निकले थे ट्रेन का सिग्नल ठीक करने, ऑफ हो गया लाइफ का सिग्नल
ड्यूटी के वक्त ट्रेन की चपेट में आने से ईएसएम व उनके सहायक की मौत
भोर में सिग्नल में आई खराबी को दूर करने गए थे दोनोंट्रेन में सफर कर रहे पैसेंजर्स को दिक्कत न हो। इसके लिए भोर में सिग्नल में आयी खराबी दूर करने का फर्ज पूरा करने के लिए निकले दो रेल कर्मचारियों के लाइफ का सिग्नल हमेशा के लिए बंद हो गया। ट्रेन की चपेट में आने से दोनों की मौत हो गई। मरने वालों में शैलेंद्र कुमार उर्फ शेरा (35) ईएसएम के पद पर तैनात थे। उनके साथ जान गंवाने वाले लालमन (30) की पोस्टिंग सहायक के पद पर थी। यह दर्दनाक हादसा पुराना पुल गऊघाट के ऊपर कोठापार्चा शेफ पर हुआ। दोनों के मौत की खबर सुनते ही डिपार्टमेंट के लोग सन्नाटे में आ गए। सूचना मिली तो मुट्ठीगंज पुलिस भी मौके पर जा पहुंची। परिजन बिस्तर भी नहीं छोड़ पाए थे कि मनहूस खबर उनके मोबाइल पर जा पहुंची। मोबाइल पर मौत की जानकारी मिलते ही सभी की नींद उड़ गई। चीखते हुए परिवार के लोग मौके पर पहुंचे।
दोनों पर थी घर की बड़ी जिम्मेदारीइलेक्ट्रिक सिग्नल मैनेजर (ईएसएम) शैलेंद्र सिविल लाइंस चैथम मार्ग स्थित रेलवे कॉलोनी निवासी स्व। नरेंद्र कुमार के बेटे थे। दो भाई और दो बहन में तीसरे नंबर पर रहे शैलेंद्र को यह नौकरी पिता की जगह मृतक आश्रित कोटे में मिली थी। उनके पिता नरेंद्र कुमार विभाग में लोको पायलट के पद पर तैनात थे। पिता की मौत के बाद परिवार की सारी जिम्मेदारी दोनों भाइयों पर आ गई। बड़ा भाई दिल्ली में नौकरी करता है। शैलेंद्र की शादी नहीं हुई थी। वह परिवार के आय का एक मजबूत पिलर थे। सहायक सिग्नल मैन के रूम में तैनात लालमन मोहत्सिमगंज साउथ मलाका में रहते थे। वह आजमगढ़ जिले के थाना रानी की सराय के कोइलारी खुर्द निवासी स्व। जगदीश प्रसाद के बेटे थे। तीन भाईयों में छोटे लालमन की शादी रीता देवी से हुई थी। इनके एक बेटा व एक बेटी कुल दो बच्चे हैं। दोनों बच्चे अभी काफी छोटे हैं। परिवार की आर्थिक स्थित बहुत अच्छी नहीं है, इसलिए लालमन पूरे परिवार को लेकर चलते थे।
सिग्नल पर आई मौत की कॉल दोनों की बुधवार को नाइट ड्यूटी थी। रात दस बजे से सुबह छह बजे तक इन्हें ड्यूटी करना था। टाइमली दोनों घर से ड्यूटी के लिए पहुंचे थे। भोर करीब तीन से चार के बीच आटोमेटिक सिग्नल ब्लिंक करने लगा।इंडिकेटशन से अफसरों को मालूम चला कि पुराना पुल गऊघाट के ऊपर कोठापार्चा के पास का एक सिग्नल काम नहीं कर रहा।
फौरन उसे ठीक करने के लिए ईएसएम शैलेंद्र कुमार व साथ में सहायक लालमन भेजे गए। विभागीय लोग बताते हैं कि सिग्नल ठीक होने तक दूसरे सिग्नल से ट्रेनों का संचालन जारी रखा गया। लालमन के साथ शैलेंद्र खराब हुए सिग्नल को ठीक करने के लिए ट्रैक पर चल पड़े। इस बीच दोनों हाईस्पीड में आई ट्रेन की चपेट में आ गए और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। काफी देर तक दोनों खराबी ठीक कर नहीं लौटे तो सहकर्मियों को फिक्र हुई। करीब पांच बजे सहयोगी कर्मचारियों को इस हादसे की जानकारी हुई। रेलवे कर्मचारी व दोनों के साथ काम करने वाले समसुलहक अंसारी ने खबर अफसरों को दी। भोर में हुई इस घटना की खबर मिली तो अधिकारी भी सन्नाटे में आ गए। इसके बाद बात पुलिस को बताई गई। जानकारी होते ही मुट्ठीगंज पुलिस पहुंची दोनों के घर सूचना देने के बाद बॉडी को पोस्टमार्टम हाउस भेज दी। हर दिल में दर्द और जख्म दे गई मौतरात में घर से दोनों खाना खाकर भले चंगे निकले थे। किसी को क्या पता थी कि आज के बाद वे कभी नहीं लौटेंगे। यह मुलाकात और उनकी ड्यूटी आखिरी होगी। वह ड्यूटी पर गए तो सभी रात में घर पर सो रहे थे। दोनों के परिवार में जब उनके मौत की खबर पहुंची तो सभी की नींद ही उड़ गई। पहले तो उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि ऐसा भी हुआ है। लालमन के परिजन तो उसकी पत्नी को बताए कि एक्सीडेंट हुआ है। फिलहाल दोनों का परिवार मौके से होकर सीधे पोस्टमार्टम हाउस पहुंचा। दर्जनों रेलवे कर्मचारी और नाते रिश्तेदार भी पहुंच गए। लालमन की सास और मां व पत्नी के पास के आंख सावन भादों की तरह बरस रहे थे। इन्हें देखने वाले तमाम लोगों की आंखें यहां नम नजर आई।