बीएड अर्हता पर सुप्रीम कोर्ट जाएगा यूपीएचईएससी
प्रयागराज ब्यूरो । बीएड विषय में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए निर्धारित अनिवार्य योग्यता का विवाद बढ़ता जा रहा है। इस मामले में हाई कोर्ट ने भर्ती रद करने और फिर से आवेदन लेने का आदेश दिया है, लेकिन उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग अपनी दलील पर कायम है। उसने यूजीसी से निर्धारित मापदंड पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी और इसी पर करना चाहता है। फिलहाल, आयोग ने हाई कोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर ली है। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही सुलझेगा।यूजीसी के मानक पर भर्ती
प्रदेश भर के अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) महाविद्यालयों में विज्ञापन संख्या-51 के अंतर्गत 34 विषयों के लिए 1017 असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती होनी है। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने इसके लिए जुलाई-अगस्त 2022 में आवेदन लिया था। इसमें कुल 90,159 आवेदन आए थे। आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के बाद कुछ अभ्यर्थियों ने बीएड विषय की अनिवार्य अर्हता के मामले को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस मामले में कोर्ट ने आदेश दिया कि बीएड का विज्ञापन रद करके सभी अभ्यर्थियों के आवेदन का शुल्क वापस करें। उसके बाद भर्ती के लिए अनिवार्य अर्हता नेशनल काउंसिल फार टीचर एजूकेशन (एनसीटीई) से निर्धारित मापदंड को मानते हुए आवेदन लिया जाए।
एनसीटीई की योग्यता है अलगएनसीटीई के अनुसार असिस्टेंट प्रोफेसर बीएड के लिए न्यूनतम योग्यता सामाजिक विज्ञान/गणित/भाषा में से किसी एक में परास्नातक के साथ एमएड अथवा शिक्षाशास्त्र में परास्नातक के साथ बीएड डिग्री है। जबकि उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने असिस्टेंट प्रोफेसर बीएड के 93 पदों पर भर्ती के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से निर्धारित मापदंड को अनिवार्य अर्हता मानते हुए आवेदन लिया था। इस पद के लिए करीब सात हजार आवेदन आए हैं। आयोग के उप सचिव डा। शिव जी मालवीय ने बताया कि इस मामले में आयोग ने फैसला लिया है कि आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।