अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के तिलक भवन में गोष्ठी का आयोजन हुआ। तिलक भवन में 12 साल बाद कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ.स्त्री: संघर्ष औऱ मुक्ति विषय पर आयोजित गोष्ठी में मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए प्रो राजेन्द्र कुमार ने कहा कि मानव सभ्यता के इतिहास के साथ- साथ स्त्री शोषण का इतिहास भी चलता रहा है। कार्यक्रम में आमंत्रित छात्र फाउंडेशन की एसिड अटैक सरवाइवर रूपा ने कहा कि मुझ पर मेरी सौतेली मां ने ही एसिड अटैक किया। मेरे चेहरे के पंद्रह ऑपेरशन हो चुके हैं पर आज भी मेरे अंदर जीने की इच्छा है। चीफ गेस्ट रिटायर्ड जस्टिस विजयलक्ष्मी ने बीएचयू के अपने स्टूडेंट लाइफ की यादें सांझा की। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो। संगीता श्रीवास्तव ने कहा कि स्त्री का अर्थ ही सृजन है। हमारे समाज में लड़कियों को जन्म लेने से रोका जाता है। भ्रूण हत्या का अर्थ है धरती पर नए जीवन की संभावना को खत्म करना। कुलपति ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि मैंने 10 सालों तक अकेले अपना विभाग संभाला है। स्त्री जीवन की जटिलताओं को रेखांकित करते हुए कुलपति ने कहा कि स्त्री इंतजार करती रहती है कि कब उसे अपने लिए समय मिलेगा। कार्यक्रम के दौरान महिला मुद्दों पर पोस्टर प्रदर्शनी भी आयोजित हुई। आखिर में प्रो सबनम हामिद ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। संचालन डॉ अमृता ने किया। इस मौके पर प्रो अनुराधा अग्रवाल, प्रो नरेंद्र शुक्ला, प्रो हर्ष कुमार, प्रो रामेंद्र सिंह तथा सांस्कृतिक समिति के संयोजक डॉ चित्तरंजन कुमार समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive