हेल्थ इंश्योरेंस के शातिर एक्टिव
प्रयागराज (ब्यूरो)। साइबर थाने के इंस्पेक्टर राजीव कुमार तिवारी बताते है कि साइबर शातिरों को मालूम होता है कि अब और कैसे लोगों को ऑनलाइन ठगी का शिकार बनाना है.इसके लिए दिन और समय का इंतजार करते हैं। अक्सर ठगी का मामला फेस्टिवल सीजन के दौरान बढ़ता है। क्योंकि एक साथ एक फ्री व तमाम तरह के ऑफर दिया जाता है। पिछले साल कोरोना काल में भी हेल्थ इंश्योरेंस के नाम ठगी की गई थी। कुछ के पैसा वापस आ गए तो कुछ डूब गए थे। अब ऐसा ही फ्रॉड का खेल शुरू हो गया है। तीन जो केस सामने आए है। साइबर शातिरों ने फुल कॉन्फिडेंस में लेकर अपने को किसी बड़ी कंपनी से मिलता-जुलता नाम का सीए बताया तो एक ने खुद को मैनेजर बताया। लोग विश्वास में भी आ जा रहे है। ऐसे में लोगों को इस वक्त सतर्क रहने की जरूरत है।
यह केस आए सामने
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झूंसी की रहने वाली रेखा देवी बताती है कि वह नगर निगम में संविदा कर्मी है। उनके पास कुछ दिन पहले एक व्यक्ति ने फोन कर एक बड़ी कंपनी का लगभग मिलता-जुलता नाम बताते हुये खुद को कंपनी का सीए बताया गया। उसने 18 हजार रुपये में पांच साल तक फुल हेल्थ इंश्योरेंस का ऑफर प्लान बताया। इसमें सीए द्वारा कोरोना से संक्रमित पर फुल कवर देने की बात कही। मृत्यृ पर बीस लाख परिवार के लोगों को मिलने की बात कही। इसके लिए रजिस्ट्रेशन हेतु मोबाइल नंबर पर एक लिंक भेजा गया। लिंक के माध्यम से दो हजार रुपये जमा कर हेल्थ इंश्योरेंस लेने की बात कही। जैसे ही लिंक पर क्लिक किया तो खाते से 4999 रुपये कट गया। जिसपर दोबारा उसी नंबर पर कॉल करने पर ऑफ बताया।
02
तेलियरगंज के रहने वाले विकास कुमार बताते है कि व किराने की दुकान चलाते है। हर महीने 2900 रुपये जमा कर पूरे परिवार का फुल हेल्थ इंश्योरेंस देने की बात कही। यह इंश्योरेंस का इंस्टॉलमेंट भी मात्र एक साल तक जमा कर तीन साल फुल कवर की बात कही। अगर बीच में किसी भी तरह का हादसा व कोरोना से मृत्यृ होती है तो परिवार को हर साल दो लाख रुपये कवर मिलेगा। यह पंद्रह साल तक मिलेगा। इतना सुनते ही विकास इंश्योरेंस लेने के लिए इच्छुक हो गए। उन्होंने पहला इंस्टॉलमेंट भरने के लिए लिंक भेजा। लेकिन लिंक पर क्लिक करते ही अमाउंट शो नहीं किया। डायरेक्ट यूपीआई पिन मांगने लगा। शक होने पर लिंक को फौरन बंद कर दिया। उसके बाद थाने पहुंच शिकायत की। साइबर थाने पर पहुंचने पर पता चला कि अगर पिन डाल देते तो एकाउंट खाली हो जाता। क्योंकि एनी डेस्क के जरिए मोबाइल स्क्रीन को शेयर कर पिन देखना चाहते थे।
नैनी एडीए कॉलोनी निवासी गोविंद तिवारी के साथ भी ऐसा ही हुआ। उनको हेल्थ इंश्योरेंस लेने के लिए एक रुपये का रिसीव पेमेंट लिंक भेजा गया। लिंक पर क्लिक करते ही पिन डायरेक्ट मांगा। जब तक वह कुछ समझ पाते तब तक मोबाइल फोन बंद हो गया। ऑन करने पर एक व्यक्ति ने बता दिया कि पेमेंट रिसीव के लिए कभी पिन नहीं डाला जाता है। साइबर थाने पहुंच किये गए फोन नंबर शिकायत की।