सुहागिनों ने रखा निर्जला व्रत, विधि-विधान से की पूजा-अर्चना

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PRAYAGRAJ: भाद्रपद के कृष्णपक्ष की तृतीया को मनाया जाने वाले पर्व कजरी तीज पर बुधवार को सुहागिन महिलाओं ने निर्जला व्रत रखकर विधि विधान से कजरी माता की पूजा की। इस मौके पर सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र की कामना की। अविवाहित लड़कियों ने भी अच्छे पति की कामना करते हुए व्रत रखकर पूजन किया। देवी मंदिरों में इस मौके पर विशेष पूजन का आयोजन किया गया। कजरी तीज पर चन्द्रमा को अ‌र्घ्य देने की भी परम्परा है। इसके पहले सुबह से ही महिलाएं पूजन की तैयारी में जुटी रही।

कजरी तीज व्रत कथा

पं। दिवाकर त्रिपाठी पूर्वाचली ने बताया कि कजरी तीज की पौराणिक कथा के अनुसार एक गांव में गरीब ब्राम्हण परिवार रहता था। भाद्रपद माह की कजरी तीज पर उसकी पत्‍‌नी ने तीज माता का व्रत रखा। उसने अपने पति से सत्तु लाने के लिए कहा। निर्धन ब्राम्हण ने बताया कि उसके पास धन नहीं है। ऐसे में वह सत्तु कहां से लाएगा। इस पर उसकी पत्‍‌नी ने कही से भी पूजन के लिए सत्तु लाने की जिद की। ब्राम्हण एक साहूकार के घर में सत्तू लेने जाता है। उसी समय साहूकार के नौकर उसे पकड़ लेते है। साहूकार के आने पर ब्राम्हण उसे पूरी घटना बताता है। जिस पर साहूकार उसे सत्तू, धन, श्रृंगार का सामान देकर विदा करता है। ब्राम्हण की पत्‍ि‌न विधि विधान के साथ पूजन करती है और तीज माता की कृपा से उसकी निर्धनता दूर हो जाती है। उसके बाद से ही कजरी तीज व्रत की परम्परा चली आ रही है। कजरी तीज के मौके पर महिलाएं कजरी गीतों और भजन गाकर कजरी माता की महिमा का बखान करती है। बुधवार को भी महिलाओं ने कजरी व मंगलगीत गाकर कजरी माता का पूजन किया।

Posted By: Inextlive