भाग संख्या बदलने के फेर में खूब भागे वोटर
प्रयागराज (ब्यूराे)।नगर निगम चुनाव में वोटर्स की भाग संख्या बदल जाने से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। सबसे बड़ी बात की उन्हें इस परेशानी का आभास भी नही हुआ। मार्निंग में जब वह मतदान केंद्र पर वोट डालने गए तो पता चला कि उनका नाम यहां है ही नही, उनको दूसरे केंद्र पर वोट डालना है। ऐसे में उनको कई घंटे लग गए। बता दें कि इस बार हुए परिसीमन में कई वार्डों की सीमा में फेरबदल हुआ, जिससे वोटर्स की संख्या में भी अंतर देखने को मिला है। इस वजह से एक ही वार्ड में रहने वाले वोटर्स की भाग संख्या में भी बदलाव कर दिया गया। बहुत कन्फ्यूजन है भाई
पिछले चुनाव में चकिया के श्याम लाल इंटर कॉलेज मतदान केंद्र में राजरूपपुर के वोटर्स ने वोटिंग की थी। इस बार यहा वार्ड 44 वोटर्स को भी शामिल कर लिया गया। ऐसे में मार्निंग में यहां दो अलग-अलग वार्डों के वोटर पहुंच गए। इससे तमाम राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ता भी कन्फ्यूज हो गए। उन्होंने बमुश्किल सूची से उनका नाम खोजकर उन्हें मतदाता पर्ची बनाकर दी। ऊहापोह की यह स्थित दिनभर बनी रही। इलाहाबाद डिग्री कॉलेज मतदान केंद्र में तीन अलग अलग वार्डों की वोटिंग हुई। यहां पर वार्ड 44, 53 और 54 के वोटर्स को आना पड़ा। कई जगह मतदान केंद्र दूर हो जाने से बुजुर्ग, महिलाओं और दिव्यांगों को वोट देने में अधिक मेहनत करनी पड़ी। उनका कहना था कि इसकी सूचना पूर्व में दी गई होती तो शायद इतनी परेशानी का सामना नही करना पड़ता।एपिक से खोज पाते तो नही होती परेशानीलोकसभा और विधानसभा चुनाव में वोटर अपना नाम एपिक नंबर से आसानी से खोज लेते हैं। लेकिन नगर निगम चुनाव में उन्हें यह सुविधा नही मिलती है। इस चुनाव में वोटर्स को अपना नाम मतदाता सूची में मकान संख्या के क्रम में खोजना पड़ता है। लेकिन इस बार ऐसा नजर नही आया। मतदाता सूची में मकानों की क्रम संख्या आगे पीछे रखी गइ्र थी। यही कारण था कि बहुत से मतदाताओं के बूथ चेंज हो गए। अतरसुईया वार्ड के जिन वोटर्स ने पिछली बार शिवचरण दास कन्हैया लाल मतदान केंद्र में वोट डाला था, उन्हें इस बार एसएस खन्ना जाना पड़ा। नीरज, ललित और रेखा ने बताया कि भाग संख्या बदल जाने से उनको अपना नाम सर्च करने में परेशानी का सामना करना पड़ा है।इस वजह से नही बढ़ा वोटिंग प्रतिशत
गुरुवार को वोटर्स के सामने यह सबसे बड़ी समस्या रही। पहले तो कई वोटर्स का वार्ड ही बदल गया। जिनका वार्ड नही बदला उनका बूथ चेंज कर दिया गया। इसका परिणाम यह रहा कि नगर पंचायतों में वोटिंग की रफतार ठीक रही लेकिन नगर निगम में चाहकर भी स्पीड को बढ़ाया नही जा सका। गर्मी और उमस में लोग घरों से मतदान केंद्र के लिए निकले लेकिन नाम नही मिलने पर वह घर लौट गए। जब दूसरे बूथ पर नाम होने की जानकारी मिली तो भी वह नही पहुंच सके।