उमेश पाल मर्डर केस की जांच में पहुंची न्यायिक आयोग की टीम मुठभेड़ को लेकर जुटाई जानकारी

प्रयागराज ब्यूरो । शातिर अरबाज और विजय चौधरी की मुठभेड़ में हुई मौत का हर राज जानने के लिए सोमवार को न्यायिक आयोग की टीम शहर पहुंची। धूमनगंज के नेहरू पार्क और कौंधियारा में सीन रिक्रिएशन के जरिए मुठभेड़ की रियल स्टोरी टीम के द्वारा समझने की कोशिश की गई। पुलिस के द्वारा बताई गई मुठभेड़ की स्क्रिप्ट असली है या नकली इस बात को टीम के जरिए गहराई से परखा गया। उमेश पाल व उसके गनर की हुई हत्या के बाद अरबाज और विजय चौधरी का नाम सामने आया था। पुलिस ने दावा किया था कि तलाशी के दौरान मिली लोकेशन पर पहुंचते ही दोनों टीम पर फायर कर दिए थे। जवाबी कार्रवाई में उन दोनों की अलग-अलग डेट पर पुलिस की गोली से मौत हो गई थी। न्यायिक आयोग की टीम द्वारा इसी उमेश पाल मर्डर केस की तफ्तीश कर रही है।


आधा घंटे तक पार्क में रही टीम
न्यायिक अफसरों की टीम सबसे पहले कौंधियारा इलाके के उस स्थान पर पहुंची जहां पर छह मार्च को मुठभेड़ में विजय चौधरी मारा गया था। यहां मौजूद एसआईटी के अफसरों व पुलिस के द्वारा मुठभेड़ के सीन का रि-क्रिएशन किया गया। इस सीन रिक्रएशन के जरिए मुठभेड़ की रियलिटी चेक करने के बाद टीम धूमनगंज के नेहरू पार्क जंगल पहुंची। यह वही स्थान है जहां पर 27 फरवरी को एसओजी और धूमनगंज थाना प्रभारी राजेश कुमार मौर्या से हुई मुठभेड़ में अरबाज मारा गया था। पुलिस के द्वारा न्यायिक अफसरों को बताया गया कि अरबाज की सटीक लोकेशन मिली थी। लोकेशन मिलने पर पुलिस टीम पहुंची तो वह फायरिंग शुरू कर दिया था। जवाबी कार्रवाई में पुलिस की गोली लगने से वह घायल हो गया था। इलाज के लिए हॉस्पिटल ले जाया गया था मगर अरबाज की मौत हो गई। न्यायिक आयोग की टीम के द्वारा यहां भी पुलिस से मुठभेड़ की सीन का रिक्रिएशन कराया गया। न्यायिक आयोग की टीम यह रिक्रएशन के जरिए यह समझने की कोशिश की कि पुलिस के द्वारा बताई जा रही मुठभेड़ की कहानी में कितनी सच्चाई है। कैसे और किन परिस्थितियों में पुलिस को गोली चलानी पड़ी और अरबाज किधर से कैसे भागा और फायर किया इस पूरी सीन को क्रिएट कराया गया। टीम यह भी जानने की कोशिश की कि ललकारने के बावजूद जब अरबाज नहीं रुका तो उसकी हरकत कैसी थी। बाइक लेकर वह बबूल की झाड़ी में कैसे गिरा और झाडिय़ों के बीच पुलिस का निशाना सटीक किस तरह से लगा? जब अरबाज फायर किया तो उस वक्त पुलिस की टीम उससे कितनी दूरी पर थी और कैसे अपने को सुरक्षित करते हुए पुलिस के निशानेबाज फायरिंग किए। टीम के द्वारा यह भी जानने का प्रयास किया गया कि जब अरबाज घायल हुआ तो उसे कैसे और कितनी देर बाद उठाकर किस हॉस्पिटल में ले जाया गया। कितनी देर तक पुलिस और अरबाज के बीच गोलियां चलीं। आसपास के लोग आवा सुने या फिर नहीं? करीब 30 मिनट तक न्यायिक आयोग की टीम ने नेहरू पार्क जंगल में पुलिस के एनकाउंट की स्क्रिप्ट का हर एक चैप्टर पलटती रही। उस वक्त मुठभेड़ में रही एसओजी और धूमनगंज थाना प्रभारी से अफसरों के द्वारा पूछताछ भी की गई। पुलिस भी जांच अफसरों को पूरे घटना क्रम का सीन क्रिएट करके समझाते हुए मुठभेड़ को असली होने का सुबूत देती रही। सबकुछ अपनी आंख से देखने और समझने के बाद न्यायिक आयोग की टीम जंगल से बाहर आई। टीम के द्वारा किए गए सवाल पर एक-एक बात और सीन का धूमनगंज प्रभारी एवं एसओजी के जवानों द्वारा मौखिक रूप से भी बताया गया।

घटना के बारे में पुलिस दी जानकारी
न्यायिक आयोग टीम के सवाल पर पुलिस ने बताया कि विजय चौधरी और अरबाज दोनों उमेश पाल हत्याकांड की जांच में प्रकाश में आए थे। अरबाज ही शूटरों को चार पहिया गाड़ी से सुरक्षित बचाते हुए लेकर वहां से भागा था। वह शूटरों की कार का चालक था। जबकि विजय चौधरी उमेश पाल और उसके दो गनर की हत्या के वक्त गोलियां चलाने वालों में शामिल था। यह घटना 24 फरवरी को धूमनगंज थाना क्षेत्र के सुलेमसराय जयंतीपुर मोहल्ले में हुई थी। घटना के वक्त के वायरल वीडियो व आस पास लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज से दोनों की पहचान की गई। सूत्र बताते हैं कि न्यायिक आयोग की टीम के द्वारा घटना से जुड़े फुटेज को भी देखा गया।

Posted By: Inextlive