- कोरोना काल में बढ़ती जरूरतों को देखते हुये स्कूल वैन तक को बना दे रहे एंबुलेंस

- दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट के रियलिटी चेक में बिना फिटनेस के दौड़ती मिली दर्जनों एंबुलेंस

टेंपरेरी बनाए गए एंबुलेंस से मरीजों की जरूरी सुविधाएं भी नदारद

कोरोना संक्रमण के मामले जैसे-जैसे बढ़ते जा रहे हैं। रोगियों को अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस की जरूरत भी बढ़ती जा रही है। इसका लाभ उठाते हुए स्कूल वैन चालकों ने बिना जरूरी सुविधाओं के ही वैन को एंबुलेंस बनाकर सड़क पर दौड़ा रहे हैं। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की टीम ने सड़कों पर दौड़ रही एंबुलेंस का रियलिटी चेक किया तो एक-दो नहीं बल्कि दर्जनों ऐसे एंबुलेंस मिले जिनका फिटनेस काफी समय पहले ही एक्सपायर हो गया था। स्कूल वैन को बिना अनुमति एंबुलेंस में कनवर्ट करा मनमाना किराया वसूलते मिले। पुलिस और आरटीओ की कार्रवाई से बचने के लिए नंबर प्लेट तक हटा रखे थे।

केस 1 - फोटो

एंबुलेंस कौन चेक करता है साहब?

सिविल लाइंस स्थित रेलवे अस्पताल के कोविड वार्ड समीप एक एंबुलेंस खड़ी मिली। परिवहन एप पर चेक करने पर पता चला कि यह गाड़ी एंबुलेंस में रजिस्टर्ड ही नहीं है। प्राइवेट गाड़ी है। इसके अंदर मरीजों की जरूरी सुविधाएं भी नदारद रही। पता चला कि यह एंबुलेंस सिर्फ दूरदराज के मरीजों को लाने के लिए रखा गया है। लोकल नहीं चलती है। वहां मौजूद शख्स से रिपोर्टर ने पूछा कि क्या एंबुलेंस रजिस्टर्ड है। जवाब दिया कि साहब कौन एंबुलेंस को चेक करता है। इमरजेंसी वाहन है।

केस 2 - फोटो

कंपनी गार्डन समीप निजी एंबुलेंस खड़ी मिली। परिवहन एप पर चेक करने पर फिटनेस एक्सपायर मिला। 2012 में ही इसका फिटनेस खत्म हो चुका था। वहां मौजूद चालक ने बताया कि बस इस बार फिटनेस रिन्यूअल हो जाएगा। बहुत कम ही चलती है। इसका एक पा‌र्ट्स काफी दिन से खराब है। इसलिए एक हफ्ते से खड़ी है। सिर्फ बहाने और तर्क देता रहा है।

केस थ्री - फोटो

एक्सपायरी पूछने पर नहीं मिला जवाब

कंपनी गार्डन रोड पर एक और निजी एंबुलेंस खड़ी मिली। किसी मरीज को लेकर नाजरेथ हॉस्पिटल आया था। नंबर परिवहन एप पर चेक करने पर पता चला कि 23 साल दस महीने पुरानी वैन है। जिसका फिटनेस तक शो नहीं कर रहा था। इसके अंदर मरीजों की जरूरी सुविधाएं भी नदारद रही। रिपोर्टर ने जब सिविल लाइंस से एसआरएन अस्पताल का किराया पूछा तो पंद्रह सौ रुपये बताया। वाहन का फिटनेस एक्सपायर पूछने पर कोई जवाब नहीं दिया।

केस फोर - फोटो

स्कूल बंद चल रहा था इसलिए बना दिया एंबुलेंस

सिविल लाइंस एरिया के हार्ट लाइन अस्पताल के बाहर एक निजी एंबुलेंस वैन खड़ी थी। वैन के आगे नंबर प्लेट ही नहीं था। पीछे नंबर प्लेट टूटा था। एंबुलेंस चालक से बातचीत करने पर पता चला कि यह एंबुलेंस में रजिस्टर्ड नहीं है। यह एक प्राइवेट स्कूल में वैन लगी थी। स्कूल बंद होने के चलते एंबुलेंस बना दिया। बिना अनुमति के एंबुलेंस बनाने पर वह गोलमोल जवाब देने लगा। इतना ही डीएल से फोटो तक गायब मिली।

केस पांच - फोटो

कंपनी गार्डन रोड पर एक निजी एंबुलेंस दौड़ती मिली। इसका नंबर परिवहन एप पर चेक करने पर 15 अक्टूबर 2020 को फिटनेस एक्सपायरी दिखाया। वैन में मरीजों की सुविधाएं भी नहीं थी।

अगर कोई प्राइवेट वाहन को एंबुलेंस में लगा रखा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई तय है। वाहन तक सीज हो सकता है। फिटनेस खत्म के बाद भी कोई सड़कों पर वाहन चल रहा है तो भरी भरकम जुर्माना भरने के लिए तैयार रहे। टीम बनाकर एंबुलेंस को चेक कराया जाएगा।

डा। सियाराम वर्मा, एआरटीओ प्रशासन

एंबुलेंस चालकों की मनमानी की शिकायत मिली है। मनमानी करने वाले और नियमों को तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी, डीआईजी/एसएसपी

Posted By: Inextlive