महीने भर बाद कम हुई वाराणसी की दूरी
प्रयागराज (ब्यूरो)। पिछले महीने की 14 तारीख से सावन महीने की शुरुआत हुई थी। शिव भक्त सावन भर कावड़ यात्रा लेकर जलाभिषेक के लिए शिवालयों की तरफ कूच किए। कांवडिय़ों की सुरक्षा को लेकर सरकार सख्त हुई। यह देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा शास्त्री ब्रिज के रूट को डायवर्ट करते हुए वन-वे कर दिया गया। ब्रिज एक के लेन को सिर्फ कांवडिय़ों के लिए तो दूसरी तरफ से हल्के वाहनों को आवागमन की अनुमति दी गई। ऐसा इस लिए क्योंकि दारागंज दशाश्वमेध घाट पर स्नान बद कांवडि़ए जल लेकर वाराणसी तक पैदल जाया करते हैं। यही कारण रहा कि रोडवेज से लेकर प्राइवेट बस और ट्रक आदि को शास्त्री ब्रिज से आवागमन पर रोक लगा दी गई थी। ब्रिज एक साइड रोड पर बीचो-बीच बैरिकेटिंग कर दी गई। यही वह रोड थी जिससे होकर एक तरफ से हल्के वार कार व बाइक आ रही थी तो दूसरी तरफ से ऐसे वाहन शहर से बाहर जा भी रहे थे। इस बीच शहर से जरिए बस वाराणसी रूट पर जाने वाले यात्रियों को फाफामऊ, 40 नंबर गोमती होते हुए झूंसी और मीरजापुर व वाराणसी जाना पड़ रहा था। इसी तरह इन बस के यात्रियों को बीस से 25 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ रहा था। बढ़ी हुई इस दूरी की वजह से रोडवेज बसों का किराया भी बढ़ा दिया गया था। इन हजारों यात्रियों की यह समस्या शुक्रवार को समाप्त हो गई। क्योंकि सावन खत्म होने के साथ शास्त्री ब्रिज पर किए गए डायवर्जन व बड़े वाहनों के संचालन पर लगाई गई रोक को हटा लिया गया है।
शास्त्री ब्रिज पर पुरानी व्यवस्था होगी लागूडायवर्जन और लगी हुई रोक हटाए जाने के बाद शास्त्री ब्रिज पर आवागमन के लिए पुरानी व्यवस्था लागू हो गई है। एक लेन से अब बसें शहर से झूंसी व वाराणसी रूट पर सफर कर सकती हैं। दूसरे रूट से पहले की तरह झूंसी और वाराणसी से शहर आने वाले लोग बाई बस आ सकेंगे। सावन में डायवर्जन के नियमों का पालन कराने के लिए लगाई पुलिस भी अब हटा ली गई है। चूंकि सावन समाप्त हो गया है, इसलिए बस यात्रियों की सहूलियत को देखते हुए डायवर्जन निष्प्रभावी हो गया है। शास्त्री ब्रिज पर की गई बैरिकेटिंग हटाने का काम शुरू है। अब यात्री बसें शास्त्री ब्रिज से होकर आवागमन कर सकती हैं।
अरुण कुमार दीक्षित, एसपी ट्रैफिक