- दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से आयोजित सेमिनार में व्यापारियों ने खुलकर रखी अपनी बातें- बोले- अभी तक 1300 से अधिक कानून में हुए सुधार लेकिन हालात जस के तस


प्रयागराज (ब्यूरो)। जीएसटी को लांच हुए छह साल हो गए। अभी तक 1300 से अधिक कानून में सुधार भी हो चुके हैं। लेकिन हालात जस के तस हैं। व्यापारियों के लिए जीएसटी अभी भी अबूझ पहेली है। उनका आरोप है कि जीएसटी की आड़ में उनका शोषण किया जा रहा है। इस पर रोक लगनी चाहिए। इसे सरल कानून में परिवर्तित करना होगा। यह कहना था व्यापारियों का। उन्होंने रविवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से आयोजित सेमिनार में खुलकर अपनी बात रखी।
ये रहे सुझाव व मांग
- अगर जीएसटी नंबर पोर्टल पर लाइव है तो दूसरे व्यापारी का आईटीसी नही रोकना चाहिए। उसे तत्काल भुगतना किया जाना चाहिए।
- आईटीसी लेना व्यापारी का मौलिक अधिकार है और इसे रोकना ठीक नही।
- जब जीएसटी का सर्टिफिकेट दिया जाता है उसी समय इसके साथ होने वाले बीमा का भी सर्टिफिकेट दिया जाना चाहिए।
- ड्राइव चलाने के नाम पर व्यापारियों को परेशान नही किया जाना चाहिए।
- जब सबकुछ जीएसटी पोर्टल पर उपलब्ध है तो जांच के नाम पर व्यापारियों से फिजिकल वेरिफिकेशन क्यों कराया जाता है।
- एक ही उत्पाद पर लगने वाले अलग अलग टैक्स को एक कर देना चाहिए। इससे भ्रम की स्थिति नही रहेगी।
- व्यापारी कोई अपराधी नही है, उसके यहां ईडी को भेजने का कोई मतलब नही है। सरकार को ऐसे आदेश वापस लेने चाहिए।
- देश की आर्थिक स्थिति की व्यापारी रीढ़ है। उसका सम्मान होना चाहिए। जीएसटी विभाग का शोषण बंद होना चाहिए।

जीएसटी के मामलों में सरकार का एफर्ट काफी कम है। व्यापारियों को पंजीयन के समय किए जाने वाले इंश्योरेंस की रकम नही मिल रही है। सब कागजों पर चल रहा है। जबकि अगर व्यापारी को कुछ हो जाता है तो नामिनी को पैसा दिया जाना चाहिए।
नीरज जायसवाल, अध्यक्ष, अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल महानगर प्रयागराज

जो महिलाएं व्यापार में है उनको जीएसटी का प्रावधान पता नहीं है। इसकी जटिलता की वजह से व्यापार करने में प्राब्लम होती है। सरकार को जीएसटी का सरलीकरण कर देना चाहिए। देश के व्यापारियों को जीएसटी के जरिए एक पुख्ता प्रणाली की आवश्यकता है।
स्वाति निरखी, महानगर अध्यक्ष, अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल महिला मोर्चा

पूर्व में सरकार जीएसटी को हड़बड़ी में लाई थी, जिससे आज तक सुधार की जरूरत पड़ रही है। सरकार ने कहा था कि जीएसटी में समान कर प्रणाली लाई जाएगी, लेकिन ऐसा नही किया गया। आईटीसी में पीछे वाला रिटर्न नही करता तो व्यापार को इनपुट नही मिलता है।
लालू मित्तल, जिलाध्यक्ष, अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल

आईटीसी को लेकर बहुत कन्फ्यूजन है। सरकार खुद पंजीयन कराती है और फिर आईटीसी यह कहकर रोक देती है कि उसने रिटर्न फाइल नही किया है। जब व्यापारी लीगल है तो दूसरे व्यापारी की पूंजी क्यों फंसाई जाती है। इस पर भी रोक लगनी चाहिए।
रमन गुप्ता, उपाध्यक्ष, अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल

आईजीएसटी को एसजीएसटी में एडजस्ट किया जा सकता है लेकिन आईजीएसटी को एसजीएसटी में विलय नही कर सकते हैं। इससे अलग-अलग स्टेट में व्यापार करने वाले व्यापारियों को नुकसान होता है। अगर उन्होंने मैनुअली एडस्ट किया तो मामला फंस जाता है।
प्रियंक गुप्ता, युवा कमेटी सदस्य, प्रयागराज व्यापार मंडल

जीएसटी को सरलीकरण की जरूरत है। ऐसा कानून बनाया जाए तो प्रत्येक व्यापारी को समझ आ जाए। वह खुद अपना रिटर्न दाखिल कर सके। लेकिन ऐसा नही है। व्यापारी अगर ऐसा करने लगा तो वर्तमान में उसका धंधा बंद हो जाएगा। क्योंकि जीएसटी काफी कठिन है।
प्रशांत पांडे, व्यापारी

शुरुआत में कहा गया था कि जीएसटी के शुरुआती तीन साल में व्यापारियों को तमाम छूट दी जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। सरकार का एक मात्र उददेश्य है पैसा वसूली करना। इससे व्यापारी त्रस्त हो गए हैं। उनके लिए जीएसटी में कुछ नही है।
मनीष कुमार गुप्ता, चेयरमैन, प्रयागराज व्यापार मंडल

सोसायटी में सबसे ज्यादा उपयोगी टू व्हीलर है लेकिन सरकार ने उस पर 28 फीसदी टैक्स लगा रखा है। मेरी मांग है कि टैक्स की सीमा को घटाकर 5 फीसदी कर दिया जाए। इसके पुर्जे भी इसी टैक्स लिमिट में रहें। जिसे महिलाएं और युवाओं को अधिक लाभ होगा।
सुशील खरबंदा, अध्यक्ष, सिविल लाइंस व्यापार मंडल

2017 में जीएसटी लांच हुआ था। उस समय कई व्यापारियों के हड़बड़ी में जीएसटी गलत हो गए थे। तब सरकार ने कहा था कि हम तीन साल के ऐसे मामलों को इग्नोर करेंगे। लेकिन अब व्यापारियों के पास 2017-18 के नोटिस आ रहे हैं। इनको रोक देना चाहिए।
शिवशंकर सिंह, महामंत्री, सिविल लाइंस व्यापार मंडल

सरकार ने नियम बना दिया है कि अगर कोई पचास हजार रुपए से अधिक गहना खरीदता है तो उससे पैन और आधार नंबर लेना होगा। लेकिन ग्राहक ऐसा नही करते हैं। ऐसे में हमारा व्यापार प्रभावित हो रहा है। हमारी ओर से सरकार को इस मामले पत्र भी लिखा गया है।
दिनेश सिंह, अध्यक्ष, ज्वैलर्स एसोसिएशन

शुरुआत में कहा गया था कि ऐसा जीएसटी कानून आएगा जो अनपढ़ भी उसे समझ जाए। लेकिन हुआ इसका उलटा। ऐसे में व्यापारियों को ग्रीवांस सेल की मांग करनी चाहिए। जिससे उनकी समस्याओं को त्वरित निस्तारण हो सके और इस कानून में व्यापार करना आसान हो।
दीपक कुमार मिश्रा, एडवोकेट

जीएसटी में कई ऐसी चीजें है जो अभी तक व्यापारियों के समझ नहीं आई हैं। यही कारण है कि उन्हे सीए का सहारा लेना पड़ता है। ऐसे में जब सीए गलती करता है तो नोटिस व्यापारी को मिलती है। अगर जीएसटी सरल हो तो एक्सपर्ट की जरूरत न पड़े।
विभू अग्रवाल, व्यापारी

बहुत से लोगों को नहीं पता है कि अगर व्यापारी का माल ट्राली में जा रहा है तो उस पर ई वे बिल की आश्यकता नही होगी। लेकिन अगर माल मोटराइज्ड वेहिकल पर जा रहा है और पचास हजार से अधिक लागत का है तो उस पर ई वे बिल जरूर देना होगा।
महेंद्र गोयल, अध्यक्ष, कैट यूपी

जीएसटी को एक कर कानून कहा गया था लेकिन अभी भी वस्तुओं के टैक्स एक जैसे नही हैं। इन पर अलग अलग टैक्स लगाए जा रहे हैं। प्रत्येक राज्य की अपनी पालिसी है। इसलिए मेरी मांग है कि जीएसटी को जो कहकर लागू किया गया था उसी प्रकार बनाया जाए।
सौरभ गुप्ता, अध्यक्ष, इलाहाबाद कम्प्यूटर डीलर्स एसोसिएशन

व्यापारियों की समस्याओं को हल करने के लिए व्यापारी कल्याण बोर्ड बना। लेकिन उसमे से व्यापारी ही गायब हैं। ऐेसे में जिसने व्यापार किया ही नही, वह हमारी पीड़ा को कैसे जानेगा। सरकार ने हमारे वेलफेयर के तरीकों को मजाक बना दिया है।
सुशांत केसरवानी, जिलाध्यक्ष, प्रयागराज व्यापार मंडल

काफी अच्छी डिबेट थी। यहां पर आकर जीएसटी के बारे में कई नई चीजें पता चलीं। जिन्होंने नया व्यापार शुरू किया है और जीएसटी में पंजीकृत हैं उन्हे यहां आकर काफी लाभ मिला। सरकार को यहा ंरखी गई मांगों पर विचार करना चाहिए।
अर्चना केसरवानी, प्रयागराज व्यापार मंडल महिला विंग

Posted By: Inextlive