टेंडर में रिश्वत को यूजीसी ने लिया नोटिस
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से मांगा जवाब, संविदा कर्मचारियों को रखने का मामला
इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) में संविदा पर कर्मचारी भर्ती के लिए टेंडर देने के लिए वायरल वीडियो और आडियो के मामले में यूजीसी ने जवाब तलब कर लिया है। मार्च में वायरल इस वीडियो में प्रयागराज की कंसल्टेंट कंपनी ने इविवि के दो शीर्ष अफसरों को दो करोड़ रिश्वत लेने के बाद टेंडर जारी करने के गंभीर आरोप लगाए थे। इसके एवज में वह नियुक्ति के नाम पर अभ्यर्थियों से रिश्वत मांग रहे थे। हालांकि, इविवि प्रशासन आरोपों को मनगढ़ंत करार दिया है। लखनऊ की फर्म को मिला था टेंडरइविवि प्रशासन ने संविदा पर कर्मचारियों की भर्ती के लिए फर्म चयन का टेंडर जारी किया था। यह टेंडर लखनऊ की एक फर्म को मिला। फर्म ने कुल 219 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया और बैंक रोड स्थित इविवि के अतिथि गृह में 25 मार्च से इंटरव्यू की प्रक्रिया शुरू की। इसी बीच इंटरनेट मीडिया पर एक आडियो और वीडियो वायरल कर दिया गया। इसमें पत्रिका चौराहा स्थित एक कंपनी के कुलदीप शर्मा और एके मिश्रा खुद को कंपनी का नुमाइंदा बताते हुए अभ्यर्थियों से 25 हजार रुपये मांग रहे थे। वह यह भी दावा कर रहे थे कि इसके बाद नियुक्ति हो जाएगी। इसी बीच कंपनी ने कोरोना का हवाला देते हुए भर्ती प्रक्रिया निरस्त कर दी और कर्नलगंज थाने में मुकदमा भी दर्ज करा दिया। बाद में इविवि में एलएलएम प्रथम वर्ष के छात्र अजय यादव सम्राट ने मामले की शिकायत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अलावा केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से भी कर दी। अब इस प्रकरण में यूजीसी ने इविवि के रजिस्ट्रार प्रोफेसर एनके शुक्ल को पत्र भेजकर स्पष्टीकरण तलब कर लिया है। साथ ही यूजीसी ने निर्देश दिया है कि जवाब की प्रति सम्राट को भी भेजी जाए।
यूजीसी की तरफ से मिले पत्र का उत्तर भेज जा रहा है। इस संदर्भ में पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि वायरल वीडियो तथ्यहीन, मनगढ़ंत व झूठा है। यह विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अफसरों की छवि को धूमिल करने का प्रयास है। पिछले वर्षो की भांति मैनपावर सप्लाई के लिए आउटसोìसग एजेंसी का चयन ई-टेंडर की ओर से पूरी पारदर्शिता के साथ सारे सरकारी नियम व कानून का पालन करते हुए किया गया है। डा। जया कपूर पीआरओ, इविवि