अचानक से हार्ट अटैक के मामलों में बढ़ोतरी होने से लोग परेशान हो गए हैं. हालांकि इसके कई कारण सामने आ रहे हैं. सबसे बड़ा कारण डायबिटीज माना जा रहा है. क्योंकि शुगर लेवल अधिक होने पर हार्ट अटैक के चांसेज कई गुना बढ़ जाते हैं. हार्ट अटैक के बढ़े हुए मामलों के पीछे कोरोना को भी दूसरा बड़ा कारण माना जा रहा है. तीसरे नंबर पर कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर चर्चाए गर्म हो चली हैं.

प्रयागराज ब्यूरो । वर्तमान में आ रहे हार्ट अटैक के मामलों में मरीजों का शुगर लेवल बढ़ा हुआ मिल रहा है। कई बार मरीज का लापरवाही बरतना कारण बन जाता है। शुगर का लेवल अधिक होने से यह बॉडी में ब्लड वेसेल्स को काफी नुकसान पहुंचाता है और इससे धमनियों के लिए खून को ले जाना मुश्किल होता है। जिससे हार्ट पर प्रेशर पड़ता है और अचानक हार्ट अटैक पड़ जाता है। ऐसे में अधिकतर मरीजों का शुगर लेवल 400 से अधिक पाया जाता है।

60 फीसदी मरीज दे रहे दावत
स्वास्थ्य विभाग की एनसीडी सेल द्वारा हाल ही में कई जगह कैंप लगाकर मरीजों की जांच की गई, जिसमें पांच हजार के करीब शुगर पेशेंट मिले।
सबसे अहम कि इनमें से 60 मरीज दवा लेने डिस्पेंसरी नही पहुंच रहे हैं। इनमें से कईयों का कहना है कि वह दवाओं के भरोसे नही रहना चाहते हैं।
डॉक्टर्स कहते हैं कि यह स्थिति बेहद खतरनाक है। यह लापरवाही उनके हार्ट अटैक का कारण बन सकती है।
दवा लेने वालों में 4 फीसदी ऐसे मरीज हैं जिनका शुगर लेवल काबू में नही आ रहा है। जबकि 6 फीसदी हैं जिनका शुगर लेवल 300 से 400 के बीच है।
30 फीसदी ऐसे मरीज हैं जिनका शुगर लेवल संतोषजनक कहा जा सकता है।

कोरोना और वैक्सीन पर भी निगाहें
कोरोना संक्रमण के बाद भी हार्ट अटैक के केसेज बढ़े हैं। इसलिए माना जा रहा है कि यह भी एक कारण हो सकता है। डॉक्टरों के मुताबिक कोरोना वायरस की वजह से लोगों के खून में थक्का जमने की शिकायत आ रही थी। उस समय लोगों को खून पतला करने की दवा देनी पड़ी थी। उसकी वजह से भी हो सकता है कि हार्ट अटैक के मामले बढ़ हैं। इस केअलावा दबी जुबान में कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट पर भी सवाल उठाया जा रहा है।
मरीजों में यंगस्टर्स की संख्या अधिक
हार्ट अटैक के मरीजों में यंगस्टर्स की संख्या में तीस फीसदी का इजाफा हुआ है। उदाहरण के तौर पर एमएलएन मेडिकल कॉलेज के कार्डियोलाजी विभाग के आंकड़े बताते हैं कि रोजाना 15 से 20 नए एडमिशन होते हैं और इनमें 5 से 6 हार्ट अटैक के केसेज होते हैं। इनमें भी दो मामले ऐसे होते हैं जिनमें मरीज की उम्र 40 से 50 साल के बीच होती है। जिसे हार्ट अटैक के लिहाज से यंगस्टर्स माना जाता है। इनमें अधिकतर मामलों में मरीजों का शुगर लेवल बढ़ा हुआ मिलता है। इसके साथ ही ब्लड प्रेशर भी काबू से बाहर होता है।
गोल्डन आवर में बच सकती है जान
हर माह कार्डियोलाजी विभाग में 15 से 20 मरीजों की जान हार्ट अटैक की वजह से चली जाती है। डॉक्टर्स कहते हैं कि अटैक पडऩे के बाद अगला एक घंटा काफी महत्वपूर्ण होता है। इसमें मरीज को आसानी से बचा लिया जाता है। इससे अधिक लेट होने पर सर्वाइवल कठिन हो जाता है। यही कारण है कि बहुत से मरीज लक्षणों का समझ नही पाते और समय से इलाज नही मिलने पर उनकी जान पर बन आती है।
हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं और इससे भी ज्यादा अहम है कि कम उम्र लोगों में भी यह बीमारी बढ़ रही है। इसका कारण लोगों का लापरवाह होना है। समय पर शुगर और बीपी की जांच करानी जरूरी है। वाकिंग, एक्सरसाइज और संतुलित खानपान से हार्ट अटैक के खतरे को टाला जा सकता है।
डॉ। पीयूष सक्सेना, हेड, कार्डियोलाजी विभाग एमएलएन मेडिकल कॉलेज प्रयागराज

5 हजार डायबिटीज के मरीज चिंहित हुए हैं जिनमें से 60 फीसदी दवा लेने नही आ रहे हैं। अगर इनका शुगर लेवल बढ़ा तो हार्ट पर असर पडऩा तय है। जो मरीज हमारे निगरानी में हैं उनका शुगर लेवल काबू में किया जा रहा है। लोगों को जागरुक करना बेहद जरूरी है।
डॉ। राजेश सिंह, नोडल, एनसीडी सेल, स्वास्थ्य विभाग प्रयागराज

Posted By: Inextlive