उमेश हत्याकांड में 'मुस्लिम हास्टलÓ कनेक्शन का खुलासा
प्रयागराज ब्यूरो । राजूपाल हत्याकांड के गवाह और अतीक के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले अधिवक्ता उमेश पाल की हत्या की साजिश मुस्लिम बोर्डिंग हास्टल के कमरा नंबर 36 में रची गई थी। साजिश रचने में शामिल शख्स भी अधिवक्ता सदाकत अली खान निकला। वह मुस्लिम बोर्डिंग हास्टल में अवैध रूप से रहकर नेतागिरी और तमाम अन्य गतिविधियों में लिप्त रहता। शूटर गुलाम ने उसके साथ मिलकर हत्याकांड का ताना-बाना बुना। सदाकत को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है। भागने का कोशिश में वह डिवाइडर से टकराकर घायल हो गया इसलिए अस्पताल में भर्ती किया गया है। उससे पूछताछ की जा रही है, षडय़ंत्र का पूरा किस्सा उजागर हो चुका है।एयू की नेतागिरी में भी सक्रिय
पुलिस आयुक्त रमित शर्मा ने बताया कि सदाकत गाजीपुर के गहमर के बारा गांव का रहने वाला है। उसने प्रयागराज में रहकर एलएलबी की डिग्री ली और हाई कोर्ट में वकालत करने लगा। इधर वह विश्वविद्यालय परिसर में छात्र नेतागिरी में भी सक्रिय रहता। भाजपा के एक पूर्व विधायक के साथ उसने इंटरनेट मीडिया पर फोटो डाली है। उसका मिलना-जुलना मेहंदौरी के गुलाम से हुआ। गुलाम अक्सर उसके पास मुस्लिम हास्टल के कमरे में आने लगा। गुलाम का भी पूर्व विधायक के साथ उठना-बैठना रहा है। हालांकि फिर उसने पूर्व विधायक से दूरी बना ली और अतीक गैंग के साथ हो गया। पुलिस आयुक्त के मुताबिक, गुलाम ने सदाकत के कमरे में उमेश पाल हत्याकांड की रूपरेखा तैयार की थी। गुलाम के साथ दूसरे शूटर भी इन बैठकों में शामिल होने सदाकत के कमरे में पहुंचते रहे हैं।अतीक का प्रापर्टी बिजनेस संभालना थासदाकत को कहा गया था कि उसे अतीक गिरोह के जमीन के मामले देखने का काम सौंपा जाएगा जिसमें मोटी कमाई होती है। इसीलिए उसने गुलाम और अन्य शूटरों को अपने कमरे में बैठकर साजिश रचने में सहायता की। उमेश हत्याकांड के बाद पुलिस ने गुलाम की तलाश शुरू की तो सदाकत का नाम सामने आया। गुलाम तो नहीं मिला लेकिन एसटीएफ ने लोकेशन के जरिये सदाकत को घेरा तो वह भागते वक्त डिवाइडर से टकराकर गिरा और घायल हो गया। उसे अस्पताल ले जाकर पूछताछ की गई तो साजिश की परतें खुलती गईं। पुलिस आयुक्त ने बताया कि सदाकत अक्सर ह्वाट्सएप कॉल करता था।