दृढ़ इच्छाशक्ति से हासिल हुई जीत
पूरा परिवार हो गया था कोरोना पाजिटिव, लेकिन मजबूत इच्छाशक्ति के बदौलत बीमारी को दी मात
प्रयागराज- अगर कोई कोरोना पाजिटिव है तो उसे अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति को नहीं खोना है। अगर उसके दिल और दिमाग में नकारात्मकता आई तो उसका ठीक होना मुश्किल हो सकता है। इसलिए संक्रमित होने के बाद भी खुद की उम्मीदों को जगाए रखना है। यह कहना है एमएलएन मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग के प्रवक्ता डॉ। संतोष सिंह का। हाल ही में वह संक्रमित हो गए थे और उनके साथ उनकी पत्नी इलाक्षी सिंह, माता गीता सिंह, भाई शुभम सिंह और बहन अमृता सिंह भी पाजिटिव हो गए थे। सभी की रिपोर्ट पाजिटिव आने के बाद परिवार ने खुद ने हिम्मत नहीं हारी। संतोष सिंह कहते हैं कि हमारे परिवार से बहादुरी से इस बीमारी का सामना किया और बीस दिन में सभी स्वस्थ हो गए।योग और रिच डाइट से मिली निजात
वह कहते हैं कि संक्रमित होने पर घबराना नहीं चाहिए। बल्कि सबसे पहले अपनी डाइट को रिच करना होगा। ताजा और पौष्टिक भोजन लेना चाहिए। खाने में फल बेहद जरूरी है। दिन में अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए। फलों का जूस भी लेना चाहिए। डाक्टर की सलाह पर दवाओं का सेवन जरूरी है। वह कहते हैं कि हमें सबसे ज्यादा मां की चिंता थी क्योंकि उनकी उम्र अधिक थी और संक्रमित होने के बाद उन पर खतरा मंडराने लगा था। ऐसे में उनका अधिक ख्याल रखा गया। उनकी डाइट पर नजर रखी गई। इसके अलावा अनुलोम विलोम और प्राणायाम जैसी एक्सरसाइज को पूरे परिवार ने फालो किया। इसके चलते हम लोग जल्दी रिकवरी कर गए। थोड़ी वीकनेस थी जो बाद में खत्म हो गई।
संक्रमित मरीजों के बीच रहना खतरनाकपिछले एक साल से लगातार वह कोरोना वार्ड में ड्यूटी कर रहे हैं। इस समय वह दो शिफ्ट में काम कर रहे हैं। कहते हैं कि दिन भर संक्रमित मरीजों से घिरे रहना खतरनाक है। फीवर आया और जब जांच कराई तो पाजिटिव निकला। इसके बाद परिवार की जांच कराई तो वह सभी संक्रमित पाए गए। इससे थोड़ा डर तो लगा लेकिन हमे डटकर कोरोना का मुकाबला किया। वह कहते हैं कि जो लोग शुरुआत में अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं वह ठीक हो जा रहे हैं। लेकिन जिनका आक्सीजन लेवल काफी कम हो रहा है और फेफड़े में इंफेक्शन अधिक हो जाता है उनको बचाना मुश्किल होता है। बताया कि कई मरीज इतने होपलेस हो जाते हैं कि आक्सीजन निकालकर फेक देते हैं। खाना नकं खाते हैं। इससे वह डिप्रेशन में चले जाते हैं। मेरा कहना है कि हौसला नहीं हारना है। अगर कोरोना से निजात पाना है तो हर हाल में सकारात्मकता को जिंदा रखना होगा। यही कारण है कि बहुत से गंभीर मरीज ठीक होकर घर लौट रहे हैं।