शुरू हो गया। सरकार के खिलाफ बोलने पर विवाद होने लगा। पार्षद रतन दीक्षित ने झोले से कफन और श्मशानघाट की राख निकाल ली। सरकार के खिलाफ आवाज उठाने की बात महापौर को भी नागवार गुजरी। उन्होंने विवाद का निबटारा करने के लिये हस्तक्षेप किया और कहा कि इसमें सरकार का क्या दोष हैं। सरकार तो जनता के लिये सारी योजनायें लाती है।