आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट से तय होगा 'कंडम कर्जन' का भविष्य
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वर्ष पुराना है फाफामऊ का कर्जन ब्रिज 02 तल में अंग्रेजी हुकूमत ने कराया था निर्माण 20 दिसंबर 1905 से शुरू हुआ था इस्तेमाल फाफामऊ के कर्जन ब्रिज को रेलवे घोषित कर चुका है कंडम, टूरिस्ट स्पॉट बनाने पर काम कर रहा है पर्यटन विभाग आईआईटी कानपुर के पास है पुल की कैपेसिटी परखने की जांच, रिपोर्ट आने के बाद ही आगे बढ़ेगा कामफाफामऊ का आजाद सेतु मरम्मत कार्य के लिए एक महीने तक बंद किये जाने पर कर्जन ब्रिज छोटे वाहनों का बड़ा सहारा बन सकता है। लेकिन, यह तब तक संभव नहीं हो पाएगा जब तक कि आईआईटी कानपुर की टीम इसकी उपयोगिता पर रिपोर्ट नहीं दे देती। इसके बाद ही तय होगा कि इसे टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में डेवलप किया भी जाएगा अथवा नहीं। फिलहाल रिस्क लेने की स्थिति नहीं है। रेलवे की तरफ से करीब एक दशक पहले कंडम घोषित किये जा चुके इस पर बाइक भी उतारने की अनुमति देना खतरे से खाली नहीं है। इसलिए अफसर इस पर कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं हैं। मंगलवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इसके हर पहलू को परखने की कोशिश की।
सता रहा है कि दूरी बढ़ने का डरएक सितंबर से फाफामऊ पुल पर आवागमन बंद किये जाने का प्रस्ताव है। पुल को पूरी तरह से बंद कर दिये जाने पर रूट डायवर्ट करने का प्रस्ताव भी किया जा चुका है। इसका इंपैक्ट यह होगा कि बाइक वालों को भी करीब 30 किलोमीटर अधिक दूरी शहर आने के लिए तय करनी होगी। विकट समस्य की इस घड़ी में सबकी निगाहें कर्जन ब्रिज पर टिक गयी हैं। कुछ साल पहले तक इस पुल से छोटे वाहन आते-जाते थे। फिलहाल इस पर आवागमन पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। इसके पीछे बड़ा है इस पुल का खतरनाक होना। रेलवे इसे कंडम घोषित कर चुका है। बताया जाता है कि वाहनों के आने जाने पर पुल वायब्रेट करता है। इस स्थिति में छोटे वाहनों को भी जाने-आने की अनुमति दी गयी तो सैकड़ों वाहनों का प्रेशर एक साथ आएगा। इस स्थिति में पुल क्या रिस्पांस करेगा? यह पता भी नहीं है। कम से कम तब तक जब तक कि इसकी उपयोगिता संबंधी रिपोर्ट नहीं आ जाती।
इसलिए रिस्क से कतरा रहे अफसरकर्जन पुल का निर्माण अंग्रेजों के जमाने में कराया गया था। शानदार ब्रिज के निर्माण की देखरेख अंग्रेज इंजीनियर रावर्ट रिचर्ड गेल्स ने की थी। 20 दिसंबर 1905 से यह इस्तेमाल में है। करीब 61 मीटर लंबे कर्जन ब्रिज के निर्माण की स्वीकृति अंग्रेजी हुकूमत द्वारा 1901 में दी गई थी। ब्रिज की इंजीनियरिंग हाईटेक है। इस ब्रिज के ऊपर से गाडि़यां आती जाती हैं जबकि नीचे से ट्रेन का आवागमन होता था। 15 जून 1905 में ट्रेन और 20 दिसंबर 1905 को इसके ऊपर बनाई गई सड़क पर गाडि़यों का आवागमन शुरू हुआ था। रेलवे अब इस ब्रिज को कंडम घोषित कर चुका है। तभी इस पुल से ट्रेन सहित बड़ी गाडि़यों का आवागमन प्रतिबंधित कर दिया गया था।
कर्जन पुल का मालिक रेलवे है। उसके द्वारा कंडम घोषित किए जाने के बाद इसे पर्यटक स्थल के रूप में डेवलप किया जाना था। रेलवे ने आईआईटी कानपुर को पुल की क्षमता परखकर रिपोर्ट सौंपने की जिम्मेदारी दी है। पुल पब्लिक का प्रेशर झेलने लायक होगा तब इस पर आगे काम कराया जाएगा। अपराजिता सिंह पर्यटन अधिकारी फाफामऊ पुल बंद होने पर कर्जन ब्रिज पर छोटे वाहनों को अनुमति देने के संबंध में जानकारी मंगवाई जाएगी। पुल आवागमन के लायक होगा तभी इस पर हल्के वाहनों को चलने की अनुमति पर विचार किया जायेगा। संजय खत्री डीएम, प्रयागराज