यूपी बोर्ड की परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों के पास पढ़ाई के लिए महज दो दिन का समय शेष है. क्योंकि 16 फरवरी से बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी. आज यानी सोमवार को 13 फरवरी है. बस 14 और 15 फरवरी का समय ही छात्रों के पास बचा है.

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। इन दो दिनों में छात्रों को कूल माइंड और एकाग्र चित्त होकर पढ़ाई करने की जरूरत है। मनोविज्ञानी कहते हैं कि परीक्षा से घबराने की जरूरत नहीं है। बस जितना पढ़ाई अब तक किए हैं मन लगाकर उसका रिवीजन करें। इस गोल्डन टाइम को वेस्ट करने के बजाय इसके हर मिनट का सदुपयोग ही अच्छा रहेगा। अभिभावकों को चाहिए कि वह बच्चों को पढ़ाई में सपोर्ट करें। बच्चों को अपने हिसाब से पढऩें दें। परीक्षा को लेकर उन पर दबाव न बनाएं। दबाव बनाने से छात्र प्रेशर और टेंशन में आ सकते हैं।


सर मैं रोहित रस्तोगी हाईस्कूल का छात्र हूं। बचे हुए समय में किस तरह पढ़ाई करें कि मेरा पेपर सही से हो। प्लीज सजेस करें। पेपर को लेकर घबराहट सी हो रही है.
उत्तर- बचे हुए समय में पुराने पेपर का सहारा लेकर क्यूस्चन का उत्तर लिखें। साथ ही उसका मूल्यांकन करें कि जो पूछा गया है वही लिखें। नए विषय की तरफ ज्यादा नहीं भागें। जितना पढ़े हैं उसी को बार-बार रिपीट और रिवीजन करें। समय नहीं गंवाये। पर्याप्त और अच्छी नींद लें। सफलता निश्चित रूप से मिलेगी। अभिभावक बच्चों पर पढ़ाई और परीक्षा को लेकर अब दबाव न बनाएं। बल्कि उन्हें सजेस करें और यदि उनके मन में कोई प्रश्न या डर है तो उसका समाधान करें।

मैं रेनू मिश्रा हाईस्कूल की छात्रा हूं। सर परीक्षा के दिन किन किन चीजों को केंद्र तक ले जा सकते हैं। क्या मोबाइल भी ले जा सकते हैं.
उत्तर- रेनू जी आप सबसे पहले यह जान लें कि मोबाइल जैसे किसी भी इलेक्ट्रानिक उपकरण को आप केंद्र के अंदर नहीं ले जा सकतीं। इस लिए मोबाइल आदि को घर पर ही छोड़ कर जाएं। प्रवेश पत्र के साथ अपनी एक आईडी जैसे आधार या स्कूल का आई कार्ड जरूर रखें। पेन स्कूल आदि को ले जाना नहीं भूलें। यदि आप को परीक्षा केंद्र तक छोडऩे के लिए कोई जा रहा तो मोबाइल ले जा सकती हैं। बसर्ते ध्यान रहे कि गेट के अंदर प्रवेश करने से पहले अपना मोबाइल साथ रहे व्यक्ति को देें दें। केंद्र में आप के पास मोबाइल मिलने पर कार्रवाई हो सकती है।

सर मैं इंटर का छात्र हूं, मेरा नाम शौर्य त्रिपाठी है। बीमारी की वजह से बहुत अच्छी पढ़ाई नहीं हो पाई है। समय भी बहुत कम बढ़े हैं। मैं क्या करूं कि पेपर खराब नहीं हो.
उत्तर- बीमारी से आप की पढ़ाई प्रभावित हुई मतलब कि दो तीन महीने पढ़ाई की स्थिति में नहीं थे। आप घबराइए नहीं। जब आप बीमारी जैसी परीक्षा को पास होकर ठीक हो गए तो यह परीक्षा कुछ भी नहीं हैं। आप जितना भी पढ़े हैं बगैर समय गंवाए उसका रिवीजन करें। मन में पेपर खराब हो जाएगा यह भाव लाने से अच्छा है कि उसे बेहतर बनाने का प्रयास करें। पुराने प्रश्न पत्रों को लें और उसके आधार पर विषयों को पढ़ पढ़ डालें। इससे आप को पेपर का आडिया मिल जाएगा। दिए गए प्रश्नों को हल करें इससे आप की तैयारी अच्छी होगी और आप सफल हो सकते हैं।

सर मैं हाईस्कूल की छात्रा ज्योत्सना रघुवंशी हूं। मेरी परीक्षा है। प्लीज बताएं कि बचे हुए समय में पढ़ाई कैसे करें? सर परीक्षा से डर लग रहा है। भाई छोटा है और पापा और चाचा बाहर रहते हैं.
उत्तर- आप परीक्षा को लेकर डरें नहीं। परीक्षा का बचा हुआ समय गोल्डेन टाइम है। अब इसे बर्बाद नहीं करें। आप मन लगाकर जितना अब तक पढ़ी हैं उसका अच्छे से रिवीजन करिए। एक विषय का रिवीन करने के बाद थोड़ा ब्रेक लें फिर दूसरे विषय का रिवीजन करें। अच्छा होगा कि पुराने प्रश्न पत्रों को उठाकर आप उसका उत्तर लिखें और उसका मूल्यांकन खुद करें। ध्यान रहे कि अब समय बर्बाद करना उचित नहीं होगा। ऐसा भी नहीं दिन रात पढ़ाई ही करती रहें। आप पर्याप्त नींद भी लें। कुर्सी मेज पर बैठकर पढ़ें। निश्चित रूप से आप का पेपर अच्छा होगा।


मैं घनश्याम गुप्ता हूं सर, मेरा बेटा हाईस्कूल की इस बार परीक्षा देगा। वह पढ़ाई में ठीक है, पर परीक्षा को लेकर डरा हुआ है। खाने के लिए भी कहते हैं तो परीक्षा की बात करते हुए रोने लगता है.
उत्तर- घनश्याम जी बच्चे के मन में परीक्षा को लेकर डर बैठ गया है। आप और परिवार के सभी लोगों को उसके मन से यह डर निकालना होगा। अच्छा होगा कि आप सब उसकी खूब तारीफ करें और उसके सामने परीक्षा को लेकर फेल जैसे निगेटिव बातें नहीं करें। बताएं कि वह कक्षा आठ और नौ में किस तरह से अच्छे नंबर लाया है, इस बार भी अच्छे नंबर लाएगा। उसके अंदर कांफिडेंस जगाएं और प्यार से बातें करें। कोशिश करें कि वह पर्याप्त नींद ले। पढऩे में अच्छा है तो उसे बस गाइड करें, वह खुद अपनी तैयारी कर लेगा। एक पेपर देने के बाद डर दूर हो जाएगा।

बोर्ड की परीक्षा देने जा रहे छात्रों के पास कायदे से अब सिर्फ दो दिन ही शेष हैं। सोमवार का दिन समझिए निकल ही गया। बचे हुए दो दिन में जितना पढ़े हैं परीक्षार्थी उसी का रिवीजन करें। मन को एकाग्र और शांत रखें। अभिभावक पढ़ाई में बच्चों का सपोर्ट करें न कि उन्हें परीक्षा के नाम पर डराएं।
डॉ। कमलेश तिवारी, प्रोफेशनल काउंसलर साइकोलाजिस्ट

Posted By: Inextlive