महिला संगठनों का समर्थन, बनवाएंगे टॉयलेट
दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट के अभियान 'एक्सक्यूज मी, वेयर इज माई टॉयलेट' का विमेन वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन और महिला एनजीओ ने किया समर्थन
- महिला संगठनों ने कहा- जागरूकता की कमी से नहीं बन सके पिंक टॉयलेट दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट द्वारा चलाए जा रहे च्एक्सक्यूज मी, वेयर इज माई टॉयलेटच् अभियान का विमेन वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन और महिला एनजीओ ने समर्थन करते हुए इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है। संगठनों का कहना है कि उन्होंने इसके लिए कई बार पत्राचार किया। लेकिन विभागों में आपसी सामंजस्य न होने से टॉयलेट की समस्या का समाधान नहीं निकला। उम्मीद जताई कि संगठन की ओर से टॉयलेट बनवाने में हर संभव प्रयास किया जाएगा। सजगता और जागरूकता जरूरीजागृति महिला सेवा संस्थान, महिला अधिकार संगठन, राजलक्ष्मी चैरिटेबल सोसायटी प्रयागराज, अल कौसर सोसायटी समेत आधा दर्जन से अधिक महिला संस्थाओं व एनजीओ से जुड़ी महिलाओं ने टॉयलेट की कमी के लिए समाज में जागरूकता और अधिकारियों की सजगता पर सवाल उठाया। महिलाओं की माने तो इस मुद्दे को पुरुष गंभीरता से नहीं लेते हैं।
जब तक समाज जागरूक नहीं होगा तब तक हर आधे किलोमीटर व जरूरत के स्थानों पर पिंक टॉयलेट या फिर सार्वजिनक टॉयलेट की संख्या नहीं बढ़ पाएगी। करोड़ों का बजट बावजूद निर्माण नहींटॉयलेट बनवाने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये का बजट नगर निगम को दिया है। इसमें 14 करोड़ 30 लाख रुपये निगम के पास बचा है। बावजूद इसके निर्माण में तेजी नहीं आ रही है।
देर तक यूरिन रोकना खतरनाक यूरिन संबंधित महिलाओं के केस बढ़े हैैं। यूरिन को रोकने से बॉडी पार्ट्स को नुकसान हो सकता है जो गंभीर रूप लेते हुए खतरनाक साबित हो सकते हैं। ज्यादा देर यूरिन को रोकने पर ब्लैडर पर प्रेशर बढ़ता है जो दर्द का कारण बन सकता है। यह दर्द किडनी तक भी पहुंच सकता है। बार-बार यूरिन रोकना ब्लैडर के साइज को बढ़ा सकता है और उसकी मसल को स्ट्रेच कर सकता है। यूरिन रोकने के कारण यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का भी डर रहता है। डा। अरूण गुप्ता, (बीएचएमएस) कई बार इस मुद्दे को लेकर अधिकारियों तक गए। लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ। एक दर्जन से अधिक एप्लीकेशन सिर्फ नगर निगम विभाग को दिया जा चुका है। डीएम तक बात को पहुंचाई गई। कोई भी जिम्मेदार अधिकारी इस मुद्दे पर बोलने और समाधान करने को आगे नहीं आता है। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट द्वारा चलाये जा रहे अभियान के साथ महिला अधिकार संगठन की हर एक महिला साथ है।मंजू पाठक, महिला अधिकार संगठन अध्यक्ष
टॉयलेट को लेकर कई मूवी तक बन चुके है। पीएम से लेकर सीएम तक खुले में शौच मुक्त का दावा किया जाता है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। शहर का जब यह आलम है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि गांव का क्या होगा। मुद्दा बड़ा लेकिन कोई बात नहीं करना चाहता है। यह आलम अधिकारियों का ही नहीं नेताओं का भी है जो इस ओर ध्यान नहीं देते हैं। मनीषा शुक्ला, जागृति महिला सेवा संस्थान उपाध्यक्ष नगर निगम के अधिकारियों से लेकर मेयर तक जरूरत के स्थानों पर पिंक टॉयलेट बनवाने के लिए आवाज उठाया गया है। मगर अधिकारियों के अश्वासन और झूठे दिलासे के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है। जिम्मेदार अधिकारियों को पिंक टॉयलेट बनवाने के लिए इच्छाशक्ति लाने की जरूरत है। हर खाली स्थान नगर निगम या फिर पीडीए के कब्जे में है। बस यह दोनों विभाग बैठ कर बात कर रास्ता निकाल सकते है। : शानू केशरवानी, महिला संगठन नगर अध्यक्षहाउस टैक्स से लेकर वाटर टैक्स तक का रेट बढ़ रहा है। फिर भी मूलभूत सुविधाएं देने से नगर निगम पीछे हट रहा है। यह सुविधा महिला अधिकार है। टॉयलेट की कमी होने के चलते आज भी महिलाएं पानी कम पीने के साथ ज्यादा देर तक मार्केट में नहीं रोक पाती है। सबसे खराब आलम चौक एरिया का है। इस एरिया में टॉयलेट बनवाने को लेकर कई बार शिकायत पत्र अधिकारियों को दिया गया। कोई सर्वे तक नहीं करने आता है। जिन जगहों पर कुछ बने भी है। वहां साफ-सफाई पर ध्यान नहीं जाता है।
पूजा रंजन, राजलक्ष्मी चैरिटेबल सोसायटी अध्यक्ष दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट द्वारा चलाये जा रहे अभियान का हिस्सा हर सोसायटी की महिला है। हम इस अभियान के साथ खड़े हैं। महिलाओं को उनका अधिकार मिलना चाहिये। हक की लड़ाई लड़ने के लिए सड़कों पर भी आना पड़ा तो पीछे नहीं हटेंगे। इस बार शिकायत पत्र महिला खुद सरकारी कार्यालय में धरना देने उतंरेगी। इन समस्याओं के कारण महिलाओं को कितना शर्मिदा होना पड़ता है। यह एक महिला ही समझ सकती है। अनिता राज, राजलक्ष्मी चैरिटेबल सोसायटी सचिवटॉयलेट बनवाने को लेकर पहले कई बार शिकायत पत्र नगर आयुक्त से लेकर एनवायरमेंट अफसर तक को दिया गया। टॉयलेट बनना तो दूर जो टॉयलेट बने हुये है उनमें साफ-सफाई बराबर नहीं हो पा रही है। गंदे टॉयलेट यूज करने को मजबूर हैं। पिंक टॉयलेट एक मेडिकल चौराहा के पास बना है। लेकिन साफ-सफाई न होने से इस्तेमाल के लायक नहीं रहता। कटरा व कोठापार्चा में टॉयलेट बनाने को लेकर आज भी आवाज उठाई जा रही है।
शोभा देवी, जागृति महिला सेवा संस्थान कार्यकारिणी संस्था की तरफ से कई बार शिकायत पत्र नगर निगम और डीएम से लेकर कमीश्नर तक दिया गया। कोई आज तक हल नहीं हुआ। कुंभ के समय मोबाइल टॉयलेट हजारों आया। उन टॉयलेट को ही जरूरत की जगह चिन्हित करके रख दिया जाये। उसकी साफ-सफाई का जिम्मा नगर निगम उठा लें। कुछ हद तक समस्या से निजात मिल सकती है। अंजना, रानी लक्ष्मीबाई सामाजिक संस्था अध्यक्ष हर साल महिला दिवस व महिला प्रोग्राम में टॉयलेट बनवाने का मुद्दा उठाया जाता है। आज भी यह एक मुद्दा बनकर रह गया है। सिटी के अंदर गिनने चुने टॉयलेट बने हुये है। कुछ जगहों पर तो टॉयलेट बंद पड़े हैं। उनको चालू करवाने को लेकर भी पत्र से लेकर आवाज नगर निगम में उठाया गया। मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। विभाग के पास करोड़ों रुपये का बजट पड़ा है। यह बजट भी मार्च बाद खत्म हो जाएगा। प्राब्लम वहीं की वहीं रह जाएगी। पूनम दुबे, रानी लक्ष्मीबाई सामाजिक संस्था उपाध्यक्ष सार्वजिनक शौचालयों में साफ-सफाई न होने से इस्तेमाल के लायक नहीं रहता। शहर में टॉयलेट बनवाने के लिए संबंधित अधिकारियों से कई बार पत्राचार किया गया लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई। मीनाक्षी गंगवार, अल कौसर सोसाइटी सदस्या नगर निगम विभाग कभी नहीं सुधर सकता है। महिलाओं की समस्या कल भी उतनी थी। आज भी उतनी ही है। विभाग अगर चाह लें तो यह प्रॉब्लम दूर हो सकती है। लेकिन कोई अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाना चाहता है। अगर समाज के साथ विभाग जागरूक हो जाए तो शहर में टॉयलेट की संख्या बढ़ जाएगी। नाजिया नफीस, अल कौसर सोसायटी कोरोना के शुरुआती टाइम में डेली टॉयलेट तक सैनिटाइज होता है। अब सैनिटाइज तो दूर सफाई तक नहीं होती है। जबकि शुल्क लेने के बाद भी साफ-सफाई की व्यवस्था न मिलने पर कई बार आवाज उठाया गया। जवाब मिलता है कि डेली सुबह शाम होती है। सफाई न होने के चलते बने हुये टॉयलेट में महिलाएं जाने से बचती हैं। जिम्मेदार अधिकारी अलग टालमटोल जवाब देते हैं। सौम्य श्रीवास्तव, अल कौसर सोसायटी विभाग अपनी जिम्मेदारियों को निभाने से बचते हैं। सिर्फ एक डायलॉग है। जगह नहीं हैं। बनाते वक्त पब्लिक दिक्कत करती है। जब आप पब्लिक के घर या फिर दुकान के बाहर रख देंगे तो क्या होगा। हर चीज सिस्टम के तहत होता है। नगर निगम के पास एरिया में पर्याप्त जगह है। मगर उन जगहों पर बनाने का जिक्र कोई नहीं करता है। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट के इस अभियान का समर्थन करते हुए टॉयलेट बनवाने में हर मदद की जाएगी। अनामिका पांडेय, वीमेन वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन एवं सरकारी टीचर