प्रयागराज जंक्शन के सिविल लाइंस और जंक्शन साइड पार्किंग में कई महीनों से खड़े हैं कई लावारिस वाहनदैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की पड़ताल में सच आया सामने कई बाइकों से गायब हैं नंबर यहां ऐसी गाडिय़ां फिर से पार्क होने लगी है जिनका कोई मालिक नहीं है. ऐसी भी गाडिय़ां खड़ी हैं जो बिना नंबर व नंबरों के साथ छेड़छाड़ की गई है. संभव है कि इन गाडिय़ों का वास्ता किसी क्राइम इंसीडेंट से न जुड़ा हो. इसके बाद भी ये लावारिस डंप हो रही है. वह भी जिम्मेदारों के नाक के नीचे. जबकि एक साल पहले आरपीएफ व रेल प्रशासन द्वारा चिन्हित कर हटाया गया था. फिर से खड़ी होना शुरू हो गई है. पार्किंग वाले भी बिना नंबर व छेड़छाड़ किये गये नंबर की गाडिय़ों को सिर्फ टिकट देकर खड़ा कर दे रहे हैं. गाड़ी किसकी है क्यों खड़ी कर रहे हैं उनसे कोई मतलब नहीं है. रविवार को दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की टीम ने पड़ताल किया तो बिना नंबर व छेड़छाड़ किये गये नंबर के बारे में पार्किंग स्टाफ कोई जवाब नहीं दे पाए. बस उनका कहना था कि नंबर का पता नहीं. मगर किसी स्टाफ का ही होगा. ऐसे में नियम है कि बिना नंबर नोट किये वाहन को खड़ी करवाना गलत है.

प्रयागराज ब्यूरो । दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट टीम प्रयागराज जंक्शन के सिविल लाइंस साइड में बने पार्किंग एरिया में पड़ताल की। कुछ गाडिय़ों की कंडीशन कंडम दिखाई पड़ रही थी। यह देखकर रिपोर्टर कुछ सवालों के साथ पड़ताल करने का फैसला किया। पता चला कि इस कॅमर्शियल पार्किंग का ठेका रेलवे की तरफ से उठाया जाता है। यहां गाडिय़ों को रखने और उनसे पार्किंग शुल्क वसूल करने की जिम्मेदारी संबंधित ठेकेदार की होती है। ठेका आलमोस्ट हर साल चेंज हो जाता है। इसके बाद रिपोर्टर ने पार्किंग में खड़े वाहनों पर नजर दौड़ायी और फिर बाइकों के नंबर को चेक करना शुरू कर दिया। परिवहन विभाग की तरफ से डेवलप किया गया एप रिपोर्टर ने डाउनलोड किया और उसने नंबर डालकर चेक करना शुरू कर दिया।

नंबरों से हुई थी छेड़छाड़
इसमें पता चला कि एक ब्लैक रंग की पल्सर बाइक पर आगे पीछे नंबर ही नहीं था। एक स्प्लेंडर बाइक से नंबरों के साथ पूरी तरह से छेड़छाड़ किया गया था। एक बजाज की गाड़ी का नंबर यूपी 70 वी 0493 चेक करने पर शो ही नहीं कर रहा था। एक बाइक पर स्कूटी का नंबर लिखा मिला। पर्ची काटने वाले कर्मचारी से पूछा गया तो उसने बताया कि उसे रसीद पर छपे शुल्क से मतलब है। कौन खड़ा कर रहा है, कौन नहीं इतना देखने व पूछने का समय नहीं होता है। सिर्फ पैसे से मतलब है।

पार्किंग रेट लिस्ट
18
रुपये 12 घंटे का मोटरसाइकिल
24
रुपये 24 घंटे का मोटरसाइकिल
42
रुपये 12 घंटे का कार
59
रुपये 24 घंटे का कार
06
रुपये 12 घंटे का साइकिल
12
रुपये 24 घंटे का साइकिल

लवारिस बाइक का ब्योरा
06
लावारिस वाहन खड़े हैं सिविल लाइंस रेलवे स्टेशन साइड
08
संदिग्ध वाहन पर नहीं लिखे हैैं नंबर
02
वाहनों का नंबर रिकॉर्ड नहीं कर रहा शो
01
वाहन पर लिखे हैं दूसरे वाहनों का नंबर

महीनों से खड़े हैं कई वाहन
अब पाॄकग के किराए पर गौर करें तो रेलवे की पाॄकग में कई व्हीकल्स कई महीनों से खड़े हुए हैं। एक बाइक का एक दिन का पाॄकग का शुल्क 24 रुपए निर्धारित है। ऐसे में एक महीने में 720 रुपये हो गया। अगर कोई वाहन के पाॄकग में एक वर्ष से अधिक समय से खड़ा है तो उस तो पर 24 रुपए रोज के हिसाब से पाॄकग हैं शुल्क आठ हजार छह सौ चालीस रुपये से अधिक हो जाएगा। ऐसे में पार्किंग के स्टॉफ का कहना है कि आखिर यह कौन किराया देगा। जबकि एक नहीं 16 लवारिस बाइक है। जिनका किराया एक लाख से अधिक का हो जाता है।


एप से चेक कर पार्किंग में खड़ी करने का हो नियम
पार्किंग चलाने वाले भले कुछ न बोलते हो। या फिर उनका ऐसी वाहनों का खड़ी करने में कोई फायदा हो। नियमानुसार
पार्किंग में खड़ी होने वाली सभी वाहनों का नंबर पहले परिवहन एप से चेक होना चाहिए। फिर पार्किंग रसीद कटनी चाहिए। ताकि पता चला बाइक संदिग्ध नहीं। बिल्कुल सही है। अगर यह नियम हो जाये तो शायद कोई संदिग्ध वाहन खड़ी ही न हो।

Posted By: Inextlive