पति छोड़ पूरे परिवार के पॉजिटिव रिपोर्ट आने से पहले बढ़ी थी टेंशन

खुद को नियंत्रण के बाद पॉजिटिव सोच ने की सबसे अधिक हेल्प

कोरोना महामारी से संक्रमित होने के बाद बड़ी संख्या में लोगों के अंदर एक डर समा जाता है। जो उनके हेल्थ के लिए काफी नुकसान दायक होता है। लेकिन उस डर पर जीत हासिल करने के बाद कोरोना महामारी पर जीत हासिल करना कोई बड़ी बात नहीं है। ऐसी ही कहानी जगत तारन ग‌र्ल्स डिग्री कालेज की संगीत विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। नम्रता देब की है।

माता, पिता व बेटी हो गई पॉजिटिव

नम्रता बताती हैं कि कोरोना होने पर पहले तो मैं डर ही गई थी, क्योंकि मेरे घर में मेरी 9 साल की बेटी और बुजुर्ग माता पिता हैं और मां को डायबिटीज है। पति आगरा में एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं। मेरे पति मनीष कांति पॉल को जैसे ही मेरे संक्रमित होने का पता चला, वह आगरा से प्रयागराज चले आए। दो दिन बाद बिटिया ने सांस में तकलीफ की शिकायत की तो घर में सभी की कोविड जांच करवाई गई तो पाया कि पति को छोड़कर हम सभी पॉजिटिव हैं। मां का आधार कार्ड न होने के कारण जांच न हो सका, उनको भी पॉजिटिव मान कर हम सभी ने डाक्टर्स की सलाह के अनुसार दवाईयों का सेवन शुरू कर दिया।

आशंका से घबराने लगा था मन

डॉ। नम्रता देब बताती हैं कि मेरे पॉजिटव होने की जानकारी जब लोगों को हुई तो मेरे व्हाट्सएप पर मैसेज की बाढ़ सी आ गई, काढ़ा पियो, भाप लो, ये सूंघो वो सूंघो, ये खाओ गरम पानी पियो। ये जानते हुए की मैं किचन तक तो क्या? अपने कमरे की लक्ष्मण रेखा तक पार नहीं कर सकती, न ही हमारी मदद करने बाहर का कोई व्यक्ति आ सकता है। मेरे पति आ चुके हैं लेकिन घर में एक नहीं चार कोरोना मरीज थे। वो अकेले भला क्या-क्या संभालेंगे, मैंने अपनी मजबूरी बताई तो नई हिदायत, आप इलेक्ट्रिक कैटल ले लीजिए। पति मार्केट में गये तो पता चला कि यह उपलब्ध ही नहीं है। डर बढ़ने लगा कि मैं तो बस समय से दवाइयां ही ले रही हूं क्या होगा। इस सोच के बाद मेरे अंतर्मन ने मुझे समझाया, बुरे वक्त ने भी कितना अच्छा समय तुमको दिया है। तुम चाहती थी न कुछ पल रसोई से छुटकारा? आलू, प्याज टमाटर घर पर है की नहीं इन चिंताओं से छुटकारा? कॉलेज के कामों के तनाव से छुटकारा? और तो और कभी सोचा था की तुम्हारे पतिदेव तुम्हारे लिए प्यार से खाना बनाएंगे? सिर्फ तुम्हारी नहीं बिटिया, और तुम्हारे मां बाप का, जितना उनसे बन पड़ता है, ख्याल रखेंगे। यही सोचते सोचते देखा की अब कोई भी लक्षण नहीं रह गए हैं मुझमें। क्योंकि सबसे अच्छी और कारगर दवा बाहर नहीं, बल्कि आपके अंदर ही है। जब कोई रास्ता न दिखे तो खुद को ईश्वर के हवाले कर दीजिए। फिर वो जि़न्दगी दे या मौत। स्वीकार करो।

जरूरत पड़ी तो जरूर दूंगी प्लाजमा

डॉ। नम्रता देब ने बताया कि मैंने अभी- अभी प्लाज्मा थेरैपी के विषय में जाना है। कोविड से ठीक हुए व्यक्ति का प्लाज्मा कोविड के इलाज में काम आ सकता है। इस विषय में और भी जानकारी इकट्ठा कर रही हूं। ऐसे में अगर किसी कोविड 19 पीडि़त मरीज के इलाज के लिए मेरे प्लाजमा की जरूरत पड़ी तो मैं अवश्य दूंगी। किसी की जान बचेगी और मेरा जीवन सार्थक होगा।

Posted By: Inextlive