दोबारा नहीं देनी होगी यूपीटीईटी
- शासन के निर्देश के बाद परीक्षा नियामक ने 2011 से अब तक के टेट सर्टिफिकेट को किया री-वैलीडेट
- 2011 के बाद से यूपीटेट में सफल अभ्यर्थियों को नहीं देनी होगी टेट की परीक्षा prayagraj@inext.co.in PRAYAGRAJ: पहले सीटेट और उसके बाद यूपीटेट की परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र की वैधता की डेट में बदलाव कर दिया गया। पहले जहां परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों को हर पांच साल पर फिर से परीक्षा देने की व्यवस्था थी उसमें बदलाव करते हुए उसे आजीवन कर दिया गया। जिससे एक बार टेट की परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों को दोबारा परीक्षा में शामिल होने से मुक्ति मिल गई। इसको लेकर यूपी सरकार के निर्देश के बाद सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय से आदेश भी मंडे को जारी कर दिया गया। जिससे लाखों सफल अभ्यर्थियों को बड़ी राहत मिली है। री-वैलीडेट करने से भी लाखों होंगे लाभान्वितउत्तर प्रदेश सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी की ओर से जारी आदेश में 2011 के बाद से अब तक यूपीटीईटी में सफल अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट की वैद्यता आजीवन रहेगी। यानी जिन लोगों की पंाच साल की वैद्यता समाप्त हो गई है। अब उनका टीईटी प्रमाणपत्र भी आजीवन मान्य होगा। इस बारे में सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के साथ ही सभी डायट प्राचार्य व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश भेज दिया गया है।
21 लाख अभ्यर्थियों को होगा फायदा यूपी टेट में नई व्यवस्था लागू होने के बाद 2011 से अब तक टेट परीक्षा में शामिल 21 लाख अभ्यर्थी लाभान्वित होंगे। जिसमें प्राइमरी स्तर के 12 लाख व अपर प्राइमरी के 9 लाख अभ्यर्थियों को फायदा होगा। गौरतलब है कि यूपी में टीईटी की शुरुआत 2011 से हुई थी। पहली बार आयोजित हुई टीईटी में जमकर धांधली हुई थी। उस समय टीईटी कराने की जिम्मेदारी यूपी बोर्ड को दी गई थी। धांधली की जांच कर रही एसटीएफ ने तत्कालीन बोर्ड डायरेक्टर संजय मोहन की कानपुर से गिरफ्तारी हुई थी।